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मिटा दी जिसने सारी सीमाएं

इस सप्ताह के स्पॉट में सद्गुरु भावी आदियोगी तीर्थों की जानकारी देते हुए बता रहे हैं कि एक योगी बनने का अर्थ क्या होता है।

सही मायने में योग का अर्थ हैः सीमाओं को मिटाने का विज्ञान। सृष्टि के एक सबसे साधारण जीव से लेकर इंसान तक, सभी अपने अस्तित्व के मूल रूप में अपनी सारी जिंदगी अपने लिए सीमाएं तय करने में लगा देते हैं। आपने देखा होगा कि कुत्ता अपने हर तरफ पेशाब करता है। ये सब वह इसलिए नहीं करता, क्योंकि उसे पेशाब की कोई समस्या है, बल्कि ऐसा करके वह अपनी सीमाएं तय करता है। इसी तरह से इंसान सहित दुनिया का हर प्राणी अपनी चारदीवारी बनाने में जुटा हुआ है।

आश्रम में हम एक तरह से इस चारदीवारी को गिराने का ही काम करते हैं, लेकिन लोग उसके भीतर भी अपने लिए चारदीवारी बना लेते हैं। दरअसल, लोगों के अपने चारों तरफ कुछ न कुछ चाहिए, वर्ना उन्हें लगेगा कि वे बेघर हैं। दुर्भाग्यवश ज्यादातर लोग इस ब्रह्मांड में आराम से नहीं रह सकते, बल्कि उन्हे तो एक कोठरी में रहना पसंद है। उन्हें एक कैद में जीना पसंद है। वे उस विशाल ब्रह्मांड में नहीं रहना चाहते, जो उनके रहने और अनुभव करने के लिए है।

अगर आप एक चारदीवारी बनाते हैं तो सबसे पहले आपको इसकी सीमा तय करनी होगी, फिर आपको इसका बचाव भी करना होगा। सीमा काफी बड़ी है तो आपको एक सेना रखनी होगी।

योग का मतलब इंसान को हर संभव तरीके से इस तरह तैयार करना है, कि धीरे-धीरे वह अपनी सारी सीमाओं को मिटाकर सरल बन सके। आपको यह समझना होगा कि अगर आप एक चारदीवारी बनाते हैं तो सबसे पहले आपको इसकी सीमा तय करनी होगी, फिर आपको इसका बचाव भी करना होगा। अगर आपकी सीमा काफी बड़ी है तब तो इसकी सुरक्षा के लिए आपको एक सेना रखनी होगी। हर देश के पास जो सेना है, वह महज मजाक या दिखावा नहीं है। चूंकि एक बार आपने सीमा बना ली तो फिर आपको इसका बचाव तो करना पड़ेगा, वर्ना कोई और आकर इसे तोड़ सकता है। सीमा आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है, आपको इसकी रक्षा करनी पड़ती है, इसके लिए लड़ना पड़ता है, इसके लिए मरना भी पड़ता है। ये सब तो होगा हीं। इसलिए योग सिखाता है- इन सब से आजाद होना, अपनी सीमाओं को मिटाना। अगर आप यहां बैठते हैं तो आप सहज रूप से इस ब्रह्मांड में मौजूद होते हैं, आपको अपनी कोई सीमा तय करने की जरूरत नहीं। इसके लिए आपको अपनी उस तथाकथित निजी जगह की जरूरत नहीं। बहरहाल, निजी जगह जैसी कोई चीज हीं नहीं होती। आप इसे अपना मान सकते हैं, लेकिन यह एक भ्रम है।

शरीर की एक सीमा होती है, तो यह तो कोई मसला ही नहीं है, शारीरिकता का तो यह मूल गुण है। लेकिन किसी तरह से यह बात आपकी मानसिकता में घुस गई है। अब आपका मन भी एक सीमा चाहता है, आपकी भावनाएं भी एक सीमा चाहती हैं। इस तरह से आपने अपने भीतर इतनी सीमाएं खड़ी कर ली हैं कि आपके भीतर जो असीम मौजूद है, उस तक आपकी पहुँच ही नहीं हो पाती। आप उसे महसूस हीं नहीं कर पाते हैं। बस इतनी सी बात है। चूंकि आप अपना समय, अपनी उर्जा व अपनी सारी बुद्धि अपने आसपास सीमा खड़ी करने में लगा रहे हैं, इसलिए जो असीम और अनंत है वही आपके अनुभव में गायब हो जाता है।

जब हम आदियोगी की बात करते हैं तो हम उन्हें योगी कहते हैं। हम ऐसे व्यक्ति को योगी कहते हैं, जिसने अपने भीतर मौजूद सभी सीमाओं को या तो मिटा दिया है या फिर वह उन सारी सीमाओं से परे चला गया है।

यह आपकी करनी और आपके कर्म ही हैं, जिनकी वजह से आप खुद को इस ब्रह्मांड से अलग महसूस करते हैं। आप एक ऐसी जगह पर भी खुद को अकेला पाते हैं, जो इतनी जीवंत और सबको समा लेने वाली है। जब हम आदियोगी की बात करते हैं तो हम उन्हें योगी कहते हैं। हम ऐसे व्यक्ति को योगी कहते हैं, जिसने अपने भीतर मौजूद सभी सीमाओं को या तो मिटा दिया है या फिर वह उन सारी सीमाओं से परे चला गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि ऐसा करने वाले वह पहले व्यक्ति थे, इसलिए हम उन्हें आदियोगी कहते हैं। जब हम आदि योगी की स्थापना करेंगे तो वहां उनकी उर्जा होगी। जब लोग वहाँ जाकर बैठेंगे तो धीरे-धीरे उनकी जिंदगी की सारी सीमाएं गिरने लगेंगी और वो उस सीमाहीन अनंत की तरफ बढ़ने लगेंगे। जीवन का एकमात्र लक्ष्य ही यही है, इसके अलावा हम जिंदगी में जो कुछ भी करते हैं, उसका कोई भी और लक्ष्य नहीं।

फिलहाल हम दुनिया के तमाम जगहों पर आदियोग स्थल के निर्माण के काम में लगे हैं, इसलिए यह जरूरी है कि हम लोगों को इसके असली मकसद के बारे में समझाएं। उन्होंने हीं सबसे पहले प्रकृति द्वारा तय सीमाओं से कुशलतपूर्वक पार जाने का यह तरीका हमें दिया था। जीवन के विकासशील होने का विचार उन्होने हीं दिया था। यह राज भी उन्होने हीं बताया कि विकास सिर्फ भौतिकता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चेतना के स्तर पर विकास द्वारा मुक्ति संभव है। योग का पूरा विज्ञान उन्हीं की देन है। मेरी पूरी कोशिश यह है कि इस महान प्राणी के असाधारण योगदान को दुनिया समझ सके। इस लक्ष्य को पूरा करने में आप सब मेरे साथ रहें, क्योंकि मानव चेतना को जाग्रत करने में ये बेहद सशक्त साधन साबित होगा।

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