ईशा योग केंद्र में महाशिवरात्रि का रात भर चलने वाला उल्लासमय और आनंदपूर्ण उत्सव इस बार 7 मार्च को मनाया जाएगा। जबर्दस्त आध्यात्मिक संभावनाओं वाली इस रात के बारे में पांच बातें जानने योग्य हैं। क्या हैं वे पांच बातें?
सद्गुरु: हर चंद्रमास के चौदहवें दिन और अमावस्या के एक दिन पहले शिवरात्रि होती है। इस दिन इंसानी तंत्र में ऊर्जा कुदरती तौर पर ऊपर की ओर बढ़ती है। भारतीय कैलेंडर में माघ (फरवरी/मार्च) के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है क्योंकि इस दिन खास तौर पर प्रकृति मानव शरीर में ऊर्जा को बढ़ाने में सहायता करती है। योग और आध्यात्मिक प्रक्रिया का पूरा मकसद इंसान को उसकी सीमाओं से सीमाहीनता की ओर ले जाना है। इसके लिए सबसे जरूरी मूलभूत प्रक्रिया है, ऊर्जा का ऊपर की ओर बढ़ना। इसलिए ऐसे सभी लोग, जो अपनी वर्तमान अवस्था से थोड़ा अधिक होना चाहते हैं, उनके लिए शिवरात्रि महत्वपूर्ण है और महाशिवरात्रि खास तौर पर महत्वपूर्ण है।
सद्गुरु: महाशिवरात्रि बहुत रूपों में महत्वपूर्ण है। जो लोग पारिवारिक जीवन बिता रहे हैं, वे महाशिवरात्रि को शिव के विवाह की सालगिरह के रूप में मनाते हैं| तपस्वियों और संन्यासियों, के लिए यह वह दिन है, जब वह कैलाश , के साथ एकाकार हो गए थे, अचलेश्वर बन कर कैलाश पर्वत में समा गए थे। सहस्राब्दियों के ध्यान के बाद वह पर्वत की तरह अचल होकर उसका एक हिस्सा बन गए थे। उन्होंने अपना सारा ज्ञान कैलाश में सुरक्षित रख दिया था। इसलिए संन्यासी महाशिवरात्रि कोस्थिरता या शांति का दिन मानते हैं। जो लोग महत्वाकांक्षी हैं, वे इसे उस दिन के तौर पर मनाते हैं, जब शिव ने अपने सभी शत्रुओं पर जीत हासिल की थी
सद्गुरु : इसके बारे में चाहे जो भी कथाएं प्रचलित हों, जैसा मैंने कहा इस दिन का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इस दिन मानव शरीर में ऊर्जा ऊपर की ओर बढ़ती है। इसलिए, इस रात को हम अपनी मेरूदंड यानी रीढ़ को सीधा रखकर जागते हुए, सजग होकर बिताना चाहते हैं ताकि हम जो भी साधना करें, उसमें प्रकृति की ओर से पूरी मदद मिले। इंसान का सारा विकास मूल रूप से ऊर्जा के ऊपर की ओर बढ़ने से ही जुड़ा है। कोई आध्यात्मिक साधक जो भी साधना करता है, वह सिर्फ अपनी ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जाने के लिए ही होता है।
ईशा योग केंद्र में पूरी रात चलने वाला उल्लासपूर्ण उत्सव, महाशिवरात्रि का अनुभव करने के लिए एक आदर्श माहौल बनाता है। शक्तिशाली ध्यान प्रक्रियाएं सिखाई जाती हैं और मशहूर कलाकारों की अद्भुत संगीतमय प्रस्तुतियां होती हैं, जिनके लिए लाखों लोग जमा होते हैं। सद्गुरु की मौजूदगी में यह अनूठा दिव्य उत्सव इस रात की जबर्दस्त आध्यात्मिक संभावनाओं को खोलता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की लाइव प्रस्तुतियों के बीच रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम और ईशा के अपने बैंड ‘साउंड्स ऑफ ईशा’ , की प्रस्तुतियां इस रात भर चलने वाले उत्सव को और खास बना देते हैं।
भौतिक शरीर सहित समूची सृष्टि का आधार पांच तत्व यानि पंचभूत हैं। मानव शरीर में पंचतत्वों के शुद्धीकरण मानव शरीर में पंचतत्वों के शुद्धीकरण से शरीर और मन को खुशहाल बनाया जा सकता है। यह प्रक्रिया शरीर को इस तरह तैयार करती है कि वह इंसान के परम कल्याण में बाधक बनने की बजाय सोपान बन जाता है। भूत शुद्धि नामक योग की एक पूरी प्रणाली है, जिसका मतलब है तत्वों की सफाई। पंचभूत आराधना , में सद्गुरु भक्तों के लिए एक अनूठा अवसर खोलते हैं, ताकि वे इस गहन योगिक विज्ञान से लाभ उठा सकें, जिसके लिए वैसे गहन साधना की जरूरत पड़ती है।