सद्गुरु: अगर हम अपने बोध को बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए जो तत्व सबसे महत्वपूर्ण है, वह है आकाश। आम भाषा में, आकाश शब्द का अर्थ आसमान होता है। अर्थ के संबंध में यह सही है लेकिन अधिकांश लोगों के बोध के अर्थों में गलत है क्योंकि वे आम तौर पर आसमान को एक तरह की छत समझते हैं। आसमान कोई छत नहीं है बल्कि वातावरण के आस-पास मौजूद आकाशीय ऊर्जा का एक नतीजा है।
अंग्रेज़ी भाषा में शब्दों के अभाव के कारण, मैं आकाश तत्व को ‘ईथर’ कह रहा हूँ। हर भौतिक पिंड किसी न किसी रूप में गतिमान है। उस गतिशीलता की वजह से मामूली ही सही, लेकिन जलने की घटना होती है। कोई चीज़ भले ही आपको ठंडी लगे, लेकिन वह फिर भी किसी अर्थ में जल रही होती है क्योंकि आणविक तत्व एक गतिशील स्थिति में है।
आकाश – परे का द्वार
हर भौतिक वस्तु के आस-पास एक आकाश होता है। चाहे आप किसी चट्टान को लें, किसी मनुष्य को, ग्रहों को या दूसरे बड़े खगोलीय वस्तुओं को, उनमें से हर किसी के आस-पास एक आकाश होता है। दुर्भाग्य से हम ग्रहों के आकाश में ढेर सारे छिद्र कर रहे हैं और उसमें बाधा डाल रहे हैं – मैं ओज़ोन की बात नहीं कर रहा – जिसकी हमें कीमत चुकानी होगी। हम कई मायनों में कीमत चुकाना शुरू कर चुके हैं लेकिन ग्रह के वायुमंडलीय बुलबुले के आस-पास आकाश में बाधा डालने की हमें और बदतर कीमत चुकानी पड़ सकती है।
हर भौतिक वस्तु के आस-पास एक आकाश होता है।
आपके शरीर के आस-पास भी एक आकाशीय बुलबुला है। किसी दूसरे के साथ शारीरिक संपर्क में न आने की एक शारीरिक स्वच्छता का पालन करने के पीछे महत्वपूर्ण वजह यह होती है कि आप नहीं चाहते कि आपका आकाश अशांत हो, क्योंकि आप बोध को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। ब्रह्मचर्य का पूरा आधार अपने आकाश को मजबूत करने की चाहत है ताकि बोध की आपकी क्षमता बढ़े। यह पृथ्वी और शरीर, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन हम इसका ख्याल नहीं रख रहे हैं।
अगर आप भौतिक प्रकृति से परे किसी चीज़ का बोध नहीं करते हैं, तो आप बहुत मूर्खतापूर्ण जीवन जिएंगे, लेकिन आपको अपनी मूर्खता पर गर्व होगा। यह हर जगह हो रहा है। जब जीवन का आपका सारा अनुभव भौतिकता तक सीमित हो, तो आपको लगता है कि आप ब्रह्मांड का केंद्र हैं। आप, मैं और कोई भी, अगले ही क्षण कुचले जा सकते हैं। पृथ्वी टूटकर बिखर सकती है। भले ही हमारे समय में नहीं, लेकिन एक दिन वह टूटकर बिखर जाएगी।
अपने इंद्रिय बोध से परे किसी चीज़ का बोध करने और एक अभौतिक आयाम को छूने में सक्षम होना एक मनुष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बाकी सभी जीव, चाहे वह कोई कुत्ता हो, बिल्ली, सूअर या गाय, वे अपना जीवन पूर्ण क्षमता में जी रहे हैं, जब तक कि हम उनके जीवन में दखल न दें। सिर्फ मनुष्य आत्म-सीमित है। किसी को आपको सीमित करने या जेल में डालने की जरूरत नहीं है, आप खुद अपने साथ ऐसा करने में माहिर हैं। इसे तोड़ने के लिए, आपको इंद्रिय बोध से परे बोध की जरूरत है। उसके लिए, आपको आकाश चाहिए।
अपने इंद्रिय बोध से परे किसी चीज़ का बोध करने और एक अभौतिक आयाम को छूने में सक्षम होना एक मनुष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
लोगों ने आकाश की प्रशंसा की है क्योंकि यह उस बोध के बारे में है, जो भौतिक प्रकृति से नहीं जुड़ा है। जब आप गुजर-बसर से परे जीवन के बारे में सोचना शुरू करते हैं, तभी ये चीज़ें आपके लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
अपना आकाश पाना
उस जगह को खोजने का एक तरीका है, जहाँ आपका आकाशीय बुलबुला है। उस बिंदु को छूने के लिए, आपको उस पर एक खास तरह से ध्यान केंद्रित करना होगा। जब आप अपने बोध को भौतिकता से परे बढ़ाएंगे, तभी ब्रह्मांड में वह सब कुछ जानना संभव होगा, जो आप जानना चाहते हैं। फिलहाल, आपकी आँखें सिर्फ वही देख सकती हैं जो भौतिक है, या दूसरे शब्दों में, सिर्फ वह जो प्रकाश को रोकती है। इंद्रियों की प्रकृति यही है। आकाश आँखों से नहीं दिखता, लेकिन जब आप प्रकृति में उन आयामों को देखना, अनुभव करना या जीना शुरू करते हैं, जिनकी प्रकृति भौतिक नहीं है, तो सब कुछ उसी दिशा में विकसित होने लगता है।
भौतिक सीमित है – अभौतिक असीम है। अगर आप भौतिक को असीम बनाने की कोशिश करते हैं, तो आप खुद को और अपने आस-पास की दुनिया को नष्ट कर देंगे। अभी दुनिया में यही हो रहा है। अगर आप अभौतिक को छूते हैं, तो आप कुदरती रूप से असीम होते हैं। अधिकांश लोगों के लिए, उनका आकाश उनकी भौंहों के बीच से 15 से 21 इंच के बीच कहीं पर होता है। यह बिंदु व्यक्ति के बोध को पूरी तरह खोल सकता है। आप तुरंत उस बिंदु को नहीं पा सकते, उसके लिए थोड़ा प्रयास करना होता है। आकाश एक सूक्ष्म, सर्वव्यापी तत्व है।
आकाश वह माध्यम है, जो आपको भौतिक से परे ले जाता है।
आकाश वह माध्यम है, जो आपको भौतिक से परे ले जाता है। वह अभौतिक से भौतिक को सुरक्षित करता है। आकाश एक बुलबुला है, जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहीं हो सकता। वह एक दीवार, एक पतला बुलबुला है, लेकिन साथ ही वह एक पारगमन का ज़रिया है, भौतिक से परे जाने की एक संभावना है।
आपके पास जो कुछ भी भौतिक है, वह इकट्ठा किया हुआ है। जब आपके और आपके शरीर, आपके और आपके मन के बीच थोड़ी दूरी होती है, तो यह अभौतिक के अनुभव की संभावना को खोल सकता है। जब आप अभौतिक को छू लेते हैं, तो आप जो हैं, उसमें एक तरह की असीमता आ जाती है। यह मेरी कामना और मेरा आशीर्वाद है कि आप सभी इसे जान पाएं। मानव रूप में यहाँ आने पर, आपको इकट्ठे किए हुए भौतिक से परे की चीज़ों को जाने बिना यहाँ से जाना नहीं चाहिए।