यूरोप, मध्य एशिया और मध्य पूर्व की सद्गुरु की यात्रा में से छोटे-छोटे, अनौपचारिक विडीओ क्लिप्स के संग्रह का आनंद लीजिए, साथ ही मिट्टी बचाओ अभियान पर नवीनतम अपडेट, रास्ते के खूबसूरत नज़ारों और दिल को छूने वाले व्यक्तिगत मुलाकातों की झलक भी देखिए।
सद्गुरु एक पारंपरिक फ्रेंच टोपी पहन रहे हैं। वे जीवन के एक मूलभूत सवाल के बारे में बात करते हैं और बताते हैं कि कौन सी चीज़ उन्हें योगी बनाती है।
सद्गुरु को उनकी कठिन मोटरसाइकिल यात्रा के बीच राहत का एक दुर्लभ क्षण मिला है और वह शेष सृष्टि के साथ तालमेल में जीने का महत्व बता रहे हैं।
साल्ज़बर्ग की गलियों में घूमते हुए सद्गुरु को एक खास तोहफा मिलता है। तोहफे को खोलते हुए वह देने और पाने की प्रक्रिया पर मनन करते हैं और कहते हैं कि अगर कोई आपको उपहार देता है, तो आपको यह तय नहीं करना चाहिए कि वह अच्छा है या बुरा।
स्विस गायक-गीतकार बस्टियन बेकर ने सद्गुरु के लिए परफॉर्म किया और चर्चा की कि कैसे मिट्टी की स्थिति का गंभीर वैश्विक प्रभाव हो सकता है।
रोम में सद्गुरु रोमवासियों की तरह बाज़ार निकल जाते हैं। स्थानीय लोगों से बातचीत में, सद्गुरु ने इटालियन उत्पादों की तारीफ की और किसानों की परेशानियां सुनीं।
बुखारेस्ट के रास्ते में सद्गुरु का सामना कड़ाके की ठंड और सड़क पर खतरनाक स्थितियों से होता है। इसके बावजूद अपने अगले कार्यक्रम में समय पर पहुँचने के पक्के इरादे के साथ वे निर्भीक आगे बढ़ते रहते हैं।
रोमानियन संगीतकार जॉर्ज जैमफिर भारतीय संस्कृति के लिए अपना प्यार और भारत में परफॉर्म करने की अपनी इच्छा जाहिर करते हैं, क्योंकि रोमानियन और भारतीय संगीत परंपराएँ आपस में बहुत जुड़ी हुई हैं।
जोश से भरे हुए पीले कपड़ों में अज़रबेजान के युवाओं ने धूमधड़ाके से सद्गुरु को विदा किया।
इस्तांबुल में सफेद लबादे में गोल-गोल चक्कर काटते सूफी नर्तकों ने अपने सुंदर नृत्य से सद्गुरु के दिल को छू लिया।
सद्गुरु ने कॉप-15 के लिए आबिदजान, आइवरी कोस्ट के रास्ते में रुकते समय अफ्रीकी और भारतीय आमों की तुलना की।
सद्गुरु आबिदजान, आइवरी कोस्ट में यूएनसीसीडी कॉप-15 से कार्यक्रमों के बारे में अपडेट दे रहे हैं और दुनिया भर में मिट्टी को जीवंत बनाने के व्यावहारिक और लागू किए जाने योग्य समाधान पर पहुँचने के महत्व पर बल दे रहे हैं।
सद्गुरु इस्रायल में ज़फा शहर और उसके 4000 साल पुराने इतिहास के बारे में बता रहे हैं।
जॉर्डन के तपते गर्म रेगिस्तान में सद्गुरु को सफर करने के लिए एक सही जरिया मिला।
पक्की सड़क से रेत के टीलों तक। हर चुनौती का डटकर सामना करने वाले सद्गुरु एक सड़क से परे रोमांच के लिए अपनी बाइक को तैयार कर रहे हैं।
सद्गुरु की बहरीन की लंबी यात्रा के रास्ते में रेत के तूफान सड़कों को ढंक रहे हैं।
ईशा फॉरेस्ट फ्लावर के अगस्त अंक में, हम आपके लिए भारत में सद्गुरु की मिट्टी बचाओ यात्रा के कुछ बेहतरीन अनौपचारिक क्लिप्स का संग्रह लेकर आएंगे।