मिट्टी बचाओ

सद्‌गुरु की ‘मिट्टी बचाओ’ यात्रा : लंदन से सोफिया

सद्‌गुरु ‘मिट्टी बचाओ’ अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अकेले मोटरसाइकिल से यूरोप की यात्रा कर रहे हैं। यहाँ पेश हैं उनकी अब तक की यात्रा के मुख्य अंश -

लंदन और बर्मिंघम

लंदन में भारतीय उच्चायोग ने सद्‌गुरु की मेजबानी की
(16 मार्च)

लंदन में भारतीय उच्चायोग ने सद्‌गुरु की मेजबानी की, जहां सद्‌गुरु ने प्रभावशाली लोगों, नीति निर्माताओं और सामाजिक नेताओं के साथ मिट्टी बचाओ अभियान के बारे में बात की।

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में सद्‌गुरु (19 मार्च)

मिट्टी बचाओ आंदोलन के शुभारंभ और 100-दिवसीय, 30,000 किलोमीटर की मोटरसाइकिल यात्रा शुरू करने से पहले, सद्‌गुरु ने इस अभियान के बारे में बताया कि वह इस समय इस मुद्दे को क्यों उठा रहे हैं। यह सार्वजनिक कार्यक्रम बर्मिंघम विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता बर्मिंघम विश्वविद्यालय के चांसलर लॉर्ड बिलिमोरिया ने की। इसके बाद लॉर्ड बिलिमोरिया और सद्‌गुरु के बीच काफी दिलचस्प बातचीत हुई।

एक्सेल लंदन में भारी भीड़ को संबोधन (20 मार्च)

‘मिट्टी बचाओ’ यात्रा के आधिकारिक शुभारंभ से एक दिन पहले, सद्‌गुरु ने एक्‍सेल लंदन में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में 6000 से ज्‍यादा प्रतिभागियों को संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में एक नन्‍हीं सी बच्‍ची ने मंच पर आकर सद्‌गुरु को आने वाली कठिन यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम स्‍थल के बाहर भारी तादाद में जमा लोगों ने सद्‌गुरु को अपनी बाइक पर कूदकर चढ़ते और सवार होकर जाते देखा।

लंदन में ‘हाउसेज ऑफ पार्लियामेंट’ से मिट्टी बचाओ यात्रा आधिकारिक रूप से शुरू हुई (21 मार्च)

जब ऐतिहासिक बिग बेन घड़ी ने 2:00 बजाए, सद्‌गुरु के चारों ओर एक उत्‍साही भीड़ इकट्ठी हो गई। सद्‌गुरु के बाइक पर सवार होते ही, उन्‍होंने उनका हौसला बढ़ाया और अपना प्‍यार दर्शाते हुए उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं। दिल को छूने वाले एक ट्वीट में सद्‌गुरु ने हर किसी को ‘मिट्टी की बात करने, मिट्टी का गीत गाने, मिट्टी को सांस में भरने, और मिट्टी को जीने’ का निमंत्रण दिया और कहा कि अगले 100 दिनों तक ‘पूरी दुनिया को एक मकसद के लिए एक ऊर्जा से स्‍पंदित होना चाहिए।’

एम्सटर्डम (22 मार्च)

सद्‌गुरु का स्वागत करने और उनको सुरक्षित यात्रा की शुभकामनाएं देने के लिए युवाओं और बुजुर्गों का एक समूह सड़कों पर कतार में खड़ा था, जिसमें नेदरलैंड के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्‍स के सदस्‍य टीजर्ड डी ग्रोट भी शामिल थे।

सद्‌गुरु के शिड्यूल में तीन कार्यक्रम थे। इसकी शुरुआत कोपर्ट बायोलॉजिकल सिस्टम्स एक्सपीरियंस सेंटर में एक पैनल चर्चा के साथ हुई जिसका विषय टिकाऊ कृषि और बागवानी था।

बाद में, सद्‌गुरु ने नेदरलैंड में भारत की राजदूत रीनत संधू से मुलाकात की और भारतीय दूतावास में एक पत्रकार सभा में पत्रकारों को संबोधित किया।

शाम को, राय एम्स्टर्डम कन्वेंशन सेंटर में सद्‌गुरु का एक सार्वजनिक कार्यक्रम था, जिसे गेम ऑफ थ्रोन्स से प्रसिद्ध कैरिस वैन हाउटन द्वारा आयोजित किया गया था। कैरिस ने मिट्टी के लिए अपनी गहरी चिंता व्यक्त की, ख़ास तौर पर मिट्टी को एक छोटे बच्चे की माँ के रूप में देखते हुए। सद्‌गुरु ने अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस विरासत को बचाए रखने के महत्व की चर्चा की। भाषण के अंत में, जब एक छोटी बच्ची सद्‌गुरु को पिस्ता देने के लिए मंच पर पहुँची तो दर्शकों की हंसी छूट गई।

बर्लिन (24­­–26 मार्च)

सद्‌गुरु के भाषणों का कार्यक्रम अपनी रफ्तार से लगातार चलता रहा। मशहूर डांसर और कोरियोग्राफर निकिता थॉम्पसन ने बर्लिन फैक्ट्री में सद्‌गुरु से बातचीत की। सद्‌गुरु ने हमारे भोजन की पौष्टिकता पर खराब मिट्टी के खतरनाक प्रभावों के बारे में बताया।

इसके बाद होटल बर्लिन में फैशन मॉडल, अभिनेत्री और मानवतावादी टोनी गैर्न के साथ सद्‌गुरु की एक दिलचस्प बातचीत हुई। पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के निदेशक, सम्मानित स्वीडिश पर्यावरण वैज्ञानिक जोहान रॉकस्ट्रॉम ने भी होटल बर्लिन वाले कार्यक्रम में अपनी बात रखी और मिट्टी बचाओ अभियान के पीछे के विज्ञान की सराहना की। सद्‌गुरु ने मिट्टी के विलुप्त होने के कई दुष्परिणामों के बारे में चेताया, जिनमें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना और युद्ध शामिल थे।

बर्लिन में अपने दूसरे दिन, सद्‌गुरु लोकल अर्थ बडीज़ के एक जोशीले दल से मिले और एक दीवार पर बनाए गए 50 फुट लंबे मिट्टी बचाओ भित्ति चित्र में अपना योगदान दिया। उन्होंने कलाकारों से इस वैश्विक अभियान के लिए आगे बढ़कर कलाकृतियां बनाने की अपील की।

अंत में, सद्‌गुरु बर्लिन में भारतीय दूतावास में रुके, जहाँ जर्मनी में भारत के राजदूत पर्वतानेनी हरीश ने बहुत गर्मजोशी से उनका स्वागत किया।

सद्‌गुरु ने प्राग जाने से पहले बर्लिन के प्रतिष्ठित ब्रैंडेनबर्ग गेट पर भाषण दिया। उन्होंने मिट्टी को एकजुट करने वाली शक्ति बताया और कहा कि यह क्षण एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, अगर हम यह देखें कि हम इसके साथ और आपस में एक दूसरे के साथ कैसा बर्ताव करते हैं।

प्राग (26-27 मार्च)

मिट्टी बचाओ यात्रा का अगला पड़ाव प्राग था। चार्ल्स ब्रिज से गुजरते समय एक उत्साही भीड़ ने सद्‌गुरु का स्वागत किया। फिर सद्‌गुरु ने उन्हें संबोधित किया और उन्हें प्रेरित किया कि वे दिखाएँ कि वे एक ऐसी पीढ़ी हैं जो अपना और आने वाली पीढ़ियों का कल्याण चाहती हैं।

प्राग स्थि‍त भारतीय दूतावास में, सद्‌गुरु ने पर्यावरण मंत्री की डिप्टी (ईवा वोल्फोवा) और कृषि मंत्री के डिप्टी (राडेक लानू) से मुलाकात करते हुए उन्हें एक वैश्विक नीति ड्राफ्ट और ‘सॉल्यूशन हैंडबुक टू सेव सॉयल’ भेंट किया जो क्षेत्र के अक्षांश, जलवायु, आर्थिक परिस्थितियों और पारंपरिक कृषि पद्धतियों को ध्यान में रखते हुए शीर्ष वैज्ञानिकों के परामर्श से तैयार किया गया है।

फिर, सद्‌गुरु ने होटल प्राहा में ध्यानपूर्वक सुन रहे दर्शकों के सामने चेक गणितज्ञ कारेल जेनसेक के साथ मिट्टी बचाओ अभियान पर चर्चा की। सद्‌गुरु ने दो घंटे तक चलने वाले इस सार्वजनिक कार्यक्रम का समापन करते हुए इस अभियान को न केवल एक इकोलॉजिकल कोशिश बताया, बल्कि मानव जाति के लिए सभी को एकजुट करने वाली एक सामान्य चीज़ – ‘मिट्टी’ के लिए साथ आने का एक जबरदस्त अवसर भी बताया।

विएना (27-28 मार्च)

एजेंडे में अगला पड़ाव वियेना था। सद्‌गुरु भारतीय दूतावास में, ऑस्ट्रिया में भारत के राजदूत जयदीप मजूमदार से मिले, जिन्होंने चुटकी ली कि मिट्टी बचाओ अभियान के समर्थकों की संख्या ऑस्ट्रियाई आबादी से भी अधिक हो गई है।

इसके बाद, स्थानीय मिट्टी बचाओ समर्थकों ने मारिया-थेरेसियन-प्लात्ज़ में सद्‌गुरु का स्वागत किया। उन्होंने वहाँ मौजूद सभी लोगों से दुनिया को यह बताने का आग्रह किया कि वे मिट्टी का एक हिस्सा हैं। इसके बाद, सद्‌गुरु ने मेसी वियेन कांग्रेस सेंटर में खचाखच भरे हॉल में भाषण दिया।

लुब्लियाना (29 मार्च)

सद्‌गुरु का पहला पड़ाव भारतीय दूतावास था, जहाँ स्लोवेनिया में भारत की राजदूत नम्रता एस. कुमार ने उनका स्वागत किया।

सद्‌गुरु ने स्लोवेनियाई अर्थ फ्रेंड्स की एक सभा से बात की और बताया कि मिट्टी बचाओ आंदोलन एक रूखा पारिस्थितिक आंदोलन नहीं है, बल्कि यह इंसान को एक अद्भुत इंसान बनने और खिलने के लिए खेती करने के बारे में है।

बाद में, उन्होंने लगभग 2000 उत्साही दर्शकों के सामने अभिनेता गोरान विष्णजीक के साथ सार्वजनिक चर्चा की। लोगों को कैसे प्रेरित किया जाए, इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में, सद्‌गुरु ने अपनी सरकारों को कार्यवाही करने पर मजबूर करने के लिए मिट्टी को बचाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने के महत्व पर जोर दिया। दर्शक सद्‌गुरु के लिए एक फ्रिस्बी भी लेकर आए थे (हर कोई उनके किलर थ्रो के बारे में जानता है), और हमेशा चुनौती लेने को तैयार सद्‌गुरु मंच पर खड़े होकर दर्शकों के बीच उसे फेंकते रहे।

वेनिस (30 मार्च)

‘का फोस्कारी यूनि‍वर्सिटी’ में, एक उत्सुक और उत्साही भीड़ ने सद्‌गुरु का स्वागत किया। यूनिवर्सिटी में, सद्‌गुरु ने विशेषज्ञों के साथ एक पैनल चर्चा में दुनिया को मिट्टी को बचाने के महत्व के बारे में बताया।

बाद में एक साधक सद्‌गुरु को वेनिस में गोंडोला की सवारी के लिए ले गया। वहाँ एक नहर पर बने पुल पर बहुत से लोग सॉयल सॉन्ग गाते हुए इकट्ठा हो गए।

रोम (31 मार्च ­– 3 अप्रैल)

रोम में, सद्‌गुरु का कार्यक्रम फिर से चरम पर था। सद्‌गुरु ने कृषि मंत्रालय के अवर सचिव फ्रांसेस्को बत्तीस्टोनी से मुलाकात की। उन्होंने यूरोपीय संसद के पूर्व राष्ट्रपति एंटोनियो तजानी से भी मुलाकात की, जिन्होंने इस अभियान की सराहना की।

इसके बाद वेटिकन में सेक्रेटेरियट ऑफ स्टेट, द डिकास्टरी फॉर प्रमोटिंग इंटीग्रल ह्यूमन डेवलपमेंट और संयुक्त राष्ट्र खाद्य व कृषि संगठन (यूएनएफएओ) के कार्यालयों की तरफ से सद्‌गुरु का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उन्होंने यूएनएफएओ के उप महानिदेशक मारिया हेलेना सेमेदो से मुलाकात की, जिन्होंने पूरे दिल से मिट्टी बचाओ अभियान को अपनाया और बताया कि यह अभियान यूएनएफएओ के लक्ष्यों के अनुरूप है।

अगली शाम, रेडियो प्रेज़ेंटर कार्लो पास्टर द्वारा एक लाइव संगीत कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें लोकप्रिय कलाकारों फैबियो वोलो, जियोवानी कैकामो, नोएमी, मलिका अयाने और एलिसा ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियां दीं।

प्रस्तुतियों के बाद एक संक्षिप्त संबोधन में, संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) में सहायक कार्यकारी निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी मनोज जुनेजा ने सद्‌गुरु के समावेशी दृष्टिकोण की सराहना की और मिट्टी बचाओ अभियान को अपना पूरा समर्थन दिया।

रोम में तीसरे दिन, जेनेवा के लिए निकलने से पहले, लोग सद्‌गुरु से मिलने के लिए कोलेज़ियम के बाहर इकट्ठा हुए। सद्‌गुरु ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह किसी पीढ़ी के जीवन-काल में एक बार आने वाली स्थिति नहीं है, बल्कि मानव इतिहास में यह पहली बार है कि दुनिया भर में मिट्टी की गुणवत्ता खराब हुई है। उन्होंने हमसे स्थितियों को बदलने वाली पीढ़ी बनने का आग्रह किया।

जेनेवा (5­–6 अप्रैल)

दिन की शुरुआत जेनेवा में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में सद्‌गुरु की एक बैठक के साथ हुई। उसके बाद, सद्‌गुरु ने संयुक्त राष्ट्र में यूएनओजी, डब्ल्यूएचओ और आईयूसीएन सहित वैश्विक संगठनों के नेताओं के एक पैनल के बीच मिट्टी बचाओ अभियान की बात की। जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र का सबसे बड़ा सम्मेलन कक्ष उत्साही दर्शकों से भरा हुआ था, और इस अभियान को एक मत से पहचान और तालियाँ मिलीं।

कार्यक्रम में मौजूद दूसरे वक्ताओं में डॉ. नाओको यामामोटो (सहायक महानिदेशक, डब्ल्यूएचओ), स्टीवर्ट मैगिनिस (उप महानिदेशक, आईयूसीएन), इंद्र मणि पांडे (संयुक्त राष्ट्र जेनेवा में भारत के राजदूत), और संयुक्त राष्ट्र जेनेवा के महानिदेशक की प्रतिनिधि नादिया इस्लर शामिल थीं।

इस ज्ञानवर्धक पैनल इवेंट के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें - पेज 4.

इसके बाद सद्‌गुरु ने मिट्टी के संरक्षण के महत्व और इस महत्वपूर्ण अभियान की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी आवाज उठाने के महत्व के बारे में अर्थवॉर्म फाउंडेशन के सीईओ बेस्टियन सचेत के साथ एक मनोरंजक चर्चा करते हुए मंच संभाला।

उस शाम, शहर के सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में से एक, जेनेवा का प्रतिष्ठित जेट डी'फाउंटेन इस अभियान के समर्थन में सेव सॉयल कलर्स में जगमगा उठा!

पेरिस (8–10 अप्रैल)

पेरिस में, सद्‌गुरु ने फ्रांस के फॉनटेनब्लियू में इनसीड बिजनेस स्कूल में छात्रों से बात की। ‘4 प्रति 1000 : खाद्य सुरक्षा और जलवायु के लिए मिट्टी’ पहल ने मिट्टी बचाओ अभियान के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। आखिर में, फिर से, सद्‌गुरु ने भारी संख्या में जोशीले दर्शकों से बात की।

इस कार्यक्रम में जीन फ्रांकोइससौसाना (फ्रांसीसी राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष), क्लेयर चेनू (फ्रांसीसी राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसंधान निदेशक), पॉल लू (कार्यकारी सचिव 4p1000), और जावेद अशरफ (फ्रांस में भारत के राजदूत) ने भाग लिया।

सद्‌गुरु ने पेरिस के ऐतिहासिक एफिल टावर के सामने दर्शकों से बात की और कहा कि जागरूकता और जिम्मेदारी से हम दुनिया भर में मिट्टी का कायाकल्प करने के लिए कदम उठा सकते हैं।

ब्रुसेल्स (10–11 अप्रैल)

बेल्जियम के एक प्रमुख रिटेल कोऑपरेशन, कोलरूट ग्रुप के कार्यकारी अध्यक्ष, जेफ कोलरूट ने सद्‌गुरु से मुलाकात की और मिट्टी के स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्य के आपसी संबंध पर चर्चा की। बाद में, सद्‌गुरु ने अलग-अलग उद्योगों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को संबोधित किया, और जागरूक कारोबारों को तैयार करने के महत्व पर जोर दिया।

सद्‌गुरु ने ब्रुसेल्स के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल एटोमियम में मिट्टी बचाओ के समर्थकों से बात की, उन्हें याद दिलाया कि इस अभियान का सार यह है कि यह किसी के खिलाफ नहीं है - यह एक प्रेम प्रसंग है।

मैसीज गोलुबिवस्की (यूरोपीय संघ के कृषि आयुक्त के कैबिनेट प्रमुख) और साल्वाटोर डी मेओ (यूरोपीय संसद, कृषि और ग्रामीण विकास समिति के सदस्य) ने भी ब्रुसेल्स में सद्‌गुरु से मुलाकात की, और सद्‌गुरु ने उन्हें मिट्टी बचाओ नीति की सिफारिशों के दस्तावेज की प्रतियां भेंट कीं।

बाद में, बेल्जियम में भारत के राजदूत संतोष झा ने बेल्जियम स्थित भारतीय दूतावास में सद्‌गुरु के साथ एक कार्यक्रम आयोजित किया।

अंत में, ब्रुसेल्स में पैट्रीज़िया हीडेगर (यूरोपीयन एनवायरनमेंटल ब्यूरो में डायरेक्टर फॉर ग्लोबल पॉलिसीज एंड सस्टेनेबिलिटी) मिट्टी बचाओ अभियान पर चर्चा करने के लिए सद्‌गुरु के साथ आईं, इस कार्यक्रम के मॉडरेटर अभिनेता कोएन डि बोउ थे। इस कार्यक्रम में ग्रैमी विजेता कांगोली-स्वीडिश संगीतकार, गायक, संगीतकार और नर्तक मोहंबी की एक लाइव प्रस्तुति शामिल थी।

बोन्न (13 अप्रैल)

बॉन में यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के डिप्टी एक्जीक्यूटिव सेक्रेटरी ओवैस सरमद ने सद्‌गुरु का स्वागत किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को पलटने में मिट्टी की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की और सद्‌गुरु ने उन्हें नीति दस्तावेज की एक प्रति सौंपी।

यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के एक्जीक्यूटिव सेक्रेटरी इब्राहिम थियाव ने सद्‌गुरु के साथ मिट्टी बचाओ अभियान और मिट्टी को बचाने के लिए ठोस कार्रवाई के महत्व के बारे में बातचीत की।

बाद में, सद्‌गुरु ने एलिज़ाबेथ विंकेलमेयर-बेकर (जर्मन बुंडेस्टाग के सदस्य, फेडरल मिनिस्ट्री फॉर इकोनॉमिक अफेयर्स एंड एनर्जी में पार्लियामेंटरी स्टेट सेक्रेटरी) से भी मुलाकात की और उनसे मिट्टी में जैविक तत्व की वृद्धि से होने वाले कई आर्थिक लाभों के बारे में बात की।

कोलोन (13 अप्रैल)

कोलोन में सद्‌गुरु ने गहरी दिलचस्पी दिखाने वाले दर्शकों से बात की। उन्होंने अभियान की बढ़ती रफ्तार की बात की, और कैसे सरकारें मिट्टी के बारे में पहले से कहीं अधिक बात कर रही हैं। लेकिन उन्होंने चेताया कि यह मुद्दा ऐसा नहीं है, जहाँ थोड़ा बहुत काम करके रुका जा सकता है, मिट्टी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसलिए इसे दुनिया भर की सरकारों की बातचीत का मुख्य विषय होना चाहिए।

सद्‌गुरु ने यूरोपीय संघ में एक बहुत प्रभावशाली देश के रूप में जर्मनी की भूमिका के महत्व पर भी जोर दिया। कार्यक्रम के समापन में बच्चों ने सद्‌गुरु को फूलों का मुकुट और कलाकृति भेंट की।

फ़्रंकफ़र्ट (14 अप्रैल)

सद्‌गुरु ने फ्रैंकफर्ट के ऐतिहासिक रोमरबर्ग स्क्वायर में एक उत्साही भीड़ को संबोधित किया। उन्होंने जर्मनी के फेडरल मिनिस्ट्री फॉर एजुकेशन की उत्साहजनक प्रतिक्रिया और मिट्टी बचाओ अभियान में उनके बच्चों की भागीदारी के बारे में बताया।

ब्रातिस्लावा (16 अप्रैल)

जब सद्‌गुरु ब्रातिस्लावा पहुंचे तो सांसद रोमाना ताबक और स्लोवाकिया में भारतीय दूतावास की उप-राजदूत सुनीता नारंग और अर्थ बडीज के एक सेलिब्रेटरी बैंड ने उनसे मुलाकात की। उन्होंने मिट्टी की स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत के बारे में बात की और फिर कुछ युवा दर्शकों से मुलाकात की। रोमाना ने सद्‌गुरु को स्लोवाकिया की संसद में आने का न्यौता दिया।

बाद में सद्‌गुरु ने निमंत्रण स्वीकार किया और रोमाना के साथ एक बार फिर मुलाकात की, और स्लोवाकिया के उप कृषि मंत्री मार्टिन क्वाक के साथ भी मुलाकात की। उन्होंने बढ़ते जल स्तर के भावी प्रभाव को कम करने के लिए, जिसका यूरोप को सामना करना पड़ सकता है, मिट्टी पर वनस्पति कवर के महत्व के बारे में बात की।

बुडापेस्ट (17 अप्रैल)

सद्‌गुरु ने बुडापेस्ट के हीरोज स्क्वायर में अर्थ बडीज़ से मुलाकात की, जहां उन्होंने अपने पैरों के नीचे की मिट्टी को संरक्षित करने और उसमें पलने वाले जीवन के विभिन्न रूपों में एक नायक की भूमिका की बात की। हंगरी में भारतीय दूतावास के एक प्रतिनिधि ने सद्‌गुरु का तहे दिल से स्वागत किया। उन्होंने सभी को खुश करते हुए 2023 में एक कार्यक्रम के लिए शहर लौटने का वादा किया, अगर शहर की आवाज जोर से और स्पष्ट रूप से सुनाई दे।

हंगरी में सद्‌गुरु का नेशनल ज्योग्राफिक के साथ एक इंटरव्यू भी था, जहां उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मिट्टी और पारिस्थितिकी को हर राजनीतिक दल की चिंता का विषय होना चाहिए।

बेलग्रेड (18 अप्रैल)

बेलग्रेड में सद्‌गुरु रिपब्लिक स्क्वायर पहुंचे और वहाँ एक स्नेहिल भीड़ और सर्बिया में भारत के राजदूत संजीव कोहली ने उनका स्वागत किया। सद्‌गुरु ने सभी से आग्रह किया कि वे अपने आस-पास के हर जीवन के लिए, और अपने खुद के जीवन के लिए भी प्यार और सरोकार की सच्ची भावना से इस अभियान का समर्थन करें।

सद्‌गुरु ने सर्बिया के उप कृषि मंत्री को सॉयल रीवाइटलाइजेशन हैंडबुक भी भेंट की और मंत्री तथा आंदोलन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए।

सोफिया (19 अप्रैल)

सद्‌गुरु के सोफिया पहुंचने पर उनका हार्दिक स्वागत किया गया। इस शहर की अपनी पहली यात्रा के दौरान, सद्‌गुरु ने पर्यावरण, जलवायु नीति और जल मंत्री, बोरिस्लाव सैंडोव से मुलाकात की, जिन्होंने इस अभियान को उत्साहपूर्वक समर्थन दिया।

बल्गेरियाई क्वॉयर, कॉस्मिक वॉयस, ने इस सार्वजनिक कार्यक्रम में एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी। सद्‌गुरु ने बताया कि कैसे आजकल के लोगों के पास इतने साधन होने के बावजूद वे खुशी के करीब नहीं आ पाए हैं क्योंकि मानवीय अनुभव भीतर से आता है। पर्यावरण मंत्री, बोरिसलाव सैंडोव ने भी लाइव इवेंट के दौरान इस अभियान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।