जीवन के प्रश्न

झगड़ालू लोगों से निपटने के तीन तरीक़े

एक बच्चा जानना चाहता है कि वह क्या कर सकता है, जब उसके माता-पिता लड़ रहे हों। सद्‌गुरु एक समझदारी भरा उत्तर देते हैं, जो किसी के लिए भी, किसी भी तरह के रिश्ते में और किसी भी उम्र में प्रासंगिक है।

प्रश्नकर्ता: जब मेरे माता-पिता के बीच लड़ाई होती है, मैं अक्सर खुद को फँसा हुआ पाता हूँ। यह बहुत अजीब स्थिति होती है, इसे कैसे संभालें?

सद्‌गुरु: बड़े लोग आम तौर पर छोटी चीज़ों को लेकर लड़ते हैं। दुर्भाग्य से ये लड़ाइयां इतनी भद्दी हो जाती हैं कि वे दूसरों के जीवन को भी भद्दा बना देती हैं। हालाँकि वे लड़ने के लिए साथ नहीं आए थे। वे बहुत प्यार, स्नेह और चाहत से एक साथ आए थे, लेकिन अब रिश्ता ऐसा बन गया है। अगर आप कम उम्र में ऐसी चीज़ें देखते हैं, तो आपको यह तय कर लेना चाहिए कि बड़े होकर आप इस तरह से अपना जीवन नहीं चलाने वाले। ऐसा सिर्फ पति और पत्नी के बीच नहीं होता – किसी भी रिश्ते में हो सकता है। आप जिस व्यक्ति के बगल में बैठे हैं, वह अनजाने में आपके कपड़े या किसी चीज़ पर पैर रख दे, तो ऐसा लगता है मानो साही की तरह आपके बदन पर काँटे निकल आएँ हों।

रिश्ते जितने खूबसूरत हो सकते हैं, अगर आप उन्हें ठीक से न संभालें, तो वे आपके जीवन का सबसे बदसूरत हिस्सा भी बन सकते हैं।

इन घरेलू झगड़ों के लिए साही एक सही उदाहरण है। शुरू में, वे अपने काँटे दिखाते हैं, फिर वे हमला करने का दिखावा करते हैं। फिर एक समय वे बेकाबू हो जाते हैं, और कुछ समय बाद असली हमले शुरू हो जाते हैं। रिश्ते जितने खूबसूरत हो सकते हैं, अगर आप उन्हें ठीक से न संभालें, तो वे आपके जीवन का सबसे बदसूरत हिस्सा भी बन सकते हैं। ऐसा इसलिए नहीं होता कि किसी ने कुछ गलत किया होता है – बस ऐसा हो जाता है। अधिकांश बार लोग बहुत मामूली चीज़ों पर लड़ते हैं लेकिन वे मामूली चीज़ें उनके लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती हैं।

लोग अलग हो जाते हैं, चीज़ें भद्दी हो जाती हैं। अच्छा-ख़ासा जीवन जी चुका कोई व्यक्ति कभी न कभी किसी बुरे रिश्ते से गुज़र चुका होता है। आप उसे कितनी भी समझदारी से निभाना चाहें, कहीं न कहीं वह गड़बड़ा ही जाता है। जब दूसरे लोग आपसे बुरी चीज़ें कहते हैं, आप पर भद्दे आरोप लगाते हैं या आपके साथ बुरी चीज़ें करते हैं तो उसके परे देखने और जीवन में गरिमापूर्ण तरीके से आगे बढ़ने के लिए एक समझदारी चाहिए।

बुराई के भँवर में मत फँसिए

देश, समुदाय या परिवार में जो कुछ भी बुरा हो रहा है, उसकी उथल-पुथल में फँसने के बजाय हर किसी को यह समझदारी दिखानी चाहिए। अगर हम उससे ऊपर उठेंगे तो हम सफल इंसान बन जाएंगे। वरना मैंने अद्भुत योग्यताओं वाले कई प्रतिभाशाली लोगों को देखा है जो बुरे रिश्तों के भँवर में फँस जाते हैं। अपने साथ कभी ऐसी चीज़ें मत होने दीजिए।  अगर आप खुद को अपने भीतर ऐसी स्थिति में ले आते हैं, जहाँ आप कितने आनंदमय या दुखी हैं, यह आप तय करते हैं, कोई दूसरा नहीं, तो आप देखेंगे कि चाहे कोई आप पर पत्थर भी फेंक रहा हो, उसके पत्थर फेंकना बंद करने के बाद आप खुशी-खुशी उस हालात से बाहर आ सकते हैं।

कोई व्यक्ति कुछ बुरा इसलिए कहता है क्योंकि उनके अंदर कुछ बुरा चल रहा होता है।

पिछले कुछ दशकों में सार्वजनिक जीवन जीते हुए, मैंने ढेर सारी पत्थरबाजी देखी है। लोगों ने मुझ पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। छोटे स्तर पर इस तरह की चीज़ें परिवारों के अंदर भी हो रही हैं। कोई व्यक्ति कुछ बुरा इसलिए कहता है क्योंकि उनके अंदर कुछ बुरा चल रहा होता है। आप कुछ बुरा मुंह से नहीं निकाल सकते, जब तक आपके भीतर कुछ बुरा नहीं हो रहा। तो, अगर कोई कुछ बुरा कहता है, तो उसे आपके प्यार, करुणा या फिर दूरी की जरूरत है। शुरू में प्यार से ठीक करने की कोशिश कीजिए, अगर वह काम नहीं करता तो करुणा आज़माइए, अगर वह भी काम नहीं करता तो फिर दूरी बनाइए। लेकिन बुराई के भँवर में मत फँसिए क्योंकि वह आपको अंदर खींच लेगा और उसका कोई अंत नहीं होगा।एक छोटे बच्चे के लिए, माता-पिता के साथ होने वाली चीज़ एक बड़ा मुद्दा होती है। लेकिन कुछ समय बाद, वे क्या करते हैं या क्या नहीं करते, वह आपके जीवन पर असर नहीं डालता – आप उससे आगे बढ़ जाएंगे। अभी अगर आपके माता-पिता आपको यह अवसर दे रहे हैं कि आप जल्दी से इससे आगे निकल जाएं, तो कृपया इसका लाभ उठाइए। यह काम हर किसी को करना चाहिए – कुछ भी आपके सामने आए, उसे अपने लिए एक सीढ़ी बना लीजिए।

शंकरन पिल्लै का चतुर गधा

एक बार ऐसा हुआ कि शंकरन पिल्लै के पास एक बूढ़ा गधा था। उसने उसे बेचने की कोशिश की लेकिन कोई उसे खरीदना नहीं चाहता था। फिर एक सुबह, वह गधा बहुत करुण स्वर में रेंक रहा था, क्योंकि वह एक खुले, सूखे कुएं में गिर गया था। गधा बहुत डरा हुआ था। वह बाहर आना चाहता था इसलिए वह भयानक आवाज़ें निकाल रहा था। शंकरन पिल्लै के दोस्त और पड़ोसी किसानों ने आकर स्थिति को देखा। उन्होंने कहा, ‘यह एक बूढ़ा और बेकार गधा है। वैसे भी हमने तुमसे बहुत पहले कहा था कि तुम्हें इस सूखे कुएं को भर देना चाहिए। चलो गधे को भीतर ही छोड़कर हम इसे भर दें।’

वे टोकरी भर-भरकर कुएं में मिट्टी डालने लगे। जब भी गधे के ऊपर टोकरी भर मिट्टी गिरती, गधा मिट्टी को झाड़कर उसके ऊपर खड़ा हो जाता। इस तरह वह ऊपर की तरफ आता रहा। उन्होंने देखा, ‘अरे वाह, यह वाकई चतुर गधा है।’ जब वे और मिट्टी फेंकते गए, वह ऊपर आता गया और आखिरकार निकलकर चल दिया। अचानक से शंकरन पिल्लै को अपने बुद्धिमान गधे पर प्यार आ गया। उसने जाकर उसे गले लगाना चाहा, लेकिन गधे ने पीछे मुड़कर उसके चेहरे पर दुलत्ती मारी और चला गया।

चाहे जीवन आपके ऊपर कुछ भी फेंके, उसे झाड़कर उस पर खड़े हो जाइए। आपके जीवन का हर अनुभव आपके लिए बेहतर, और समृद्ध करने वाला होना चाहिए। बढ़िया अनुभव की तलाश में मत रहिए। आपके रास्ते में जो कुछ भी आए, उसे अपने विकास, समझदारी और खुशहाली का आधार बना लीजिए। आप कभी यह तय नहीं कर सकते कि दुनिया आपके ऊपर क्या फेंकेगी, लेकिन आप उससे क्या बनाते हैं, यह सौ फीसदी आपका फैसला है। आपको अपनी तरफ आने वाली हर चीज़ से बेहतरीन चीज़ बनानी चाहिए।

आपके रास्ते में जो कुछ भी आए, उसे अपने विकास, समझदारी और खुशहाली का आधार बना लीजिए।

अगर छोटी उम्र में आपके जीवन में ढेर सारी बुरी घटनाएं होती हैं, तो आपको बाकी हर किसी से जल्दी समझदार बन जाना चाहिए। लेकिन ज्यादातर लोग जख्मी होना चुनते हैं। लोग अपने जख्मों को किसी तमगे की तरह लगाकर रखते हैं, ‘आप जानते हैं, मेरे साथ क्या हुआ?’ दूसरे लोगों ने आपके साथ क्या किया, सवाल यह नहीं है। आपने अपने साथ क्या किया है, यह बड़ा सवाल है। आपको अपने साथ बेहतरीन करना चाहिए।