चर्चा में

संदीप नारायण : हिमालय की मोटरसाइकल यात्रा आध्यात्मिक अनुभव में बदल गई

कर्नाटक संगीत के प्रसिद्ध गायक संदीप नारायण के साथ बर्फीली चोटियों की उनकी यात्रा में चलिए हम भी शामिल होते हैं। इस यात्रा में वह अपनी सीमाओं का विस्तार करके सद्‌गुरु और दूसरे मोटरसाइकल सवारों के साथ हिमालय के एक एडवेंचर में आध्यात्मिकता का स्वाद चखते हैं।

प्रश्नकर्ता: दोपहिया पर हिमालय यात्रा का आपका पहला अनुभव कैसा रहा?

सीमाओं को आगे बढ़ाना

संदीप: मोटरसाइकल पर या वैसे भी यह मेरी पहली हिमालय यात्रा थी। यह मेरे लिए बिलकुल नया अनुभव था। मेरे लिए सिर्फ यही चीज़ नई नहीं थी। मैं कई बार शहर के भीतर या हाइवे पर छोटी-मोटी राइड्स पर गया था लेकिन मैंने कभी इतनी लंबी यात्रा पर बाइक नहीं चलाई थी – और वह भी एक बिलकुल अलग इलाक़े में। 

कावेरी कॉलिंग के दौरान, मुझे उस विशाल रैली में बाइक के पीछे बैठने का मौका मिला था, तब से मुझे बाइक की सवारी में मज़ा आने लगा था। पूरी रैली के दौरान रैली में शामिल बाइकर मुझे बोलते रहे, ‘आपको भी बाइक चलाना सीखना चाहिए।’ तो, जब कावेरी कॉलिंग रैली समाप्त हुई, मैंने अपने एक दोस्त की बाइक ली और चेन्नई में उस पर घूमना शुरू कर दिया। इस साल की शुरुआत में, मैंने एक एडवेंचर बाइक ले ली।    

उससे पहले, मैंने सद्‌गुरु से पूछा था, ‘क्या मैं हिमालय की यात्रा पर आ सकता हूँ? क्या मैं वैसे इलाके में बाइक चला सकता हूँ?’ उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं अच्छी बाइक चला रहा हूँ और हिमालय की सड़कें बहुत मुश्किल नहीं हैं। फिर भी उन्होंने यात्रा पर जाने से पहले मुझे थोड़ा और अभ्यास करने की सलाह दी। 

मेरी पहली बाइक एक बेनेली लियोन्सिनो 500 थी, जो एक तेज़ रफ़्तार बाइक है। वह ऐसे इंसान के लिए बहुत बढ़िया बाइक है, जिसने पहले कभी बाइक नहीं चलाई है। मेरे ख्याल से सद्‌गुरु उसे ‘मोटर वाली साइकिल’ कहते थे। वह बहुत फुर्तीली और चलाने में आसान भी है, जिसने मुझे सहज होकर ठीक से बाइक चलाना सीखने में मदद की।

मोटरसाइकिल एडवेंचर की तैयारी

हिमालय की यात्रा से कुछ समय पहले, सद्‌गुरु ने सुझाव दिया कि मुझे एक बड़ी बाइक लेनी चाहिए। और यात्रा से छह महीने पहले, हमने एक ट्रायंफ टाइगर 850 स्पोर्ट बाइक खरीदी। इससे बहुत फर्क पड़ा, क्योंकि यह बाइक ज्यादा बड़ी, ज्यादा पावरफुल थी और ज्यादा स्मूथ और आरामदेह सवारी देती थी।

दो साल के भीतर जीवन में कभी बाइक न चलाने वाले इंसान से अचानक मैं हर किसी के साथ हिमालय में बाइक चलाने लगा। उन दो सालों में लॉकडाउन के कारण मुझे मुश्किल से बाइक चलाने का मौका मिला। लेकिन फिर भी मैं वहाँ पहुँचा और काफी अच्छे से। वाक़ई बहुत मज़ा आया। 

मैं यह नहीं कहूँगा कि यह आसान था, कुछ इलाके बहुत कठिन थे। मैं सावधानी से बाइक चलाता था, भले ही मैं सद्‌गुरु या आगे चलने वाले दूसरे बाइकर्स के साथ न चला पाऊँ। जरूरत पड़ने पर मैं अधिक सुरक्षित चलाने लगता था, लेकिन अधिकांश समय मैं उनके साथ चल पा रहा था। मैंने जरूरत से ज्यादा ज़ोर लगाए बिना एक चुनौती की तरह इसे लिया।

केदारनाथ में गाना

प्रश्नकर्ता: मुझे थोड़ा और बताइए कि हिमालय में क्या हुआ। हमने लोगों को लैंडस्लाइड की बात करते सुना। उसके अलावा, क्या कुछ और था, जो आप हमसे साझा करना चाहेंगे?

संदीप: जब हम केदारनाथ मंदिर पहुँचे, एक बड़ी भीड़ इकट्ठा हो गई थी। मैं मंदिर या उस स्थान का उस तरह से अनुभव नहीं कर पा रहा था, जैसे मैं चाहता था, कि वह ऊर्जा स्थान है या नहीं। मुझे भीड़-भाड़ पसंद नहीं है और मैं आम तौर पर उससे दूर ही रहता हूँ। लेकिन जब हम अपने कमरे में वापस गए, तो सद्‌गुरु ने कहा कि हम सभी को वापस मंदिर जाना चाहिए, अगर हम चाहें। मुझे उन्होंने सुझाव दिया कि मुझे वहाँ एक गीत गाना चाहिए।

तो हम मंदिर वापस गए। हालांकि ये अनुभवजन्य चीज़ें आम तौर पर मंदिरों में मेरे साथ नहीं होतीं, लेकिन मैंने कुछ बहुत शक्तिशाली सा महसूस किया। जब हम वहाँ बैठे थे, मुझे गाना गाने की इच्छा हुई। मुझे ऐसी जगहों पर गाना पसंद है, जहाँ चारों ओर पहाड़ और प्रकृति का विस्तार हो। मेरे लिए आध्यात्मिक पक्ष हमेशा मेरे संगीत के जरिए आता है। जब मैं संगीत का रियाज़ करता हूँ, किसी कंसर्ट में परफॉर्म करता हूँ या जब मैं वाकई संगीत में गहरे डूबा होता हूँ, तो मेरे भीतर कुछ बदल जाता है और मैं अलग महसूस करता हूँ। 

जब गायन एक आध्यात्मिक अनुभव में बदल गया

जब मैंने वहाँ गाना गाया, तो मैंने महसूस किया कि थोड़ी देर के लिये आँखें बंद करके बैठने की इच्छा हो रही है। वैसे मैं उस तरह का इंसान नहीं हूँ, जो मंदिर में आँखें बंद करके बैठता हो। लेकिन उस दिन मुझे कुछ अलग महसूस हुआ। मैंने दूसरा गाना भी गाया – ऐसा लग रहा था कि गाना ख़ुद बाहर निकलना चाह रहा था। पहला गीत जो मैंने गाया उसमें शिव के गुणों का वर्णन था और शिव के कई मंदिरों का, जिसमें केदारनाथ का मंदिर भी था, वर्णन था। दूसरा गीत काशी विशेश्वर के बारे में था। 

वहाँ सिर्फ हम कुछ लोग ही थे, जिनमें कुछ साधक थे। उन्होंने कहा कि वहाँ बैठकर मुझे गाते सुनना वाकई एक अच्छा अनुभव था। 

उन पहाड़ों में निश्चित रूप से कुछ है। वहाँ बाइक चलाते हुए भी मैं वह महसूस कर सकता था। हवा बहुत साफ है और पानी बहता रहता है – सिर्फ वहाँ होना ही कुछ खास है। जब मैं चेन्नई में होता हूँ, तो पूरा शरीर अलग महसूस करता है।

यह हिमालय की मेरी पहली यात्रा थी और बहुत सारी चीज़ों की वजह से यह अभिभूत कर देने वाली थी। वह बहुत सुंदर था। यात्रा के बीच में ही मैं अगली यात्रा की योजना बना रहा था। वहाँ अपने भीतर भरने के लिए बहुत कुछ है, जिसे आप एक यात्रा में नहीं कर सकते। जब आप वहाँ होते हैं, तो आपको बस यह आभास होता है कि आपको सिर्फ ज़रा सा स्वाद मिल रहा है।

हिमालय बुलाता है

महामारी के कारण लगभग दो सालों बाद लाइव कंसर्ट अभी शुरू ही हो रहे हैं। सामान्य दिनचर्या में लौटने के बाद, हम हिमालय की एक और यात्रा कर सकते हैं। मैं कुछ दोस्तों के साथ भारत की दूसरी बड़ी जगहों की बाइक यात्रा भी करना चाहूँगा। लेकिन निश्चित रूप से मुझे फिर से हिमालय जाना है। मुझे नहीं लगता कि यह एक बार में मन भर जाने वाली जगह है। मैं इन पहाड़ों को अलग-अलग रूपों में और अलग-अलग समय पर अनुभव करना चाहता हूँ।