प्रश्नकर्ता: दोपहिया पर हिमालय यात्रा का आपका पहला अनुभव कैसा रहा?
सीमाओं को आगे बढ़ाना
संदीप: मोटरसाइकल पर या वैसे भी यह मेरी पहली हिमालय यात्रा थी। यह मेरे लिए बिलकुल नया अनुभव था। मेरे लिए सिर्फ यही चीज़ नई नहीं थी। मैं कई बार शहर के भीतर या हाइवे पर छोटी-मोटी राइड्स पर गया था लेकिन मैंने कभी इतनी लंबी यात्रा पर बाइक नहीं चलाई थी – और वह भी एक बिलकुल अलग इलाक़े में।
कावेरी कॉलिंग के दौरान, मुझे उस विशाल रैली में बाइक के पीछे बैठने का मौका मिला था, तब से मुझे बाइक की सवारी में मज़ा आने लगा था। पूरी रैली के दौरान रैली में शामिल बाइकर मुझे बोलते रहे, ‘आपको भी बाइक चलाना सीखना चाहिए।’ तो, जब कावेरी कॉलिंग रैली समाप्त हुई, मैंने अपने एक दोस्त की बाइक ली और चेन्नई में उस पर घूमना शुरू कर दिया। इस साल की शुरुआत में, मैंने एक एडवेंचर बाइक ले ली।
उससे पहले, मैंने सद्गुरु से पूछा था, ‘क्या मैं हिमालय की यात्रा पर आ सकता हूँ? क्या मैं वैसे इलाके में बाइक चला सकता हूँ?’ उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं अच्छी बाइक चला रहा हूँ और हिमालय की सड़कें बहुत मुश्किल नहीं हैं। फिर भी उन्होंने यात्रा पर जाने से पहले मुझे थोड़ा और अभ्यास करने की सलाह दी।
मेरी पहली बाइक एक बेनेली लियोन्सिनो 500 थी, जो एक तेज़ रफ़्तार बाइक है। वह ऐसे इंसान के लिए बहुत बढ़िया बाइक है, जिसने पहले कभी बाइक नहीं चलाई है। मेरे ख्याल से सद्गुरु उसे ‘मोटर वाली साइकिल’ कहते थे। वह बहुत फुर्तीली और चलाने में आसान भी है, जिसने मुझे सहज होकर ठीक से बाइक चलाना सीखने में मदद की।