घटना क्रम

ईशा इनसाइट : सफलता का डीएनए 2021 – इनसाइट के दस साल

ईशा लीडरशिप एकेडमी ने 25 से 28 नवंबर 2021 के बीच ‘ईशा इनसाइट: सफलता का डीएनए’ का दसवां संस्करण आयोजित किया। पिछले नौ सालों में इस कार्यक्रम ने 50 से ज्यादा देशों के 2500 से ज्यादा सी-लेवल प्रतिभागियों के जीवन और बिजनेस पर सकारात्मक असर डाला है। इस बार इस कार्यक्रम में 20 देशों के 126 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

इस चार-दिवसीय गहन ऑनलाइन कार्यक्रम का उद्देश्य उद्यमियों और उद्योगपतियों को सशक्त बनाना था, जिससे वे अपनी और अपने कारोबार की - दोनों की तरक़्क़ी को तेज़ कर सकें। इस साल दुनिया में होने वाली अभूतपूर्व स्थितियों को देखते हुए, ईशा इनसाइट के चार दिन ‘अप्रत्याशित समय में, तेजी से बदलाव’ पर फ़ोकस्ड थे। यह कार्यक्रम दूर की सोच रखने वाले और सफल उद्योगपतियों का एक मिलन था, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों के साथ-साथ अपने जीवन में आई चुनौतियों और जीत की कहानियों को साझा किया। इसमें योग सत्र भी शामिल थे, ताकि उद्यमियों को रूपांतरण का एक साधन मिल सके जिससे वे अपने जीवन में संतुलन और स्पष्टता ला सकें। ऑनलाइन कार्यक्रम में भी प्रतिभागियों की भागीदारी उतनी ही गहन थी, जितनी किसी प्रत्यक्ष कार्यक्रम में होती है।

पहला दिन – सद्‌गुरु ने सुर सेट किया

सद्‌गुरु ने ‘उद्देश्य’ पर एक प्रभावशाली वार्ता के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसी भी तरह के लाभ से परे है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी कारोबार का उद्देश्य लोगों के जीवन को छूना और उसमें खुशहाली लाना है। उन्होंने समझाया कि अगर किसी के पास एक मजबूत और समावेशी उद्देश्य है जो इतना विशाल है कि उसे एक जीवन में पूरा नहीं किया जा सकता, तो योजनाएं और संभावनाएं उमड़ने लगेंगी। सद्‌गुरु ने कहा कि बिजनेस आज ऐसी स्थिति में हैं कि वे नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं, बाजार-अर्थव्यवस्था में योगदान कर सकते हैं और लोगों के जीवन को समृद्ध बना सकते हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि नेतृत्व का संबंध एक समावेशी दृष्टि से है, जो हर किसी में जोश जगा सकती है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में नेतृत्व, शक्ति राजनीति से बिजनेस की ओर जा रहा है, लेकिन उद्योगपतियों को लाभ से मक़सद की तरफ मुड़ना होगा।

उद्देश्य की आग से प्रेरित अगला सत्र काफ़ी जोश से भरा था, जिसमें अपने क्षेत्र के महारथियों ने अनुभवों और ज्ञान का अपना खजाना सबके साथ साझा किया। इसके बाद भारत की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म ‘ज़ेरोधा’ के सी.ई.ओ. नितिन कामत ने अपने ‘कस्टमर-फर्स्ट एप्रोच’ के बारे में बताया। उन्होंने यह भी उजागर किया कि ज़ेरोधा अपने कर्मचारियों के लिए रेवन्यू टारगेट नहीं रखता। बल्कि इसके बजाय, सही लक्ष्य रखने, ग्राहक द्वारा सही काम करने और कंपनी की केयरिंग संस्कृति को बनाए रखने में नितिन ने अपनी कारोबारी यात्रा को ज्यादा सुखद और प्रभावी पाया। उन्होंने भारत में ज्यादा जागरूक उद्योगपतियों की जरूरत पर बल देते हुए अपना सत्र समाप्त किया।

दूसरा दिन – अमूल की सफलता का राज

अमूल के प्रबंध निदेशक डॉ.आर.एस. सोढ़ी ने अपने और साथ ही भारत के विख्यात ‘श्वेत क्रांति के जनक,’ कंपनी के महाप्रबंधक और बाद में उसके चेयरमैन वर्गीज कुरियन के 75 वर्षों के संचित अनुभवों से प्राप्त ज्ञान को साझा करते हुए एक भावुक भाषण दिया। उन्होंने अमूल के समावेशी डीएनए पर चर्चा करते हुए बिजनेस में लंबे समय तक टिकने का अपना राज बताया, जो है - ‘ईमानदारी’। ‘वैल्यू फॉर मेनी एंड वैल्यू फॉर मनी’ (बहुतों के लिए महत्वपूर्ण और पैसा वसूल) को मूल में रखते हुए, डॉ सोढ़ी ने ग्राहकों और भागीदारों के बीच ऐसा भरोसा बनाने की बात की, जिससे उन्हें कहीं और देखने की जरूरत ही न रहे।

तीसरा दिन – एकजागरूक धरती बनाना

तीसरे दिन महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक और सी.ई.ओ. पवन कुमार गोयंका ने चर्चा की शुरुआत की। टेक्नोलॉजी, ईमानदारी और देश की खुशहाली के लिए पहल करने तथा उसमें योगदान करने के लिए कारोबारों के पास मौजूद अपार अवसर उनकी चर्चा के मुख्य विषय थे। उन्होंने बताया कि किन तरीकों से सरकार कारोबारी पहल में मदद कर सकती है और किस तरह कारोबारों को आगे बढ़कर समाधान पेश करना चाहिए। लगातार और निरंतर सीखना पवन का एक और अंतर्ज्ञान था। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया कि वे इस सोच के फंदे में न फँसें कि ‘हम सब कुछ जानते हैं’ और बदलाव तथा विकास के लिए खुली सोच रखें। 

सद्‌गुरु ने ‘कांशस प्लैनेट मूवमेंट’ के बारे में जानकारी देते हुए दिन का समापन किया। उन्होंने जैविक तत्वों से मिट्टी को फिर से उपजाऊ बनाने की जरूरत और अगर हमने कोई कदम नहीं उठाया तो हमारे सामने आने वाली खाद्यान्न की कमी की चुनौती और खतरे की बात रखी। निराशा या झूठे आशावाद के बजाए, एक स्पष्टता, गहनता और गर्मजोशी के साथ सद्‌गुरु ने अरबों लोगों तक पहुँचने और जीवंत मिट्टी को विरासत के रूप में भावी पीढ़ियों को सौंपने के अद्भुत अवसर की बात की। उन्होंने चेतना के बारे में यह कहते हुए ज्यादा गहराई से चर्चा की, कि वह एक समावेशी आयाम है जो याद्दाश्त से परे है और साथ ही सीमित पहचान से पैदा होने वाली बाधाओं की भी बात की।

चौथा दिन – ग्रामीण भारत को शिक्षित करने की दिल को छूने वाली यात्रा

अंतिम दिन ईशा विद्या स्कूलों के विकास और प्रभाव पर गौर करने वाला एक सत्र हुआ। माता-पिता का भरोसा पाने से लेकर स्कूल परिसर का निर्माण करने, और खुशहाल क्लासरूम बनाने तक, स्वयंसेवकों ने अपनी कहानियाँ साझा की। किसी स्टार्ट–अप की तरह, ये स्कूल सीमित संसाधनों और कई चुनौतियों के साथ धीरे-धीरे बढ़े। अब वे भविष्य के जबरदस्त निवेश के रूप में चमक रहे हैं – और हज़ारों बच्चों और परिवारों के जीवन को रूपांतरित कर रहे हैं। ईशा विद्या के बारे में सुनकर और एक समावेशी दृष्टि तथा समर्पण के ऐसे जीते-जागते असली जीवन के उदाहरण को देखकर कई प्रतिभागियों की आँखों में आँसू आ गए।