अक्टूबर 2021

सम्मोहित

खुशबू एक फूल की,
झोंका ठंडी हवा का,
और भव्यता खगोलीय रात की,  
दिल की सतत धड़कन,
और साँसों की मंद गति,
ये सभी सरल घटनाएँ, 
बनाती हैं मुझे एक जीवित,
स्पंदनशील और तीव्र जीवन।
सरल और अविश्वसनीय
का ये अद्भुत मेल,
रच सकती है 
सिर्फ एक मन-रहित,
विचार-शून्य परम प्रज्ञा।
जो बना देती है मुझे 
अपने ही जीवन का दास, 
एक जीवन जिसमें नहीं है कोई व्यक्तित्व,
न ही हैं जिसकी कोई अपनी चाहतें।
एक जीवन जिस पर है
अनंत की इच्छा का पूरा अधिकार।
इस शाश्वत स्रोत की ठंडी अग्नि
मुझे जलाती नहीं,
बल्कि कर देती है
आनंदित और सम्मोहित।

- सद्‌गुरु
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