जीवन के प्रश्न

पैसा, सेहत और रिश्ते –कितने महत्वपूर्ण हैं?

लेविस होवेस और सद्गुरु की चर्चा

लेविस होवेस न्यूयार्क टाइम्स के बेस्टसेलिंग लेखक, उद्यमी और पूर्व अमेरिकन फुटबॉल खिलाड़ी हैं। उन्होंने सद्‌गुरु को अपने पॉडकास्ट – ‘स्कूल ऑफ ग्रेटनेस’ पर आमंत्रित किया, जहाँ दूसरी चीजों के  अलावा धन की अधिकता पर भी चर्चा हुई। यहाँ उनकी दिलचस्प बातचीत का एक अंश प्रस्तुत है:

लेविस होवेस: आप अर्थ, अध्यात्म, सेहत और संबंधों में प्रचुरता कैसे लाते हैं? 

सद्‌गुरु: आप गलत लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं।

लेविस होवेस: तो क्या लक्ष्य होना चाहिए?

सद्‌गुरु: अभी, चीज़ों को दार्शनिक तरीक़े से देखने, शास्त्रों को पढ़ने, या सेल्फ़-हेल्प पुस्तकों को पढ़ने के बजाए, आप अपने आसपास के पेड़ों पर ध्यान दें। वे क्या कर रहे हैं? धरती के नीचे वे संघर्ष कर रहे हैं। वे किस चीज के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या मेपल का पेड़ सेब उगाने की कोशिश कर रहा है?

लेविस  होवेस: नहीं।

सद्‌गुरु: एक मेपल का पेड़ केवल सबसे अच्छा मेपल का पेड़ बनने की कोशिश कर रहा है। बस इतना ही। एक इंसान के रूप में आपको देखना पड़ेगा कि ये जीवन कैसे पूरी तरह खिलेगा। अगर यह पूरी तरह खिल जाता है, तो कोई धनवान बन सकता है, कोई बुद्धिमान बन सकता है, कोई ज्ञानी बन सकता है, कोई प्रेमी बन सकता है, कोई कलाकार बन सकता है, कोई सिर्फ भटक सकता है।

एक पूरी तरह से खिले हुए इंसान को देखना आनंददायक होता है। वे क्या कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, वे पूरी मानव जाति के लिए एक धरोहर हैं। जब आपने कहा, ‘आर्थिक प्रचुरता’, तो इससे आपका क्या मतलब है? जेफ बेजोस? 200 बिलियन डॉलर की व्यक्तिगत संपत्ति का मालिक?

लेविस होवेस:  200 बिलियन डॉलर मेरे लिए? नहीं, प्रचुरता से मेरा मतलब ये नहीं है।

सद्‌गुरु: तो क्या दो बिलियन है? देखिए, ये नंबर अर्थहीन हैं। ये केवल सामाजिक तौर पर मायने रखते हैं, आपके लिए कोई मायने नहीं रखते। चलिए मान लेते है कि आपके पास 200 बिलियन डॉलर हैं। ध्यान रखिए यह केवल आपकी याद्दाश्त में हैं। अगर मैं आपकी याद्दाश्त मिटा दूं तो आपका सारा धन ख़त्म।

लेविस  होवेस: ये बैंक के खाते में हैं।

सद्‌गुरु: ये बैंक खाते में तो है, लेकिन अगर आप भूल गए, तब क्या होगा? बहुत से लोगों ने अपना खजाना गाड़ दिया, और हजार साल बाद वो किसी और को मिल गया।

लेविस होवेस: हाँ, ये सही है। बहुत से लोगों ने अपना पूरा बिटक्वाइन खो दिया, और अब वो उनकी पहुँच से परे हो गया है।

सद्‌गुरु: हाँ, प्रचुरता के बजाय संपन्नता शब्द का इस्तेमाल करना सही रहेगा। आपको संपन्नता क्यों चाहिए? चाहे एक व्यक्ति हो, एक समाज हो, या एक राष्ट्र, हर कोई संपन्नता पाने की कोशिश में लगा हुआ है। देखिए, शुरुआत में इस चाहत की वजह होती है - भोजन में विकल्प बढ़ाना। अगर आपके पास पैसा है तो आप मनचाही चीज़ खा सकते हैं। शुरुआती लक्ष्य यही होता है। अगर इससे आगे जाते हैं, तो अगला लक्ष्य होता है जीवनशैली में विकल्प बढ़ाना।

प्रचुरता के बारे में मत सोचिए, सोचिए संतुष्टि के बारे में।

भोजन और जीवनशैली में विकल्पों के मामले में अमेरिका सबसे ऊँचे पायदान पर है, लेकिन आप 3.8 ट्रिलियन डॉलर स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च करते हैं, जो भारत की पूरी अर्थव्यवस्था से कहीं अधिक है। हमारे पास 1.4 बिलियन जनसंख्या के लिए 3.8 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था नहीं है। तो आप किस तरह की प्रचुरता खोज रहे हैं? पूरी धरती को ख़त्म कर देना चाहते हैं? प्रचुरता के बारे में मत सोचिए, सोचिए संतुष्टि के बारे में। 

अगर आप एक संतुष्ट जीवन हैं, तो आप अपनी योग्यता और अपने समय के अनुरूप सही चीजें करेंगे। अभी, लोग प्रचुरता की तलाश में अशोभनीय चीजें कर रहे हैं। पचास बेडरूम वाले घर में दो लोग रह रहे हैं। क्या मतलब है इसका? क्या आप पचास अलग-अलग जगहों पर सो सकते हैं? आप वो हर चीज रखिए, जिनका आप इस्तेमाल कर सकें, लेकिन सवाल यह है कि क्या सारे इंतज़ाम आप इसलिए कर रहे हैं कि आप इस संसार में बेहतर तरीक़े से रह सकें या इसलिए कि आपका अपना विस्तार हो सके? निर्णय आपको करना होगा। क्या आप इसलिए बेहतर महसूस करते हैं कि आपकी कार आपके पड़ोसी की कार से थोड़ी ज्यादा शानदार है?

केवल एक चीज मायने रखती है - वह सब कुछ जो आप अपने भीतर हो सकते हैं। हमारे जीवन में अगर हम वो न कर पाएँ जो हम कर नहीं सकते तो कोई बात नहीं, पर  हम जो कर सकते हैं वह भी न करें, तो हम एक त्रासदी हैं।

क्या आप कम से कम उतने ख़ुश हैं जितना आप पाँच साल की उम्र में थे? अगर आप पैंतीस की उम्र में पाँच साल जितने भी ख़ुश नहीं हैं, तो साफ़ है कि आप एक त्रासदी हैं, क्योंकि वहाँ से आपने शुरुआत की थी। अगर आप वहाँ से आगे चलकर और नीचे धंस गए हैं तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण जीवन है।

लेविस होवेस: तो हमें आर्थिक प्रचुरता के बारे में नहीं सोचना चाहिए… ?

सद्‌गुरु: वे चीज़ें समय के अनुसार होंगी। अगर आप और मैं इस धरती पर दस हज़ार साल पहले होते, मैंने  निश्चित रूप से अपने लिए भारत में एक गुफा ढूंढ ली होती, क्योंकि वहाँ बहुत सी हैं, और आपने ओहायो या केंटकी में अपने लिए एक बड़ी गुफा ढूंढ ली होती। उस समय में प्रचुरता का आपका मापदंड क्या होता?

लेविस  होवेस: हाँ।

केवल एक चीज मायने रखती है - वह सब कुछ जो आप अपने भीतर हो सकते हैं।

सद्‌गुरु: मेरा कहना है कि प्रचुरता के बारे में मत सोचिए, क्योंकि जब भी हमने ऐसा सोचा है, हमने इस धरती को भारी नुकसान पहुंचाया है। अब हम इलेक्ट्रिक कार चलाकर पर्यावरण को बचाना चाहते हैं। ये मूल रूप से इस गलत विचारधारा के कारण है कि आपके आसपास की कोई चीज़ आपका विस्तार कर सकती है। ख़ुद के विस्तार का एकमात्र उपाय ये है कि जीवन के इस अंश को, जितना अधिक खिल सकता है, खिलने दें।

लेविस  होवेस: किसी को कैसे पता चलेगा कि उसकी पूर्ण क्षमता क्या है?

सद्‌गुरु: देखिए, अगर आप एक पेड़ को इसकी पूरी क्षमता तक विकसित होने देना चाहते हैं तो कभी इसके फलों को मत गिनिए, इसकी जड़ को देखिए। अगर आप एक पेड़ के फल गिनते हैं, तो हो सकता है कि एक पेड़ में दूसरे से ज्यादा फल हों। मुद्दा यह नहीं है। अगर आप जड़ को पूरी तरह पोषण देंगे तो उसे जो बनना है वो बनेगा ही। घास का एक तिनका पेड़ नहीं बन सकता, लेकिन क्या घास ख़ुद में अद्भुत नहीं है?

अगर आप विकसित होना चाहते हैं, तो सबसे पहली और जरूरी चीज है कि पीछे मुड़कर देखें- क्या आपके जीवन में कभी कोई ऐसा 24 घंटे का समय बीता है जो बिना चिंता, भय और बेचैनी के हो? अगर आप महज़ 24 घंटों के लिए भी सहज हो जाएँ, तो आपके शरीर और मन की क्षमता दोगुनी हो जाएगी। जिस तरह बाहरी परिस्थितियों को मन मुताबिक़ बनाने के लिए विज्ञान और तकनीकें हैं वैसे ही अपनी इच्छानुसार अपनी भीतरी परिस्थितियों को बनाने के लिए भी एक पूरा विज्ञान और तकनीक मौजूद है।