सेहत

हमारे लिए सर्वोत्तम आहार क्या है और क्या नहीं?

अगर आप नहीं जानते हैं कि किस तरह का भोजन आपको पूरे दिन सक्रिय एवं जागरूक रहने में मदद कर सकता है और कैसा भोजन आलस और बीमारी को बढ़ाता है, तो आपके लिए पेश है भोजन के बारे में सद्‌गुरु के विचार जो ऊर्जा, या कहें प्राण के ऊपर आधारित हैं: 

प्राणदायक आहार कौन से हैं?

सद्‌गुरु: योग में हम भोजन को प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की दृष्टि से नहीं देखते हैं। बल्कि, इसे सकारात्मक प्राणिक आहार, नकारात्मक प्राणिक आहार और शून्य प्राणिक आहार के रूप में बांटा गया है। सकारात्मक प्राणिक आहार वो हैं जिन्हें खाने से हमारे सिस्टम में जीवन ऊर्जा बढ़ती है। नकारात्मक प्राणिक आहार सिस्टम में ऊर्जा घटा देते  हैं। शून्य प्राण वाले भोजन न तो प्राण को बढ़ाते हैं और न ही घटाते हैं, वो केवल स्वाद के लिए खाए जाते हैं।

नकारात्मक प्राणिक आहार

नकारात्मक प्राणिक आहार हैं - लहसुन, प्याज, हींग, मिर्च, बैंगन, कॉफी, चाय, शराब और दूसरे नशीले और मादक पदार्थ। कोई भी चीज जो आपके नाड़ी तंत्र के साथ खिलवाड़ करे वो नकारात्मक प्राणिक आहार है और उसे ग्रहण नहीं करना चाहिए।

भारत में ऐसा कहा जाता है कि सभी नकारात्मक प्राणिक आहार महर्षि विश्वामित्र द्वारा बनाए गए हैं। एक दिन देवताओं के साथ उनकी कहासुनी हो गई। वे अपने लोगों को स्वर्ग भेजना चाहते थे। देवता बोले, ‘नहीं, आपके लोग यहाँ नहीं आ सकते हैं। विश्वामित्र क्रोध से आगबबूला हो गए और बोले, ‘तो ठीक है, मैं अपनी सृष्टि ख़ुद बनाऊँगा।’

तो विश्वामित्र ने अपने लोगों के लिए अपनी ही एक धरती, एक नर्क और एक स्वर्ग की रचना की। उन्होंने अपने प्रिय शिष्य त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का प्रयास किया। त्रिशंकु आधे रास्ते में जाकर अटक गया। वो न तो आगे जा पाया और न ही पीछे। आज भी भारत में ‘त्रिशंकु’ का मतलब ‘अधर में लटकना’ या कहें अनिश्चितता में रहना होता है।

इस कहानी का सार यह है कि अगर आप अधिक नकारात्मक प्राणिक चीजें खाते हैं तो आप भावनात्मक रूप से अस्थिर हो जाएंगे जिसके कारण पूरी जिंदगी अस्थिरता में ही रहेंगे। आप जो भी करें - चाहे आप परिवार में रह रहे हों, व्यवसाय में लगे हों, शिक्षा या अध्यात्म की खोज कर रहे हों- आपकी संपूर्ण प्रतिभा का उपयोग नहीं हो पाएगा।

प्याज और लहसुन

अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो लहसुन एक प्रभावशाली औषधि है, पर रोजमर्रा के खाने में इसे शामिल करना अलग बात है। अगर आपको पता करना है कि लहसुन क्या नुक़सान पहुंचाता है तो एक आउँस लहसुन का जूस निकालकर उसे खाली पेट पी लें। आपको पेट साफ कराने के लिए अस्पताल ले जाना पड़ेगा। एक आउँस प्याज का जूस पीने पर भी यही होगा। प्याज के साथ तो ये है कि जब आप उसे काटते हैं तभी आपका शरीर उसे मना कर रहा होता है। समस्या ये है कि ये स्वादिष्ट होता है और इससे नुक़सान समय के साथ धीरे-धीरे होता है।


मिर्च

एक अन्य नकारात्मक प्राणिक आहार है – मिर्च, चाहे हरी हो या लाल। भारत में दूसरे देशों से आने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी दावत भारतीय करी है। जिन लोगों को मिर्च की आदत नहीं है उन्हें तुरंत डायरिया हो जाएगा। इसका मतलब है कि शरीर मिर्च को ज़हर के समान समझ रहा है। वो पेट साफ करना चाहता है। देखिए, शरीर में अद्भुत क्षमता है कि आप उसे कुछ भी दे देंगे तो वह ख़ुद को उसके अनुकूल बना लेगा, लेकिन इसकी वजह से हर भोजन, ‘आदर्श आहार’ नहीं बन जाता।

बैंगन

बैंगन ही एक ऐसी सब्ज़ी है जिसमें थोड़ा जहर होता है और इससे दिमाग को नुकसान पहुँच सकता है। ऐसा नहीं है कि अगर आप एक बैंगन खा लेंगे तो आपका दिमाग काम करना बंद कर देगा। नुक़सान समय के साथ धीरे-धीरे होगा। अगर आपके घर में बच्चे हैं तो बैंगन का इस्तेमाल बिलकुल नहीं करना चाहिए क्योंकि उनके बड़े होने के पहले ही ये उनकी बुद्धिमत्ता को नुक़सान पहुँचा सकता है।


कॉफी

कॉफी एक प्रभावशाली उत्तेजक पदार्थ है। सुबह-सुबह बस दो घूंट कॉफी के साथ हर चीज़ सुन्दर और स्पष्ट हो जाती है। पर अगर कुछ दिनों तक आप इसे रोज़ पिएँ, तो आपको ये अनुभव हो सकता है कि कॉफी पीने के दो घंटे के बाद आपका सिर दुख रहा है। उसे दूर करने के लिए आपको एक और कप कॉफी पीनी पड़ेगी।

इसकी जाँच ख़ुद करके देखिए। दो महीने के लिए कॉफी छोड़ दीजिए, फिर सुबह में एक कप कड़क कॉफी पीजिए। आपके हाथ थरथराने लगेंगे। इसका मतलब कि ये आपके सिस्टम को निश्चित रूप से हानि पहुंचा रही है। इसका मतलब क्या ये है कि आपको कॉफी छोड़ देनी चाहिए? वो आपकी मर्जी। बस किसी भी चीज़ के गुलाम बनकर मत रहिए, चाहे वो जो भी हो। जागरूक होकर जीना सीखिए।

अगर आप उत्तेजक पदार्थों का सेवन करते हैं, तो आपका बुढ़ापा दुखदायी हो सकता है। अगर आपकी सोच ये हो, ‘हमारी जिंदगी बहुत छोटी है। नब्बे साल तक जीने की जगह अगर मैं सत्तर साल जिऊँ, तो क्या दिक्कत है,’ फिर तो ठीक है। मैं आपकी इस सोच के ख़िलाफ़ नहीं हूँ, न ही मैं कॉफी के ख़िलाफ़ हूँ। मैं भी कॉफी पसंद करता हूँ, लेकिन ये ऐसी चीज नहीं है जिसे पीना मेरी मजबूरी या आदत हो। अगर आपको इसका स्वाद अच्छा लगता है तो पीजिए - बड़ा कप पीजिए और पूरा आनंद लीजिए। लेकिन अगर आपको ये हर रोज करना पड़े, तब ये एक समस्या है।

शून्य प्राणिक आहार

कुछ ऐसे आहार हैं जो प्राण-शून्य हैं। जैसे आलू और टमाटर। इन्हें स्वस्थ लोग खा सकते हैं, लेकिन जिन्हें सूजन और जोड़ों में दर्द की समस्या है, उन्हें इससे बचना चाहिए। ये जोड़ों की समस्या जैसे गठिया और आर्थराइटिस को बढ़ाते हैं। अगर आपको कोई खास बीमारी न भी हो पर आपके पैरों में सूजन आती है, तो इन दो खाद्य पदार्थों से बचकर रहना अच्छा है।

बिना प्राण वाले भोजन आपकी नींद को बढ़ाते हैं, क्योंकि वो शरीर में आलस लाते हैं। इसीलिए हम अक्सर शिष्यों और साधकों को इसे खाने से मना करते हैं। विद्यार्थियों के लिए एक किताब ही उन्हें सुलाने के लिए काफ़ी है। जैसे ही वे उसे खोलते हैं, सो जाते हैं। एक साधक के लिए, या उसके लिए जो आँख बंद रखकर भी पूरी तरह से जागरूक होकर बैठना चाहता है, नींद सबसे बड़ा शत्रु है।

सकारात्मक प्राणिक आहार

नकारात्मक और शून्य प्राणिक आहार को छोड़ दें तो बाक़ी हर चीज़ – सभी दूसरी सब्जियाँ, सूखे मेवे, अंकुरित चीजें, फल – सकारात्मक प्राणिक आहार हैं।