सेहत और योग

क्या आपकी मानसिक सेहत, आपके आध्यात्मिक विकास को रोक रही है?

अपनी मानसिक सेहत से ख़ुद को जोड़कर मत देखिए। सद्‌गुरु मानसिक सेहत के बारे में बात करते हुए बता रहे हैं कि मानसिक समस्याओं से कैसे मुक्त हों . . .

प्रश्नकर्ता: मैं मानसिक आघात और ऐसी ही कई समस्याओं से बहुत कष्ट में रहा और हाल ही में मुझे पता चला कि मुझे ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ भी है। क्या आपकी कृपा अनुभव करने की मेरी क्षमता को दवाईयाँ कम कर देंगी?  क्या मैं अपनी श्रेष्ठ अवस्था में कभी वापस आ पाऊँगा?

सद्‌गुरु: मानसिक समस्याओं के लिए ली जाने वाली काफी दवाइयाँ शामक (सेडेटिव) होती हैं। जब आपका शरीर उत्तेजित होता है तो डॉक्टर ये समझ लेते हैं कि आपको कुछ सेडेटिव की जरूरत है। जब आप कोई दवाई लेते हैं तो वह केवल उसी जगह जाकर काम नहीं करती जहाँ जरूरत है, बल्कि वह पूरे शरीर में फैलती है। अभी ऐसी स्मार्ट दवाईयों की संभावना पर काम किया जा रहा है, जो सिर्फ़ वहीं जाकर असर करें, जहाँ तकलीफ़ हो, लेकिन ऐसी दवाइयाँ अभी तक वास्तव में आई नहीं हैं।


कोई निदान स्थाई नहीं है

अगर दवाइयाँ किसी डॉक्टर द्वारा अच्छी तरह जांच के बाद दी गई हैं तो उनसे आपको सुस्ती या निष्क्रियता का अनुभव नहीं होना चाहिए। फिर भी अगर आपको किसी तरह की सुस्ती महसूस होती है तो इससे आप पर असर हो सकता है – ऐसा इसलिए नहीं कि इससे आपकी कृपा पाने की क़ाबिलियत कम हो जाती है, बल्कि केवल इसलिए कि आप पूरी तरह जागरूक नहीं रहते।

लेकिन ऐसे काफी लोग हैं जो दवाई लेते हैं, पर दिन में काफी चुस्त रहते हैं। हो सकता है कि रात में वे कुछ देर ज्यादा सोएं, जो कि ठीक है। आपको दरअसल उस तरफ सोचने की जरूरत ही नहीं है कि आपकी सुस्ती कृपा पाने के रास्ते में बाधक है या नहीं। सबसे बड़ी बात यह है कि जो भी निदान है, खासकर जब बात मानसिक अवस्था की हो तो ये स्थाई नहीं होता, यह केवल वर्तमान अवस्था बताता है।

शंकरन पिल्लई का इलाज 10 डॉलर में

एक बार शंकरन पिल्लई मनोरोग चिकित्सक के पास गए और बोले, ‘डॉक्टर मेरी एक समस्या है। अगर मैं अपने बिस्तर पर सोता हूँ तो मुझे लगता है कि कोई बिस्तर के नीचे है। इसलिए मैं बिस्तर के नीचे सोने की कोशिश करता हूँ। लेकिन तब मुझे लगता है कि कोई बिस्तर के ऊपर है। मैं बहुत कष्ट में हूँ, और मैं कई दिनों से बल्कि कई हफ्तों से सो नहीं पा रहा हूँ, क्योंकि मुझे हमेशा लगता है कि कोई या तो बिस्तर के नीचे है या फिर ऊपर।  डॉक्टर ने कहा, ‘अगले 18 महीने, हफ्ते में 3 दिन आपको मेरे पास एक विशेष इलाज़ के लिए आना होगा। मैं आपको डिस्काउंट दूंगा। वैसे मेरी फीस 100 डॉलर प्रति घंटा है पर मैं आपके लिए इसे 80 डॉलर कर दूंगा। हम अगले सोमवार से शुरू करेंगे।’ शंकरन पिल्लई ने कहा, ‘ठीक है, मुझे इसके बारे में सोचने दीजिए।’ वो दोबारा वापस नहीं आए।

छह महीने बाद वही डॉक्टर शंकरन पिल्लई को किसी बार में अचानक मिला। शंकरन पिल्लै अब काफी बेहतर दिख रहे थे। डॉक्टर ने कहा, ‘आप कभी वापस क्यों नहीं आए, क्या हुआ?’ शंकरन पिल्लई ने जवाब दिया, ‘डॉक्टर आपने कहा 80 डॉलर प्रति घंटा, हफ्ते में 3 बार, 18 महीनों तक। मैं उस पैसे के बारे में रातभर सोचता रहा, और मैंने नतीजा निकाला कि मैं इतने पैसे नहीं देना चाहूँगा। तो मैं बार में जाकर शराब पीने लगा, मैंने बार-टेंडर को अपनी समस्या के बारे में बताया और उसने सिर्फ़ 10 डॉलर में मेरी समस्या दूर कर दी। ‘उसने कैसे किया?,’ डॉक्टर ने पूछा। ‘बस वो मेरे घर आया और मेरे पलंग के सारे पाँव काट दिए। अब मैं जानता हूँ कि बिस्तर के नीचे कोई नहीं है।’


संभावनाओं पर ध्यान दीजिए

जो भी निदान हो, उसे किसी योग्यता की तरह अपने साथ लेकर मत ढोइए। आपको ये जो तमग़ा मिला है, इसे आपको छोड़ना ही होगा। इसके तरीके हैं। अगर आप अपना कुछ समय देने के लिए तैयार हैं, तो हम आपकी मदद कर सकते हैं।

ये आजीवन दवाई पर रहने से बेहतर है। ये केवल कृपा पाने के लिए नहीं है, बल्कि आप जीवन की कई दूसरी संभावनाओं से भी वंचित रह जाते हैं, केवल इसलिए कि आप ऐसी दवाइयाँ ले रहे हैं, जो आपको अपनी पूर्णता में आने से रोकती हैं। इसलिए आपको अपना वक़्त देना चाहिए जिससे आप इन चीजों से बाहर निकल सकें।

अगर कोई समस्या है तो उसकी ओर ध्यान देना जरूरी है, लेकिन अपने मन में उसे बहुत बड़ा मत बना लीजिए।

जब आप सोचने लगते हैं कि आपको ये या वो बीमारी है तो ये आपके जीवन को कई तरह से जटिल कर देता है। अगर कोई समस्या है तो हमें उस पर ध्यान देना चाहिए लेकिन उसे अपने मन में बहुत बड़ा नहीं बनाना चाहिए।  

लगातार सोचते रहना कि आपके साथ कुछ समस्या है, ये एक बड़ी बीमारी है जिससे कई लोग जूझ रहे हैं। हो सकता है कि जो काम कोई दूसरा कर रहा हो, उसे आप नहीं कर पा रहे हों, लेकिन उससे क्या दिक्कत है? आप जो कर सकते हैं उसे अपनी तरफ से सबसे अच्छी तरह से कीजिए और जीवन में यही मायने रखता है।

दूसरों से अपनी तुलना करना छोड़िए

आपके जीवन में मुद्दा ये नहीं है कि आप दूसरों जितने अच्छे हैं या नहीं। सवाल बस ये है कि क्या आप अपने लिए जो कर सकते हैं वो सब कर रहे हैं? किसी टिड्डे को शेर बनने की जरूरत नहीं है। वो टिड्डे की तरह ही ठीक है। आप पूछ सकते हैं, ‘क्या आप एक शेर और टिड्डे की तुलना कर सकते हैं?’ आपको तुलना करनी ही क्यों चाहिए? वे दोनों अलग-अलग जीव हैं। क्या एक शेर टिड्डे की तरह कूद सकता है? अपने आप की तुलना दूसरों से करके ये सोचना कि आप बीमार हैं ये एक नासमझी है, जो समाज के द्वारा बनाई गई है।  

जब आप अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो पढ़ाई में हो सकता है वो दूसरे बच्चे जैसे तेज न हों लेकिन वो किसी दूसरी चीज़ में अच्छे हो सकते हैं। हो सकता है, वो शिक्षक की बात नहीं सुनते हों। ऐसे में आप तुरंत उन्हें मनो-चिकित्सक के पास ले जाते हैं और डॉक्टर कहते हैं कि वे ए.डी.डी, ए.डी.एच.डी, एक्स.वाय.ज़ेड हैं। अंग्रेज़ी वर्णमाला के सारे 26 अक्षर इस्तेमाल हो जाते हैं। किसी बच्चे को इस प्रकार क्यों लेबल देना?

क्या आप अपने लिए जो कर सकते हैं वो सब कर रहे हैं?

बहुत साल पहले चेन्नई में मेरे किसी प्रोग्राम के दौरान की बात है। मेरी एक कक्षा में एक व्यक्ति फूट-फूटकर रो पड़ा और कहने लगा, ‘मुझे अपनी बेटी की बहुत चिंता है, क्योंकि वो पढ़ाई नहीं करती, उसे पढ़ाई में कोई रुचि नहीं है। मुझे सच में बहुत चिंता होती है कि उसका क्या होगा।’  मैंने पूछा, कितनी बड़ी है वो? उसने कहा, ‘वो साढ़े चार साल की है।’  मैंने कहा, ‘बेवकूफ, इस उम्र में उसे कुछ भी नहीं पढ़ना चाहिए, अच्छे से पढ़ाई की बात तो भूल ही जाओ।’

तो अपने लिए ऐसा मत सोचते रहिए कि मैं बाइपोलर हूँ। क्या कोई एक भी ऐसा व्यक्ति है जो मानसिक तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ हो। सब आपके जैसे ही हैं, अलग-अलग तरह के मामले। बस लोग जीने का, अपने जीवन में कुछ करने का तरीक़ा ढूँढ लेते हैं। तो अगर स्थिति ऐसी आ गई है कि आपको डॉक्टर की बताई गई दवाई की जरूरत है तो आपका पहला लक्ष्य होना चाहिए उससे बाहर आने का। उसके लिए आपको अपना वक़्त और ऊर्जा लगानी होगी। मुझसे ये मत कहिए कि आपके पास खुद की भलाई के लिए समय नहीं है। तो फिर आप यहाँ आए ही क्यों हैं?

यह समय है अपने कल्याण के लिए निवेश करने का

क्या आप इतने जरूरी काम पर लगे हैं कि आपके पास खुद के कल्याण के लिए भी समय नहीं है। नहीं, आप केवल रोजी-रोटी कमा रहे हैं। आप अपने जीवन को ऐसे ढाल रहे हैं कि अगर आप बीमार होते हैं या अगर कुछ अचानक ज़बर्दस्त चीज़ होती है तो अपने जीवन की दिशा नहीं बदल सकते।

एक महत्वपूर्ण कार्य जो हम करना चाहते हैं वो ये कि दुनिया भर में आध्यात्मिकता के लिए ऐसी ढाँचागत व्यवस्था तैयार करें, जहाँ लोग अपने आन्तरिक कल्याण पर फ़ोकस कर सकें।

अगर आप एक दिशा में जा रहे हैं और कल किसी दूसरी जगह कुछ शानदार होने लगे तो आपको इस क़ाबिल होना चाहिए कि आप उस जगह पहुंच सकें। नहीं तो, चलने का फ़ायदा क्या? अभी हालात यह है कि आप केवल एक ही दिशा में जा सकते हैं, क्योंकि आपको बहुत सारे बिल चुकाने हैं। लेकिन अब समय आ गया है कि आप इसमें बदलाव लाएं। अगर आप इसमें बदलाव नहीं लाते तो और कहीं बदलाव नहीं आएगा। न ही आपके स्वास्थ्य में, न ही आपकी ख़ुशहाली में, और न ही आपकी आध्यात्मिक प्रक्रिया में बदलाव आएगा।  

आपके मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए एक उपाय है - वो है मिट्टी के साथ जुड़े रहिए। जब आप मिट्टी के साथ जुड़े रहते हैं, आप प्राकृतिक रूप से संतुलित और ठीक हो जाते हैं। अगर पूरे समय खेती नहीं तो भी कम से कम 2 -3 घंटे मिट्टी में कुछ करना अच्छा होगा। एक महत्वपूर्ण काम जो हम करना चाहते हैं वो ये कि दुनिया भर में आध्यात्मिकता के लिए ऐसी ढाँचागत व्यवस्था तैयार करें, जहाँ लोग अपने आतंरिक कल्याण पर फ़ोकस कर सकें। इसकी वाक़ई आज बेहद कमी महसूस होती है।

बाइपोलर आपकी पहचान नहीं है

मैं चाहता हूँ कि आप कुछ देर के लिए भूल जाएं कि आप बाइपोलर हैं। मैं चाहता हूँ कि आप अपनी बीमारियाँ भूलकर ठीक से जिएँ । आपके अंदर जो भी पुरानी बीमारी है, आप उसके परे जाकर भी काम कर सकते हैं। जो बाहर से आता है, जैसे कि किसी तरह का संक्रमण, उसकी बात अलग है। जब बाहर से कोई बीमारी आप पर धावा बोलती है तो आप इसे डॉक्टरों पर छोड़िए। लेकिन अंदर से जो पैदा हुआ हो उसे ठीक करने का तरीक़ा है। जहाँ तक डॉक्टरों की मदद की जरूरत है, आप लीजिए, लेकिन आपका लक्ष्य उससे बाहर निकलने का होना चाहिए।

आपका ये जो छोटा सा जीवन है, इसमें आपको बीमार रहकर जीने की जरूरत नहीं है। ठीक से जीने के लिए सबसे पहली और बड़ी बात कि आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति जरूरत से ज्यादा चिंता नहीं करनी है। इसका मतलब ये नहीं कि आप लापरवाह हो जाएँ। लेकिन सतर्कता और पागलपन में फर्क है। आपको पता होना चाहिए कि इनके बीच की सीमा कहाँ है। अब आज से अपनी पहचान बाइपोलर की मत रखिए। ये आपका कोई नाम नहीं है। इस समय कुछ समस्या है, उन्होंने आपको दवाइयां दी हैं। लेकिन आपको ये मन में ठान लेना चाहिए की कितने दिनों में आपको इसके बाहर आना है और आप उसके लिए क्या-क्या करने के लिए तैयार हैं।