प्रश्नकर्ता : मेरे पति की मृत्यु पिछली पूर्णिमा को हुई थी। क्या पूर्णिमा के दिन मृत्यु होने से मरने वाले को कोई फायदा होता है?
ये कोई महज़ अन्धविश्वास नहीं है: सूर्य, चन्द्रमा, और हमारे सौर मंडल के बाकी सभी ग्रह जीवन भर हमें प्रभावित करते हैं, यहाँ तक कि हमारी मृत्यु को भी प्रभावित करते हैं। जानते हैं सद्गुरु से, जो बता रहे हैं कि आकाशीय पिंडों का हमसे क्या संबंध है।
प्रश्नकर्ता : मेरे पति की मृत्यु पिछली पूर्णिमा को हुई थी। क्या पूर्णिमा के दिन मृत्यु होने से मरने वाले को कोई फायदा होता है?
सद्गुरु : हम आकाशीय व्यवस्था के नौ पहलुओं को जानते हैं जो हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं। हम इन्हे सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, और केतु कहते हैं। मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि हमारे सौर मंडल के ग्रह हैं। राहु का अर्थ है चंद्रमा की बढ़ती हुई कला का उत्तरी सिरा और केतु का अर्थ है चंद्रमा की घटती हुई कला का दक्षिणी सिरा।
राहु सूर्य ग्रहण के लिए ज़िम्मेदार है और केतु चंद्र ग्रहण के लिए। राहु और केतु आकाश में वो बिंदु हैं जहाँ सूरज और चन्द्रमा के मार्ग एक दूसरे को काटते हैं।
ग्रह शब्द का मतलब है बोध या अनुभूति। लेकिन, अगर आप इसे दूसरी तरह देखें तो इसे प्रभाव भी कहा जा सकता है। आकाशीय पिंड जिनकी अनुभूति हमारा भौतिक शरीर, ऊर्जा के स्तर पर करता है और जिनकी गति या स्थिति से हम प्रभावित होते हैं, उनमें सूर्य और चन्द्रमा सबसे महत्वपूर्ण हैं।
हम धरती से बने हैं, लेकिन सूर्य और चन्द्रमा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। हम यहाँ पैदा हुए हैं और आज हम यहाँ बैठे हैं, क्योंकि हमारी माताओं के शरीर चन्द्रमा की कलाओं के साथ तालमेल में थे।
चन्द्रमा का विवाह दक्ष की 27 पुत्रियों के साथ कैसे हुआ इस पर एक बड़ी खूबसूरत कहानी है। दक्ष ने कहा, ‘मैं तुम्हें अपनी पुत्रियां तभी दूंगा, जब तुम सब के साथ एक जैसा बर्ताव करने और सबको एक जैसा सम्मान देने को तैयार होगे।’
लेकिन समय के साथ, चन्द्रमा का झुकाव अपनी पसंदीदा किसी एक पत्नी की तरफ हो गया जिसे वो ज़्यादा प्रेम करने लगा। इस बात ने बाकी सब को नाराज़ कर दिया, और वो ग़ुस्से में घटने लगीं। तो, इस तरह चन्द्रमा का परिक्रमा-काल 27 दिन और लगभग 8 घंटे का हो गया, क्योंकि एक की तरफ उसका झुकाव थोड़ा ज़्यादा था। बाकी सब हमेशा क्रोध दिखा रही हैं – कोई पूरी तरह काली हो रही है, बाकि अलग-अलग आकार में हैं। क्योंकि वो ‘एक’ उन्हें फीका कर रही है।
यह खगोल विज्ञान के बारे में बताने का बहुत मज़ेदार तरीक़ा है। हमारे आस-पास खगोलीय व्यवस्थाएं कैसे काम कर रही हैं इन विषयों पर कहानियों के अंदर कहानियां हैं। योग इसे आकारों और ज्यामिति की तरह देखता है, लेकिन हिन्दू संस्कृति इसे कथा-कहानियों के रूप में देखती है। इसी ज्यामिति को बेहतरीन कहानियों में बदल दिया गया है।
पूर्णिमा का दिन उसकी पसंदीदा पत्नी का है, इसलिए वो बाकियों से ज़्यादा चमकदार है। उस पर ज़्यादा चमक है क्योंकि चंद्र, यानी चन्द्रमा का राजा, उस पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है। उस दिन के बहुत से फायदे हैं।
आज काफी अध्ययन बताते हैं कि हृदय की गतिविधि, खून और पोषक तत्वों की गति, और जीवन प्रक्रिया के बाकी पहलू पूर्णिमा के दिन अपने चरम पर होते हैं। यह भी देखा गया है कि पूर्णिमा और नए चाँद के दिनों में हुई दिल की सर्जरी में जिन्दा बचने की सम्भावना ज़्यादा होती है।
लेकिन तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पूर्णिमा के दिन और नए चाँद के दिन आपके खिलाफ काम करते हैं, क्योंकि उन दिनों में, चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल अधिक ऊर्जा पैदा करता है। जैसा कि आप जानते हैं, चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से पूर्णिमा के दिन समुद्र में ऊँची लहरें उठने लगती हैं, उसी तरह आपके अंदर भी सभी तरल और स्राव में भी हलचल होती है। आपकी पूरी व्यवस्था सूक्ष्म तरीके से अलग-अलग तरह के स्रावों से चल रही है। और जब पूरा चाँद निकलता है, तो जैसे जब समुद्र अपने उफान पर होता है, उसी तरह चन्द्रमा पीनियल ग्रंथि का स्राव भी बढ़ा सकता है।
अगर आपको कोई दिमाग की बीमारी है, तो आप पूर्णिमा के दिन ज़्यादा परेशान और चिड़चिड़ा महसूस कर सकते हैं। अगर आपके दिमाग के तंत्रों के रास्तों में पहले से कोई समस्या है, जैसे बिजली के तारों में हो, तो ऊर्जा के बढ़ने पर उसमे से चिंगारियां ज़्यादा निकलती हैं, जो परेशानी पैदा करता है। लेकिन बात जब आपके मिज़ाज़ की हो, या फिर इसकी कि आपका शरीर इस वक़्त कैसा महसूस कर रहा है, तो यह इस पर निर्भर करता है कि आपके भीतर द्रव और स्रावों का संचालन कितनी कुशलता से हो रहा है।
पूर्णिमा की रात में, आपके सिस्टम के सारे द्रव अपने चरम पर काम कर रहे होते हैं। जब आप ऐसी अच्छी स्थिति में होते हैं तो, भारत में ख़ासकर, इसे मरने के लिए एक अच्छा दिन माना जाता है। हम अच्छे दिन मरना चाहते हैं। आपको दुनिया से तब जाना चाहिए जब सब कुछ अच्छा है, जब आप बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं।
मैं इस बात की गहराई में नहीं जाना चाहता कि जब किसी की मृत्यु पूर्णिमा के दिन होती है तो क्या होता है, लेकिन जीवन का एक क्रम है जिस वजह से, आमतौर पर उस दिन मरना शुभ माना जाता है। खासतौर पर अगर आप पूरी जागरूकता में प्राण त्यागना चाहते हैं, तो आप उस दिन बहुत खुशनुमा तरीके से मर सकते हैं।