क्या आप अपने आध्यात्मिक मार्ग पर अटका हुए महसूस कर रहे हैं? आम तौर पर आपका अपना शरीर, मन, भावनाएं और ऊर्जा इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि इनके अलावा कुछ अनजान शक्तियां आपके लिए बाधाएं पैदा कर रही हों। सद्गुरु हमारे बोध से परे इस आयाम पर खुलकर बात कर रहे हैं और बता रहे हैं कि एक गुरु इस हालत में क्या करता है।
सद्गुरु: जब आप कुछ सीमाओं को पार करके जीवन के दूसरे आयाम में पहुँचते हैं, तो कुछ दूसरी तरह की शक्तियाँ आपके विकास को रोकने की कोशिश करेंगी। गौतम बुद्ध ने ऐसे प्राणियों के बारे में विस्तार से बताया था। योगिक संस्कृति में वे राक्षस और ऐसी दूसरी शक्तियों की बात करते हैं, जो आपको रोकने की कोशिश करेंगी।
कुछ ऐसी ताकतें, आयाम और बाधाएं होती हैं, जिन्हें आप अभी नहीं देख सकते। वे शरीर, मन, भावना या ऊर्जा के द्वारा पैदा की हुई नहीं होतीं। चाहे आप किसी रॉकेट की तरह ऊर्जा से भरे हों, फिर भी ऐसी शक्तियां होती हैं जो राह में आएंगी। मैं आपको उन चीज़ों से स्वयं निपटने के लिए नहीं छोड़ दूंगा। वह मेरा काम है, उसे मुझ पर छोड़ दीजिए। अपने शरीर को मोड़ना, अपने मन को मोड़ना, अपनी भावनाओं को मोड़ना, अपनी ऊर्जा को बढ़ाना – यह सब आपका काम है। जब आप एक निश्चित बिंदु तक पहुंच जाते हैं, जहाँ से आप उड़ान भरना चाहते हैं, तब कुछ दूसरी शक्तियों को संभालना होता है। आप उसे नहीं संभाल सकते क्योंकि आपको कोई अंदाज़ा नहीं है कि वह क्या है। वह सब गुरु का काम है। बाकी सब आपका काम है।
आपके शरीर, आपके मन, आपके आस-पास होने वाली चीज़ें, आपके दोस्त, आपके दुश्मन, आपका घर – इन सबसे जुड़ी समस्याओं से आपको निपटना चाहिए। कुछ दूसरे पहलू हैं जिनके बारे में आपको कोई जानकारी नहीं है, इसलिए इसके बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि आप इससे निपट नहीं सकते। अगर आपको खुद संभालना पड़े तो चीजों को समझने में बहुत लंबा समय लगेगा। यही वजह है कि भारत में हमेशा आध्यात्मिक प्रक्रिया की तुलना सांप-सीढ़ी के खेल से की जाती है। आप सीढ़ी चढ़ते जाते हैं और बहुत खुश होते हैं, फिर अचानक एक सांप आपको नीचे लेकर आ जाता है।
एक बात यह है कि आपके कुछ कार्मिक पहलू हैं जिनसे आप अनजान हैं। दूसरी बात यह है कि अस्तित्व के और भी आयाम हैं। उदाहरण के लिए, लंबे समय तक मनुष्य सूक्ष्म-जीवों के बारे में नहीं जानता था। मान लीजिए कि हजार साल पहले, किसी ने एक फल पाया जिसमें वायरस था और उसे खा लिया। उसे पता भी नहीं था कि वह क्या था और वह बीमार पड़ गया और मर गया। उसके आस-पास के लोगों ने कहा, ‘यही भगवान की इच्छा थी!’ आज हम जानते हैं कि कुछ सूक्ष्म-जीव हैं जो आपको बीमार कर सकते हैं। यह कुछ ऐसा है जिसे आप नहीं देख सकते लेकिन आप जानते हैं क्योंकि आपको किसी ऐसे ने यह बताया जो उन्हें देख सकता है।
आप माइक्रोब को देख नहीं सकते इसलिए आप उन्हें धोखा नहीं दे सकते। इसी तरह आप दूसरी दुनिया की इन ताकतों को चकमा नहीं दे सकते क्योंकि आप उन्हें नहीं देख सकते। हम उनसे अलग तरीके से निपटेंगे। आपको अपने शरीर, मन, भावना और ऊर्जा को संभालना चाहिए। ये जो दूसरे आयाम हैं जिनसे आप नहीं निपट सकते – उन्हें संभालना मेरा काम है। मैं उस स्थिति का इंतजार कर रहा हूँ। ज्यादा समय बर्बाद मत कीजिए।
किसी से यह पूछने में आपका जीवन बर्बाद हो सकता है कि आपको अपने शरीर, मन और भावनाओं को कैसे संभालना चाहिए। आपके पास उनसे निपटने के सारे साधन मौजूद हैं। अगर आप वास्तव में बैठकर सम्यमा[1] करते हैं, तो आपका मन ऐसा हो जाता है मानो आपका पड़ोसी हो। आप चाहें तो उससे प्यार कर सकते हैं, नहीं तो उसे अकेला छोड़ सकते हैं। सम्यमा किसी टीके (वैक्सीन) की तरह है। आपको वायरस से लड़ने की जरूरत नहीं है - आप बस टीका लगवा लीजिए और वह खत्म।
गुरु आपके अंधकार को दूर करता है। वह गुरु इसलिए नहीं है कि वह आपको ज़मीन छूने, आपकी मानसिक समस्याओं से निपटने या थोड़ा शांत रहने में मदद करता है। वह गुरु इसलिए है क्योंकि वह उन आयामों पर रोशनी डालने में सक्षम है जो अभी तक आपके अनुभव में नहीं हैं। उसके यहाँ होने का मकसद यही है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके अपनी बकवास से निपट लें। आपके पास सभी साधन मौजूद हैं।
[1] ईशा के सम्यमा कार्यक्रम के दौरान भेंट किया जाने वाला ध्यान अभ्यास