ईशा विद्या

पढ़ाने के 8 अनोखे तरीक़े – जो बनाते हैं ईशा विद्या को ख़ास

समय के साथ, ईशा विद्या अपने ग्रामीण स्कूलों में कई नए तरीके ला रहा है ताकि वहाँ के विद्यार्थी शिक्षा में अच्छी प्रगति करें, उनके व्यक्तित्व का विकास हो, और वे भविष्य के लिए तैयार हों। विद्यार्थियों को किस तरह आसानी से नए कौशल सीखने को मिलते हैं, उसके कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं।

पावर इंग्लिश कक्षाएं

हमारे अधिकांश विद्यार्थी घर पर अपनी मातृभाषा बोलते हैं और अंग्रेजी बोलने में अभ्यस्त नहीं होते। इसलिए, पहली से चौथी कक्षा तक के उन विद्यार्थियों के लिए, जिन्हें अंग्रेजी सीखने के लिए ज्यादा मदद की जरूरत होती है, हम ‘कराडी पाथ विधि’ का लाभ उठाते हैं। हम ‘टोटल फिजिकल ‍रेस्पॉन्स’ गतिविधि के साथ ‘पावर इंग्लिश’ कक्षाएं चलाते हैं, जिसमें संगीत सुनना, कहानी पढ़ना और वीडियो को देखकर उस पर अभिनय करना शामिल होता है। यह गतिविधि विद्यार्थियों को एकाग्र रखती है और उनके भाषा कौशल को सुधारती है। 

ईशा विद्या करूर में कक्षा 7 के छात्र मौलीनाथ कहते हैं, ‘मैं पहले अंग्रेजी बोलने में हिचकता था क्योंकि मुझे खुद को अभिव्यक्त करने में मुश्किल होती थी। स्टोरी रीडिंग सत्रों ने मेरी अंग्रेजी शब्दावली को बढ़ाया और अब अंग्रेजी बोलना मेरे लिए आसान हो गया है।’

कोडिंग का ज्ञान

विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए, कक्षा 4 के बाद उन्हें कोडिंग सिखाई जाती है, जिसका मतलब है कि वे अपनी लॉजिकल रीजनिंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स, क्रियेटिव थिंकिंग, आदि को मजबूत बनाने के लिए प्रोग्रामिंग, वेब डिजाइनिंग, आदि सीखते हैं। इन सत्रों के दौरान उन्हें टेक्नोलॉजी के साथ प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

हाल के एक सत्र में, ईशा विद्या कडलोर में सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने माइक्रो-बिट के साथ माइक्रोसॉफ्ट मेक कोड का इस्तेमाल करके नियोपिक्सल रिंग्स में रेनबो रंग बनाए। एलईडी के साथ नियोपिक्सल रिंग्स का इस्तेमाल टाइमपीस, जीपीएस रूट फाइंडर्स, आदि में होता है।

लीप (LEAP) – खोज और प्रस्तुति द्वारा सीखना

कक्षा 6 और 7 के विद्यार्थी अलग-अलग विषयों पर माइक्रोसॉफ्ट पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) बनाने में दक्ष बनकर अपने विचारों को व्यवस्थित करना और खुद को प्रभावी तरीके से अभिव्यक्त करना सीखते हैं। हर विद्यार्थी विषय-वस्तु इकट्ठा करता है, पीपीटी तैयार करता है, उसे कक्षा में प्रस्तुत करता है और फीडबैक पाता है। यह प्रक्रिया उनके कम्युनिकेशन स्किल्स (संवाद कौशल) को भी बेहतर बनाती है और उनमें दर्शकों के सामने आने और बोलने का आत्मविश्वास आता है।

ईशा विद्या सेलम में कक्षा 8 की छात्रा दिव्यदर्शिनी कहती हैं कि लीप ने उन्हें संवादों को लिखने, इंटरनेट ब्राउज करने, और खुद से प्रजेंटेशंस बनाने में सक्षम बनाया।

अटल टिंकरिंग लेबोरेटरीज

सात ईशा विद्या स्कूलों में हाल ही में स्थापित अटल टिंकरिंग लेबोरेटरीज (एटीएल) और अटल इनोवेशन मिशन (भारत सरकार की एक प्रमुख पहल) का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य बच्चों के मन में जिज्ञासा, रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देना और डिजाइन माइंडसेट, गणनात्मक सोच, अनुकूली शिक्षा, भौतिक कंप्यूटिंग, आदि  कौशलों को विकसित करना है।

ये प्रयोगशालाएं कक्षा 4-12 के छात्रों के लिए STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) सीखने की सुविधा के लिए अलग-अलग धाराओं की सामग्री से लैस हैं। सीखना ज्यादातर व्यावहारिक है और इसमें शिक्षकों के नाममात्र के निर्देशों के साथ साथियों के बीच चर्चा शामिल है।

ईशा विद्या इरोड में 11 वीं कक्षा के छात्र शिवकृष्ण समुद्री इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जाना चाहते हैं और कहते हैं कि एटीएल में सीखने से जहाजों में इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में उनकी सोच स्पष्ट हो गई है। वह जहाज नेविगेशन के लिए सेंसर का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं।

साथ-साथ सीखना (पियरलर्निंग)

‘पियरलर्निंग’ छात्रों को दर्शकों के सामने आत्मविश्वास के साथ संवाद करने के लिए तैयार करता है, उनकी आलोचनात्मक सोच और मौखिक/गैर-मौखिक संवाद कौशल को मांजने में मदद करता है, उन्हें वर्णन के कौशल को सुधारने का मौका देता है और वे तुरंत प्रतिक्रिया देना सीखते हैं। इसके अलावा, जब कोई अन्य छात्र पढ़ाता है तो छात्र बेहतर सीखते हैं, क्योंकि वे संदेह दूर करने में हिच‍कते नहीं हैं।

कक्षा 8 के छात्रों के लिए एक गतिविधि में उन्हें जोड़ियों में बाहर जाना होता है और कक्षा दूसरी से पाँचवीं तक के 4-5 छात्रों के समूहों के लिए तमिल और अंग्रेजी कक्षाओं में पियरलर्निंग सत्र आयोजित करना होता है।

ईशा विद्या इरोड में कक्षा 10 की छात्रा अरुणा ने कक्षा 6 के छात्रों को विज्ञान पढ़ाया और कहा कि इससे जूनियर्स को सरल तरीके से अवधारणाओं को समझाने का उनका कौशल बेहतर हुआ और उन्हें आत्मविश्वास हासिल करने में मदद की।

आत्म प्रबंधन

छात्रों को किसी परियोजना या कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी लेने और उसकी निगरानी करने का मौका दिया जाता है। हाल ही में ईशा विद्या कोयंबटूर के छात्रों ने मेडिकल कैंप का आयोजन किया था। अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन में छात्रों ने शेड्यूलिंग, सामग्री व्यवस्था, रिकॉर्ड रखरखाव आदि जैसे अलग-अलग कामों के लिए समूह बनाए और ऐसा करते समय संगठन, नेतृत्व, टीम वर्क और दूसरे कौशल सीखे।

शुभ श्री का, जो छात्र टीम का हिस्सा थीं, कहना है कि उन्होंने समय को अच्छी तरह मैनेज करना और स्पष्टता के साथ जानकारी देना सीखा। वह अब इस ज्ञान को अपनी अकादमिक गतिविधियों में इस्तेमाल कर रही हैं।

कैरियर डे

हाल में, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और कानून जैसे अलग-अलग प्रोफेशनल फील्ड्स के 18 अतिथि वक्ताओं ने कक्षा 9-12 के छात्रों को उनके कैरियर विकल्पों के बारे में ऑनलाइन सलाह दी और उन्हें उन कैरियर को आगे बढ़ाने के बारे में मार्गदर्शन दिया। ऑनलाइन सत्रों से प्रेरित होकर हमारे छात्रों ने कई प्रश्न पूछे और अपने उत्साह से अतिथि वक्ताओं को प्रभावित किया।

एक छात्र तमिल सेलवन ने साझा किया, ‘इन सत्रों ने नई चीजों में मेरी रुचि को बढ़ाया और मुझे एक अच्छे भविष्य की आशा दी। मैंने सीखा कि मुझे ग्रहण करना चाहिए, अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए और अपने काम को लेकर उत्साही होना चाहिए।’

किंडरगार्टन में मज़ेदार शिक्षण गतिविधियाँ

किंडरगार्टन के विद्यार्थियों को सहजता से सीखने में मदद करने के लिए, हमने अक्षरों, आकार, संख्या और बाकी चीज़ें सीखने जैसे आसान सबकों में भी मज़ेदार गतिविधियाँ शामिल कीं।