अपनी मिट्टी बचाओ यात्रा के दौरान सद्गुरु जैसे ही जामनगर बन्दरगाह पर उतरे, उनके स्वागत में जो ख़ुशी की लहर उठी, वह पूरे भारत में फैल गई। सद्गुरु का स्वागत जिस उत्साह और संस्कृति के अलग-अलग रंगों से किया गया उनको समेटने वाले कुछ पलों की झलकियाँ यहाँ पेश हैं।
मोटरसाइकिल से यूरोप, पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व से होते हुए सद्गुरु भारत में जामनगर पहुँचे, जहॉं रंग, संस्कृति, संगीत और नृत्य की धूम-धाम के साथ उनका स्वागत किया गया।
देवगढ़ में पारंपरिक राजस्थानी लोक कलाकारों ने सद्गुरु का स्वागत किया। वे इतने आनंद और बेफिक्री के साथ गा रहे थे कि सद्गुरु उनके साथ रम गए।
सद्गुरु के मोटरसाइकिल पर आगमन के साथ हरियाणा के लोगों ने बड़ी तादाद में नाचते-गाते हुए और उन पर फूल बरसाते हुए उनका स्वागत किया।
यह दिल्ली में हुए मिट्टी बचाओ अभियान के सद्गुरु के कार्यक्रम के परदे के पीछे के दृश्य हैं, जब एक विशाल स्टेडियम 15,000 लोगों से खचाखच भर गया, जो खुशी-खुशी मिट्टी बचाओ अभियान का समर्थन करने के लिए एक साथ जुटे थे।
दिल्ली के स्वयंसेवकों ने खास जोश से सद्गुरु का स्वागत करने के लिए आकाश-पाताल एक कर डाला। हर पल एक उत्सव जैसा था।
मिट्टी बचाओ यात्रा के इस महत्वपूर्ण चरण में, सद्गुरु ने लोगों के जोरदार स्वागत के बीच, हाइवे पर गायों से बचते हुए और स्ट्रेच करने के लिए बीच-बीच में रुकते हुए कानपुर से भोपाल तक का सफर तय किया।
शिरपुर से मुंबई तक की सड़क बारिश में भीगी हुई है, जो न तो सद्गुरु को मोटरसाइकिल चलाने से रोकती है, न ही उनकी एक झलक पाने और अभियान के प्रति समर्थन जताने के लिए सड़क किनारे जमा हुए स्वयंसेवकों के उत्साह को कम करती है।
सद्गुरु ने मुंबई के जियो वर्ल्ड कंवेंशन सेंटर में मीत ब्रदर्स के साथ उनका लोकप्रिय गीत ‘बंदेया’ गाया, जिसे मिट्टी बचाओ अभियान के लिए बनाया गया था और उसमें खुद सद्गुरु का एक संगीतमय कैमियो है।
सद्गुरु धारावी ड्रीम प्रोजेक्ट के प्रतिभाशाली बच्चों से बहुत प्रभावित हुए हैं, जिन्होंने मिट्टी बचाओ अभियान के लिए खास तौर पर बनाए गए अपने अनगढ़ और ऊर्जावान रैप गीतों से मुंबई के धारावी में उनका स्वागत किया।
सद्गुरु खूबसूरत शहर पुणे से होकर गुज़रे, जहाँ लोग मिट्टी बचाओ अभियान के लिए अपना जोश और समर्थन व्यक्त करने के लिए हर रूप-रंग में सड़कों पर उतर आए हैं।
पाँच सदी पहले के अपने प्रसिद्ध पूर्वज, विजयनगर के सम्राट कृष्णदेवराय के बारे में बात करते हुए, सद्गुरु ने इस महान शख्स को लेकर कुछ इतिहास और कहानियों का जिक्र किया।
सद्गुरु को सड़क किनारे बकरियों का एक झुंड मिलता है और वह प्यार से एक को गोद में उठा लेते हैं। फिर वह इन प्यारे नन्हें जीवों समेत हर चीज़ का शोषण करने की दुर्भाग्यपूर्ण इंसानी जरूरत की बात करते हैं।