स्वास्थ्यऔर योग

सही समय पर उठने के लिए जानिए 5 अनोखे उपाय

आप अक्सर सुबह जल्दी उठकर समय का सही उपयोग कर योग का अभ्यास करना तो चाहते हैं, लेकिन जब अलार्म बजता है, आप स्नूज़ का बटन दबा देते हैं। अगर ऐसा आपके साथ भी होता है, तो यहाँ सद्गुरु बता रहे हैं आपकी नींद की आदत को बदलने के पांच तरीके - बिना अलार्म के उठें, समय का लाभ उठाएं और अपनी क्रियाएं या साधना करें।


1: जागरूक हो जाएं कि आप ब्रह्मांड का हिस्सा हैं

सद्‌गुरु: आपका जीवन एक असाधारण घटना का परिणाम है जिसे हम ब्रह्मांड कहते हैं। हमारा अस्तित्व व्यक्तिगत नहीं है, लेकिन हम प्रकृति के साथ अपना तालमेल खो चुके हैं। बहुत सी बीमारियाँ और परेशानियां जिनसे आज इंसान जूझ रहा है, वो बस इसलिए हैं क्योंकि प्रकृति की उन शक्तियाँ से हम अपना तालमेल खो चुके हैं, जो हमें वो बनाती हैं और जो हम हैं। अचानक से अलार्म की आवाज़ से उठना सही तरीक़ा नहीं है। जब आप प्रकृति के साथ तालमेल में होंगे, तब आप बिना अलार्म के उठ जाएंगे। 

2: अपने सोने के कमरे के वातावरण को सही बनाएँ

आप जंगल में जाकर नहीं रह सकते, लेकिन कम से कम घर में जहाँ आप सोते हैं वहां खुद के आस-पास पौधे लगा सकते हैं। आपके आस पास जो भी जीवित वस्तु है, उसके प्रति आपको हमेशा जागरूक होना चाहिए। अगर सम्भव हो, तो आधी छत या दीवार खोल दें जिससे कि आप के ऊपर सूरज की थोड़ी रोशनी आए। घर को पूरी तरह बंदकर हमेशा  एयर कंडीशनर चलाकर नहीं रखना चाहिए। एयर कंडीशनर से लगातार आ रही आवाज़ या आपके आस-पास होती ऐसी कोई भी दूसरी झनझनाहट आपके शरीर को परेशान करती है।

3: आसानी से उठने के लिए सही भोजन खाएँ

भोजन शरीर का ईंधन है। अगर आप सही ईंधन डालेंगे, तो आपका शरीर एक ख़ास तरीके से काम करेगा। गलत ईंधन डालने से यह बस किसी तरह काम चला लेगा। आप ख़ुद ही आज़माकर देख सकते हैं। आज रात पका हुआ खाना खाने के बजाए बस फल खाएं। कल सुबह आप अलार्म की घंटी से पहले उठ जाएंगे और एकदम तरोताज़ा महसूस करेंगे।

4: सोने का सही समय चुनें

क्या आप जानते हैं आपको कितनी नींद चाहिए - मान लेते हैं आपको 8 घंटे की नींद की ज़रूरत है। जितनी भी नींद आपको चाहिए, उसी अनुसार आप सोने जाएँ जिससे आप अपनी 8 घंटे की नींद पूरी कर सकें और स्वाभाविक रूप से उठ सकें। फिर भी अगर आपको संदेह है कि आप उठ पाएंगे या नहीं, तो आप उठने के लिए कोई मंत्र का जाप अलार्म की जगह लगा सकते हैं। जैसे आप वैराग्य मंत्र चुन सकते हैं, या ऐसा कोई एक मंत्र जो आपके भीतर गूँजता हो, उसे चुन सकते हैं।

5: जानिए कि आप जीवन के साथ तालमेल में हैं या नहीं 

योग आपको जीवन की ताल के साथ मेल में होने में मदद करता है। अगर आप जीवन के साथ तालमेल में आ जाते हैं, तो आप सुबह 3 बजे के आस-पास उठ जाएंगे। अगर आप जागरूक हैं, तो अचानक उस समय आपके अंदर जीवंतता की एक चिंगारी जल उठेगी। चाहे आप कितनी भी गहरी नींद में क्यों न हों, आप जाग जाएंगे। अगर ऐसा हो जाता है, इसका मतलब है आप जीवन के साथ तालमेल में आ रहे हैं।

6: ब्रह्म मुहूर्त से फ़ायदा

यह विशेषतः 33 डिग्री अक्षांश तक के लिए उचित है। सुबह 3:40 से 4 बजे तक, सूर्य की किरणें धरती से एक ख़ास कोण में होती हैं। अगर आप एक तरह से जागरूक हो जाते हैं, तो आप आराम से जान जाएंगे कि वो समय कौन सा है। अगर आप सही समय पर बिस्तर पर जाते हैं तो आपको अपनी घड़ी देखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।  आपको स्वत: पता चल जाएगा कि कब सुबह के 3:40 बज रहे हैं, क्योंकि शरीर तब अलग तरह से बर्ताव करेगा।

अगर आप के अंदर एक जीवंत बीज है, और आप ब्रह्म मुहूर्त में जागते हैं, और जिस भी योग-अभ्यास की दीक्षा आपको दी गई है, उसका अभ्यास करते हैं, तो आपको उसका सबसे अधिक लाभ मिलेगा।

उस वक़्त इंसान का शरीर एक संभावना की तरह काम करता है। योग-प्रणाली में हमेशा इस संभावना को इस्तेमाल करने के प्रति जागरूकता रखी गई। तो आपको उस वक़्त क्या करना चाहिए? क्या आपको ध्यान लगाना चाहिए? क्या आपको क्रिया-अभ्यास करना चाहिए? इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि आप क्या कर रहे हैं - आपको वो क्रिया ज़रूर करनी चाहिए जिसकी आपको दीक्षा दी गई है। दीक्षा का मतलब यह नहीं है कि आपको क्रिया सिर्फ़ सिखाई गई है – बल्कि इसे आपके सिस्टम में एक बीज की तरह बो दिया गया है। 

इसलिए, अगर आप के अंदर एक जीवंत बीज है, और आप ब्रह्म मुहूर्त में जागते हैं, और जिस भी योग-अभ्यास की दीक्षा आपको दी गई है, उसका अभ्यास करते हैं, तो आपको उसका सबसे अधिक लाभ मिलेगा। बीज को अंकुरित होने और तेज़ी से बढ़ने के लिए किसी भी और समय के मुक़ाबले इस समय अधिक मदद मिलेगी। यह सिर्फ उनके लिए है जिन्हें दीक्षा मिली है। बाक़ी सभी लोगों के लिए संध्या काल ज़्यादा महत्वपूर्ण है। संध्या काल सूर्योदय और सूर्यास्त से बीस मिनट पहले से बीस मिनट बाद तक का होता है। यही समय-अंतराल दोपहर और मध्यरात्रि के समय भी होता है, लेकिन उन संध्या-कालों की प्रकृति थोड़ी अलग होती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय वाले संध्या-काल उनके लिए सही हैं, जो दीक्षित नहीं हैं। जिन्हें दीक्षा दी गई है, उनके लिए सुबह के 3:40 बजे का समय सबसे अच्छा है।