सेहत

क्या योग डायबिटीज जैसी पुरानी बीमारियों में मददगार हो सकता है?

14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस आ रहा है, सद्‌गुरु बता रहे हैं कि योग, पुरानी बीमारियों और खास तौर पर डायबिटीज पर कैसे काम करता है। वह समझा रहे हैं कि आध्यात्मिक साधना, पुरानी बीमारियों की जड़ तक कैसे पहुँच सकती है, जबकि आधुनिक मेडिकल साइंस सिर्फ लक्षणों का इलाज करती है।

पुरानी बीमारी बनाम संक्रामक रोग

सद्‌गुरु: दो तरह के रोग होते हैं – संक्रामक और पुराना रोग। संक्रामक रोग तब होते हैं, जब कोई बाहरी जीवाणु शरीर में घुसकर परेशानी पैदा करता है, जिसे दवा से ठीक करना होता है। पुरानी बीमारी में हमारा शरीर ही समस्या पैदा करता है। 

शरीर की हर कोशिका को सेहत देने के लिए प्रोग्राम किया गया है, तो आख़िर वह रोग क्यों पैदा करेगी? या तो कोई बहुत मूलभूत चीज़ असंतुलित हो गई है या शरीर के अंदर एक तरह का भ्रम आ गया है जिसके कारण वह सेहत के बजाय बीमारी पैदा कर रहा है। हम इस भ्रम को कई अलग-अलग तरीकों से बढ़ा सकते हैं। यह आपके दिमाग का भ्रम नहीं है, बल्कि यह कोशिका और तत्वों के स्तर पर होता है। 

किसी भी पुराने रोग की जड़ हमेशा ऊर्जा-काया में होती है।

किसी भी पुराने रोग की जड़ हमेशा ऊर्जा-काया में होती है। आपकी ऊर्जा-काया किस तरह से काम करती है, यह कई चीज़ों से तय होता है। वह माहौल, जिसमें आप रहते हैं, जो खाना आप खाते हैं, जिन रिश्तों में आप हैं या आपकी भावनाएं, नज़रिया, विचार और राय – इन सबसे आपकी ऊर्जा-काया प्रभावित होती है। कभी-कभी कुछ बाहरी ऊर्जा स्थितियाँ भी आपकी भीतरी ऊर्जा को अशांत करती हैं। जब आपकी ऊर्जा काया किसी भी रूप में अशांत होती है, तो यह स्वाभाविक रूप से शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में सामने आएगा।

शरीर की इस परत – उर्जा-शरीर – के अशांत होने के बाद, मानसिक शरीर और भौतिक शरीर का भी अशांत होना तय है। डॉक्टर का काम तभी पड़ता है, जब यह मेडिकल समस्या बन जाती है, जिसका मतलब है कि वह शारीरिक तौर पर प्रकट होती है।

एलोपैथी की बुनियादी कमी

दुर्भाग्य से, मेडिकल साइंस केवल बीमारी को समझता है। वह स्वास्थ्य की जड़ों और आधार को नहीं समझता। अगर आप डायबिटीज के रोगी हैं, तो आपकी समस्या शर्करा (शुगर) नहीं है – बस इतना है कि आपका अग्न्याशय (पैंक्रियाज़) ठीक से काम नहीं कर रहा है। आपातकालीन उपाय के रूप में, आप चीनी का सेवन कम कर देते हैं क्योंकि एलोपैथिक दवा में आपके अग्न्याशय को सक्रिय करने का कोई दूसरा तरीका नहीं है। उनके पास एक ही उपाय है कि आप हर दिन अपने शुगर की जांच करें और कुछ इंसुलिन लें। एलोपैथिक सिस्टम लक्षणों का इलाज करती है, डॉक्टर आपके लक्षणों को देखता है, और उनके आधार पर उपचार तय करता है।

जहाँ तक मैं देखता हूँ, एलोपैथी दवा किसी भी प्रकार के संक्रमण के लिए एक शानदार सिस्टम है। यह आपके शरीर में बाहर से आने वाले किसी भी संक्रमण के लिए सबसे बेहतर है। लेकिन इसमें उन रोगों के लिए कोई समाधान नहीं है, जो हमारा सिस्टम अंदर से पैदा करता है, जैसे डायबिटीज, रक्तचाप या माइग्रेन से होने वाला सिरदर्द आदि। आधुनिक मेडिकल साइंस सिर्फ बीमारियों को मैनेज करता है और शायद ही कभी आपको उन बीमारियों से मुक्त करने की बात करता है। बीमारियों को मैनेज करने के लिए मेडिसिन की पूरी प्रणाली और कई तरह के स्पेशलिस्ट हैं, बेशक उनकी अपनी सीमा है। 

योग का बुनियादी आधार यह है कि अगर आपकी ऊर्जा-काया पूरे प्रवाह में और उचित संतुलन में है, तो आपके भौतिक या मानसिक शरीर में कोई लंबी बीमारी नहीं हो सकती।

सिर्फ उन बीमारियों को मैनेज करने पर ढेर सारा पैसा और समय खर्च किया जा रहा है। यह कुछ इसी तरह है जैसे लोग स्ट्रेस मैनेजमेंट की बात करते हैं। लोग अपने तनाव को, डायबिटीज को, ब्लड प्रेशर को मैनेज करना चाहते हैं। इस तरह की मूर्खता सिर्फ इसलिए आई है क्योंकि उन्होंने बुनियादी सिद्धांतों को नहीं समझा है कि उनकी अपनी जीवन ऊर्जा किस तरह काम करती है।

योग और पुराने रोग

योग में, हम डायबिटीज को शरीर की संरचना में एक मूलभूत गड़बड़ी की तरह देखते हैं। और हर व्यक्ति में, शरीर में होने वाली गड़बड़ी का स्तर और प्रकार बहुत अलग-अलग होते हैं। इसलिए इसे व्यक्तिगत स्तर पर संभाला जाना चाहिए। हालांकि, चाहे कोई भी बीमारी हो, योग का मकसद संतुलन लाना, ऊर्जा बढ़ाना या ऊर्जा-शरीर को जाग्रत करना है। योग का बुनियादी आधार यह है कि अगर आपकी ऊर्जा-काया पूरे प्रवाह में और उचित संतुलन में है, तो आपके भौतिक या मानसिक शरीर में कोई लंबी बीमारी नहीं हो सकती।

हम बीमारी का इलाज नहीं करते, हम बीमारी को सिर्फ उस गड़बड़ी के प्रभाव के रूप में देखते हैं, जो ऊर्जा काया में मौजूद हो सकती है। अगर लोग अपने ऊर्जा-शरीर को संतुलित और जाग्रत करने के लिए एक निश्चित साधना करने के इच्छुक हों, तो वे पुराने रोगों से मुक्त हो सकते हैं।