घटना क्रम

सद्‌गुरु के साथ एक सफ़र

पिछले कुछ हफ़्तों की गतिविधियों पर एक नज़र

सद्‌गुरु के साथ हिमालय यात्रा

27
सितम्बर
7
अक्टूबर

जब सद्‌गुरु युवा थे, तब वे अक्सर अपनी मोटरसाइकिल से हिमालय तक चले जाते थे। 41 साल बाद दोपहिया पर इन शानदार पहाड़ों में चक्कर लगाते हुए उन्होंने एक बार फिर उन रोमांचक दिनों को याद किया। 

सद्‌गुरु 27 सितंबर को नोएडा से हिमालय की सैर पर निकले। 10 मोटरसाइकिल सवार अपनी-अपनी बाइक पर उनके साथ निकले और 60 लोग बसों में उनके पीछे चले।

मोटरसाइकिल सवारों का दल उत्तराखंड के सुंदर जिम कार्बेट नेशनल पार्क से होते हुए आगे बढ़ा, जो भारत के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है और जहाँ करीब 200 बाघ विचरण करते हैं।

उत्तराखंड में राज्य के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, सद्‌गुरु से मिले और उनके साथ सद्‌गुरु की एक सार्वजनिक वार्ता हुई जिसका विषय था कि कैसे उत्तराखंड को आध्यात्मिकता के एक गंतव्य के तौर पर दुनिया के सामने पेश किया जा सकता है।

बाद में स्वामी रामदेव ने, जो एक बेहतरीन मेज़बान हैं, गर्मजोशी से उनका स्वागत किया।

सद्‌गुरु की अगुआई में मोटरसाइकिल सवार ऋषिकेश से गुप्तकाशी के बीच कुछ अद्भुत इलाकों से गुज़रे। वे थोड़ी देर के लिए रुद्रप्रयाग में रुके, जहाँ अलकनंदा और मंदाकिनी नदियाँ मिलती हैं और आगे जाकर पवित्र गंगा बन जाती हैं। 

सद्‌गुरु ने गुप्तकाशी के विश्वनाथ मंदिर में प्रतिभागियों को एक शक्तिशाली ध्यान प्रक्रिया कराई। उन्होंने इस पवित्र स्थान की महत्ता के बारे में कई बार बताया है।

आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण अगला पड़ाव केदारनाथ मंदिर था, जहाँ सद्‌गुरु ने इस मंदिर की भव्य मौजूदगी में प्रतिभागियों के साथ समय बिताया। यह मंदिर भारतीय आध्यात्मिकता का एक प्रकाश स्तंभ है। इसके बाद यह काफिला बद्रीनाथ की ओर बढ़ा, जो हज़ारों सालों से इस संस्कृति में एक मुख्य तीर्थस्थान रहा है।

यह पूरी यात्रा मज़ेदार पलों से भरी हुई थी और भूस्खलनों और गिरती चट्टानों के साथ खतरे से भी भरपूर थी। जोशीमठ के रास्ते में सद्‌गुरु बाल-बाल बचे, जब आकार बदलने वाले इस इलाके में अचानक भूस्खलन हुआ। सावधानी से चलते हुए और थोड़ी खुशकिस्मती से स्थिति को सफलतापूर्वक काबू में कर लिया गया और किसी को चोट नहीं लगी।

7 अक्टूबर को मोटरसाइकिल सवार इस अपूर्व रोमांचक यात्रा की मधुर यादों को समेटे, इन भव्य पहाड़ों से वापसी के लिए निकल पड़े। इन शानदार पहाड़ों और पवित्र जगहों का अनुभव करने के लिए साधकों के कई और दल अपने यात्रा कार्यक्रम के मुताबिक पहुँचे थे।

क्लाइमेट वीक, न्यूयार्क सिटी में सद्‌गुरु का संबोधन

20-26
सितम्बर

जलवायु परिवर्तन की जटिल चुनौती के बारे में बात करते हुए, सद्‌गुरु ने जोरदार ढंग से कहा कि कैसे मिट्टी की सेहत इकोलॉजी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, और मिट्टी के जैविक तत्वों को बहाल करना पृथ्वी को बचाने का सबसे अच्छा उपाय है। उन्होंने यह कहते हुए अपना संदेश समाप्त किया कि इकोलॉजी के प्रति एक सचेतन दृष्टिकोण अपनाना समय की जरूरत है और आम लोगों को इस कोशिश में लगना चाहिए।

ग्लोबल सिटिजन लाइव में सद्‌गुरु का संदेश

26
सितम्बर

इस 24 घंटे के भव्य कार्यक्रम में सद्‌गुरु मुख्य वक्ता थे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे प्रमुख नेता और अमिताभ बच्चन जैसे प्रभावशाली मीडिया व्यक्तित्व भी मौजूद थे। सद्‌गुरु ने मिट्टी, पानी और जलवायु परिवर्तन के सबसे अहम मुद्दों के बारे में दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में लोगों के बीच बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने की भारी जरूरत के बारे में बात की।

‘टाई सस्टेनेबिलिटी समिट क्लाइमेट लाइव में कांशस प्लैनेट’ में सद्‌गुरु

5
अक्टूबर

सद्‌गुरु के सत्र का संचालन एक आईएएस अधिकारी श्री प्रवेश शर्मा ने किया, जिन्होंने 34 साल की सेवा से रिटायर होने के बाद एक स्टार्टअप ‘सब्जीवाला’ शुरू किया है। उन्होंने सद्‌गुरु से हिमालय में उनके अनुभवों के बारे में पूछा, और दोनों ने पारिस्थितिकी आपदाओं से बचने के लिए जिम्मेदार इको-टूरिज्म पर चर्चा की, और इस पर विचार-विमर्श किया कि देश के नागरिक अपनी धरती को एक सचेतन ग्रह बनाने में कैसे मदद कर सकते हैं।