जीवन के रहस्य

जीवन वास्तव में कब शुरू होता है और मरने के सर्वश्रेष्ठ और सबसे खराब तरीके क्या हैं? 

भारतीय कवि, लेखक, गीतकार और स्क्रीनराइटर प्रसून जोशी ने सद्‌गुरु से जानना चाहा कि जीवन कब शरीर के अंदर प्रवेश करता है। बातचीत यहाँ से शुरू होकर स्वाभाविक रूप से मृत्यु की तरफ बढ़ गई। क्या आप भी जानने के लिए उत्सुक हैं कि मृत्यु के विभिन्न कारणों के क्या परिणाम होते हैं? जानिए दिव्यदर्शी के शब्दों में। 

‘आत्मा’ कब शरीर के अंदर प्रवेश करती है?

प्रसून जोशी: सद्‌गुरु, आत्मा कब शरीर के अंदर प्रवेश करती है?

सद्‌गुरु: आत्मा की जगह ‘जीवन’ शब्द इस्तेमाल कर लेते हैं, क्योंकि ‘आत्मा’ शब्द बहुत दूषित हो चुका है। जो जीवन आप हैं, वह उस व्यक्ति से अलग है, जो आप हैं। आप जो व्यक्ति हैं, वह आपके आस-पास घटित होने वाली कई चीज़ों से बना और ढला है। आप जो जीवन हैं, वह एक ख़ास जानकारी के साथ आया है। जब उसके पास की जानकारी खत्म हो जाती है या कहें सॉफ्टवेयर खत्म हो जाता है, तो फिर यह जीवन शरीर से बाहर चला जाता है, क्योंकि उसका समय खत्म हो गया है।

अगर इसका समय अभी बाकी है, लेकिन किसी वजह से आप शरीर को ख़त्म कर देते हैं, तो यह बाहर निकल जाता है। जब यह इस तरह बाहर निकलता है, तो जीवन की गूँज बहुत तेज़ होती है। उसे नहीं जाना चाहिए था, लेकिन वह चला गया। इस जीवन के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है, वरना आप इसे जंगल में भी छोड़ दीजिए तो यह चलता रहेगा। अगर यह शरीर में रहता तो शायद पाँच साल में अपना समय पूरा कर लेता, लेकिन भौतिक शरीर के बिना, ये पाँच साल, पाँच सौ साल हो सकते हैं।

जीवन और मृत्यु का सवाल

प्रसून जोशी: जब आप कहते हैं, ‘इस जीवन ने जाने का फैसला किया,’ तो कहीं न कहीं इसका मतलब यह हुआ कि उसके पास जाने का चुनाव है। लेकिन जिस तरह हम अपने प्रियजनों को जाते हुए देखते हैं, ऐसा लगता है जैसे किसी और ने यह फैसला किया या किसी घटना ने उनकी मृत्यु का फ़ैसला किया। कुछ दूसरे प्रकार की मृत्यु भी होती है, जैसे हम समाधि और सचेतन मृत्यु के बारे में सुनते हैं, शायद यह उस तरह की मृत्यु नहीं है। 

सद्‌गुरु: चलिए, मृत्यु के प्रकारों को देखते हैं। गर्भपात मृत्यु का ही एक रूप है। अगला है, मृत जन्म लेना - यह एक निश्चित समय के बाद भी हो सकता था। गर्भधारण के बाद, आमतौर पर चालीस से अड़तालीस दिनों के बीच, जीवन प्रवेश करता है। यह मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से कह रहा हूँ। यही समय है, जब आप प्रवेश करते हैं। कुछ जीवन बाद में प्रवेश करते हैं। यह चीज़ एक माँ महसूस कर सकती है, अगर हम उसे थोड़ी ट्रेनिंग दें। अगर वह देखती है कि कोई जीवन अड़तालीस दिनों के बाद आया है, तो वह वाकई किसी विशेष को जन्म देगी क्योंकि इस तरह के जीवन को व्यवस्थित होने में समय लगता है।

गर्भधारण के बाद, आमतौर पर चालीस से अड़तालीस दिनों के बीच, जीवन प्रवेश करता है।

आपने सुना होगा कि किसी ने गौतम बुद्ध की माता को देखकर कहा, ‘तुम एक असाधारण प्राणी को जन्म देने वाली हो।’ किसी ने माता यशोदा को देखकर कहा, ‘तुम एक असाधारण प्राणी को जन्म देने वाली हो’। अगर आप ध्यान देते हैं कि गर्भधारण के अड़तालीस दिनों बाद जीवन प्रवेश करता है, तो इसका मतलब है कि आप एक असाधारण व्यक्ति के आने की उम्मीद कर सकते हैं। 

मृत्यु के अलग-अलग तरीके

गर्भ इस शरीर को तैयार करने का कारखाना है। किसी वजह से अगर शरीर ने उस जीवन के लिए खुद को सही तरीके से तैयार नहीं किया, तो जीवन जन्म के पहले ही निकल जाने का फैसला करता है – यह ‘स्टिलबॉर्न’ यानी मृत शिशु होता है। या कई बार किसी मजबूरी के कारण एक माँ गर्भपात कराने का फ़ैसला करती है। शरीर के साथ इस जीवन का जुड़ाव लगभग चौरासी से नब्बे दिनों के बीच कहीं शुरू होता है। तब तक वह अपने लिए आसरा ढूँढता रहता है और देखता है कि यह कोख उसके लिए सही है या नहीं। यह सब कुछ सचेतन रूप से नहीं होता – वह बस देखता है कि प्रवृत्तियाँ मेल खाती हैं या नहीं। पारंपरिक तौर पर हम इसे वासना कहते हैं। अपनी वासना के आधार पर आप उपयुक्त शरीर की खोज में होते हैं। 

गर्भधारण के चौरासी से नब्बे दिनों के बीच जीवन शरीर के साथ ठीक से जुड़ जाता है। तब से, यह एक वास्तविक शिशु होता है और तब आपको उसे परेशान नहीं करना चाहिए।

हालांकि यह जीवन शरीर के साथ आंशिक रूप से जुड़ा रहता है, लेकिन नब्बे दिन से पहले वह बाहर निकल सकता है। गर्भधारण के चौरासी से नब्बे दिनों के बीच जीवन शरीर के साथ ठीक से जुड़ जाता है। तब से, यह एक वास्तविक शिशु होता है और तब आपको उसे परेशान नहीं करना चाहिए। आपको उसे पोषण देना चाहिए, चाहे वह जैसे भी आया हो। अगर कुछ करना भी है तो चौरासी दिनों से पहले करना चाहिए। उसके बाद उस जीवन को नहीं छूना चाहिए, जो शरीर में समा चुका है।

मृत्यु के सबसे अच्छे और बुरे तरीके

अगली चीज़ यह है कि किसी तरह की दुर्घटना हो सकती है। दुर्घटना का मतलब है कि शरीर टूट गया। एक बार जब शरीर टूटकर ख़त्म हो जाता है, तो जीवन निकल जाता है क्योंकि वह उस शरीर में खुद को बनाए नहीं रख सकता। अगली चीज़ है आत्महत्या। किसी बाहरी हालात के कारण, कोई अपना जीवन समाप्त करने का निर्णय लेता है। अगली संभावना तांत्रिक प्रक्रियाओं से मृत्यु है। यह मृत्यु के सबसे बुरे तरीकों में से एक है, क्योंकि यह उस जानकारी को अस्थिर कर देती है जो एक खास सिस्टम में आपके अंदर समाई हुई है। 

उस जीवन की प्रवृत्तियाँ माता-पिता की दी हुई जेनेटिक सामग्री के साथ एक मेल की तलाश कर रही हैं। जब उस मेल में खलल पड़ेगा तो लोग एक भयानक मौत मरेंगे। भयानक सिर्फ इस अर्थ में नहीं, जो उस समय उन्हें झेलना पड़ सकता है, बल्कि अपने अंदर हुई इस समस्या को हल करने में लगने वाले लंबे समय के कारण।

अगली संभावना है, समाधि या शरीर से निकलने का सचेतन तरीका। अगर आपके पास अपनी मर्जी से मरने का चुनाव हो, तो आप चेतना में जाना चाहेंगे, या किसी दूसरे तरीके से? मृत्यु वह अंतिम काम है, जो आप अपने जीवन में करते हैं और आप सिर्फ एक बार मर सकते हैं। इसलिए आपको उसे स्टाइल में करना चाहिए।