मिट्टी को बचाने की सद्गुरु की यात्रा के मुख्य अंश पेश हैं, जब वह इकलौते मोटरसाइकिल सवार के रूप में यूरोप से मध्य एशिया और मध्य पूर्व की यात्रा कर रहे हैं।
काफी उत्सुकता से सुन रहे सीईओ के एक समूह को संबोधित करते हुए सद्गुरु ने दुनिया में मिट्टी की खराब हालत को पलटने की जिम्मेदारी और सौभाग्य की बात की। उन्होंने कुछ सवालों के जवाब में यह भी बताया कि अपने मन को कैसे संभालें और अपने आस-पास के शोर से कैसे ख़ुद को बाहर रखें।
रोमानिया में भारत के राजदूत राहुल श्रीवास्तव ने मिट्टी बचाओ अभियान के महत्व के बारे में एक जोरदार भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। फिर सद्गुरु ने मंच संभाला और उन्होंने आध्यात्मिकता और पारिस्थितिकी दोनों की बात की, जिसे दर्शकों ने बहुत ध्यानपूर्वक सुना।
सद्गुरु ने रोमानिया के कृषि मंत्री, एड्रियन- इयोनु-चेस्नोइ के साथ मिट्टी के बारे में उपयोगी बातचीत की। एक अलग कार्यक्रम में, सद्गुरु ने रोमानियाई पर्यावरण मंत्रालय के सचिव के साथ भी इस बारे में बातचीत की।
रोमानिया के शिक्षा मंत्री, श्री सोरिन मिहाई सिंपनु और सद्गुरु ने शिक्षा में पारिस्थितिकी के महत्व पर चर्चा की और बताया कि कैसे दुनिया भर के लोग मिट्टी के विलुप्त होने के संकट से जूझ रहे हैं।
एक खचाखच भरे हॉल में लोगों को संबोधित करते हुए सद्गुरु ने अधिकांश भूमि के जोते जाने या पक्का किए जाने के कारण धरती पर फोटोसिंथेसिस में आई खतरनाक गिरावट के बारे में बात की। पारंपरिक तुर्की संगीत और सेव-सॉयल गीत के भावपूर्ण तुर्की संस्करण ने शाम को खुशगवार बना दिया।
सद्गुरु वहाँ एक सूफी नृत्य में भी शामिल हुए (24 अप्रैल)।
जॉर्जिया और अर्मेनिया में भारत के राजदूत श्री के डी देवल ने जॉर्जिया में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सद्गुरु से मुलाकात की।
पारंपरिक सांस्कृतिक नृत्य के एक शानदार प्रदर्शन के बाद, जिसने उस जगह को जोश से भर दिया था, सद्गुरु ने उत्साही मिट्टी बचाओ अभियान के समर्थकों और जिज्ञासु नागरिकों से भरे एक हॉल को संबोधित किया, जो उन्हें देखने के लिए पूरे जॉर्जिया से आए थे। उन्होंने योग, खुशी, पंचतत्वों जैसे अलग-अलग विषयों पर बात की और बताया कि दशकों की कोशिश के बाद मिट्टी बचाओ अभियान ने कैसे आकार लिया।
प्रेस के साथ एक बैठक में, सद्गुरु ने मिट्टी में जैविक तत्व बढ़ाने के संबंध में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन के तीन चरणों की जरूरत की बात की:
तिब्लिसी में स्वयंसेवकों से बात करते हुए, सद्गुरु ने जोर देकर कहा कि मिट्टी बचाओ कोई आंदोलन या किसी के खिलाफ अभियान नहीं है, बल्कि जो जीवन हम हैं, जो जीवन हमारे चारों ओर है और जो जीवन हमारे बाद होगा, उसके लिए हमारे प्यार और जिम्मेदारी की एक अभिव्यक्ति है।
मिट्टी बचाओ यात्रा का अगला पड़ाव अजरबैजान की राजधानी बाकू था जहाँ ईशा संस्कृति मिट्टी बचाओ यात्रा में शामिल हुई।
ईशा संस्कृति द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय नृत्य और कलारीपयट्टू की एक आकर्षक प्रस्तुति ने हैदर आदियेव सेंटर में एक शानदार शाम के लिए समां बांध दिया। अज़रबैजान में भारत के राजदूत बी. वनलालवावना ने अपने उद्घाटन भाषण में अज़रबैजान और उसके बाहर के सभी लोगों को इस अभियान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जिसके बाद अभिनेता और टीवी प्रस्तोता तुरल असादोव ने सद्गुरु को मंच पर आमंत्रित किया।
सद्गुरु ने ज़ोर देकर कहा कि हमारी कृषि भूमि में जैविक तत्वों को बनाए रखने के लिए गंभीर रूप से कार्यवाही करने की जरूरत है, इसे एक नीति के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
अज़रबैजान और मिट्टी बचाओ अभियान के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने अपनी मिट्टी की सेहत में सुधार के लिए देश की प्रतिबद्धता को मजबूत किया। अज़रबैजान के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग की प्रमुख लेयला तघियेवा ने देश में सद्गुरु के आगमन की प्रशंसा की और कृषि उप-मंत्री सरवन जाफ़रोव की मौजूदगी में उनके साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
सूची में अगला नाम जॉर्डन के हाशमी राज्य का था। सद्गुरु अकाबा पहुंचे, जहां राजदूत एच.ई. अनवर हलीम ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया और सभी की खुशहाली में योगदान देने के लिए मिट्टी बचाओ अभियान तथा सद्गुरु का गहरा आभार व्यक्त किया।
सद्गुरु ने भारतीय प्रवासियों और गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित किया और भारत की विशिष्टता के बारे में बताते हुए समझाया कि जहाँ अधिकांश देश जाति, धर्म, भाषा की समानता के आधार पर बने, भारत की स्थापना जीवन की गहन समझ के आधार पर की गई थी।
हिज रॉयल हाइनेस प्रिंस एल हसन बिन तलाल ने भी सद्गुरु से मुलाकात कर मिट्टी बचाओ अभियान और जॉर्डन कैसे इसका हिस्सा हो सकता है, इस पर चर्चा की।
फिलिस्तीन में एक पड़ाव पर, सद्गुरु ने पिछले कुछ दशकों में भू-राजनीतिक मुद्दों और संघर्षों के कारण खेती में आई गिरावट के बारे में बात की।
तेल अवीव के तटीय शहर में, सद्गुरु ने चार्ल्स ब्रोंफमैन सभागार में 4500 लोगों के विशाल दर्शकवृंद को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दुनिया को इज़राइल की कृषि प्रथाओं और नए प्रयोगों से बहुत कुछ सीखना है। उन्होंने कहा कि जहाँ दुनिया के बाकी हिस्सों में उपजाऊ मिट्टी रेत में बदल रही है, वहीं इज़राइल रेत को उपजाऊ मिट्टी में बदल रहा है, अपने 99% भोजन का खुद उत्पादन कर रहा है, और कृषि प्रौद्योगिकी में अग्रणी नए प्रयोग कर रहा है। इस कार्यक्रम में इज़राइल के अर्थव्यवस्था और उद्योग मंत्रालय के महानिदेशक डॉ रॉन मल्का और इज़राइल में भारत के दूतावास में मिशन के डिप्टी चीफ राजीव बोडवाडे के प्रेरक संबोधन भी शामिल थे।
आबिदजान, कोटे डी आइवर में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) कॉप-15 सम्मेलन में 195 देशों को अपने संबोधन में, सद्गुरु ने एक व्यावहारिक रणनीति प्रस्तुत की, जिसे तीन चरणों में लागू करना होगा। इसे मिट्टी में जैविक सामग्री को बढ़ाने और मिट्टी को खराब होने से बचाने के लिए अपना सकते हैं। उनकी रणनीतिक योजना का सारांश इस लिंक पर पढ़ें।
सम्मलेन में मौजूद कई लोग सद्गुरु को पहली बार देख रहे थे, पर उन्होंने सद्गुरु को अपना पूरा समर्थन दिया।