मिट्टी बचाओ

मिट्टी को बचाने के लिए सद्‌गुरु के तीन सूत्र

आबिदजान, कोट डी आइवोर में मिट्टी को रेत बनाने से बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) की कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप15) के 15वें सत्र में, सद्‌गुरु ने मिट्टी को बचाने पर पूरा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने जैविक तत्वों को बढ़ाकर खेती की मिट्टी को पुनर्जीवित करने की तीन-चरणों वाली एक व्यावहारिक रणनीति की सिफारिश की। भाषण का सार प्रस्तुत है। 

सद्‌गुरु : कोट डी आइवोर में कॉप-15 सम्मेलन में दुनिया के सभी देशों का यह जमावड़ा एक महत्वपूर्ण अवसर है कि हम दुनिया भर की सरकारी नीतिगत कोशिशों को, जो खेती वाली भूमि को हुए नुक़सान को ठीक करने के उद्देश्य से बनाई गई हैं, और मजबूत कर सकें और ऐसा करके मानव जाति को मिट्टी-विलुप्ति की कगार से वापस ला सकें। मिट्टी को बड़े पैमाने पर बचाने के लिए, हमें एक ऐसे जन-आंदोलन को आकार देने की जरूरत है, जिसकी जड़ें गहरी हों। हमारे सामने मौजूद पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) समस्या की जटिल प्रकृति के बावजूद, एक सफल जन-आंदोलन तभी खड़ा किया जा सकता है जब हम सुधार की कार्रवाई पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर सकें, जो कि संक्षिप्त भी हो और सरल भी। पारिस्थितिकी से जुड़ी हमारी कोशिशों का इतिहास बताता है कि हमें बहुत कम कामयाबी मिली है। काफी हद तक इसलिए क्योंकि हम जटिल वैज्ञानिक तर्कों को आसानी से की जा सकने कार्यवाही में नहीं बदल पाए। 1987 के मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को अक्सर अब तक का सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय समझौता माना जाता है - और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि केवल एक काम पर ध्यान केंद्रित किया गया था - ओजोन परत की क्षति को रोकना।

इसी तरह, मिट्टी की अलग-अलग स्थितियों में, अलग-अलग कृषि-जलवायु क्षेत्रों में और सांस्कृतिक व आर्थिक परंपराओं के अलग-अलग संदर्भों में भूमि क्षरण की समस्या से निपटने के तरीकों पर कई वैज्ञानिक बारीकियां सामने आईं। फिर भी अगर इसके एक व्यापक उद्देश्य के बारे में सोचें तो वह यह सुनिश्चित करना है कि खेती की मिट्टी में कम से कम 3-6% जैविक सामग्री हो। यह हमारी मिट्टी को जीवंत रूप से उपजाऊ, हर तरह की कृषि के लायक और स्थायी तौर पर समृद्ध बनाएगा।

  1. हमें किसानों को आकर्षक प्रोत्साहन देने की जरूरत है ताकि वे मिट्टी में 3% से 6% जैविक सामग्री की न्यूनतम सीमा हासिल करने की कोशिश करें। इस तरह का प्रोत्साहन किसानों के बीच एक महत्वाकांक्षी दौड़ पैदा करेगा। कुछ सालों के दौरान इसे लागू करने का एक चरणबद्ध कार्यक्रम होना चाहिए – जिसमें पहला चरण प्रेरित करने का हो, उसके बाद प्रोत्साहन प्रदान करने का दूसरा चरण, और अंत में हतोत्साहित करने के लिए कुछ जरूरी कामों का तीसरा चरण होना चाहिए।
  2. हमें किसानों को कार्बन क्रेडिट प्रोत्साहन की सुविधा देनी चाहिए। किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट लाभ पाने की मौजूदा प्रक्रिया बहुत जटिल है, इसलिए इसे सरल बनाने की जरूरत है।
  3. हमें जरूरी 3-6% जैविक सामग्री वाली मिट्टी से उगाए गए भोजन के लिए उत्तम गुणवत्ता का एक मार्क बनाने की जरूरत है। ऐसा करने के साथ-साथ हमें ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन के सेहत, पोषण और बचाव संबंधी स्वास्थ्य लाभों के बारे में भी साफ-साफ बताना चाहिए। इस पहल से, लोग ज्यादा सेहतमंद, ज्यादा उत्पादक और ज्यादा लचीले होंगे - जिससे मनुष्य की कार्य क्षमता बढ़ेगी और हमारी स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कम होगा। इसलिए यह स्पष्ट है कि उत्तम गुणवत्ता के भोजन का मार्क सिर्फ तथाकथित ‘ऑर्गैनिक’ और ‘नॉन-ऑर्गैनिक’ उत्पादों के बीच फर्क करने की मौजूदा व्यवस्था के मुकाबले ज्यादा अर्थपूर्ण होगा।

समय बहुत कम है। लेकिन खुशकिस्मती से हम जानते हैं कि हमें क्या करना है। उचित सरकारी नीतियां बनाकर हम मिट्टी को विलुप्त होने से बचा सकते हैं। दुनिया भर में सरकारी नीति के तेजी से विकास के इस काम में मदद करने के लिए, मिट्टी बचाओ अभियान, 193 देशों में से हरेक के लिए सिफारिशों की एक पुस्तिका तैयार कर रहा है। अधिक जानकारी अभियान की वेबसाइट Savesoil.org से प्राप्त की जा सकती है।

आइये इसे संभव बनाएं!