कृष्ण के अनेक पहलू - उनके समकालीन लोगों की नज़र में
कृष्ण एक अद्भुत बालक, ज़बरदस्त शरारती, मन को मोहने वाले बाँसुरी वादक, एक गरिमापूर्ण नर्तक, एक सम्मोहक प्रेमी, एक सच्चे वीर योद्धा, अपने दुश्मनों को निर्ममता से हराने वाले, एक ऐसे इंसान जिसकी वजह से हर घर में एक दिल टूटा था, एक चतुर राजनेता और किंगमेकर, एक संपूर्ण भद्र पुरुष, सर्वश्रेष्ठ योगी, और सबसे लुभावने अवतार थे। अलग-अलग लोगों ने उन्हें कई अलग-अलग तरीकों से देखा, समझा और महसूस किया।
दुर्योधन ऐसा व्यक्ति है जो जीवन भर अपने हालातों के कारण असुरक्षित, क्रोधित, ईर्ष्यालु और लालची बन गया था, और उसे हमेशा लगता था कि उसके साथ गलत हो रहा है। अपने लोभ और क्रोध की वजह से किए गए कामों की वजह से वह अपने पूरे कुल के विनाश का कारण बन गया। दुर्योधन, कृष्ण के बारे में कहता है, ‘अगर कोई मुस्कुराता हुआ बदमाश है, तो वह कृष्ण हैं। वह खा सकते हैं, पी सकते हैं, गा सकते है, नाच सकते हैं, प्रेम कर सकते हैं, लड़ सकते हैं, बूढ़ी महिलाओं के साथ गपशप कर सकते हैं, और छोटे बच्चों के साथ खेल सकते हैं। कौन कहता है कि वे भगवान हैं?’ यह दुर्योधन की धारणा है।
शकुनि ने, जो छल और धूर्तता का साकार रूप था, कहा, ‘मान भी लो कि वह भगवान है, तो क्या? भगवान क्या कर सकता है? भगवान सिर्फ उन भक्तों को खुश कर सकता है, जो उसे खुश करते हैं। उसे भगवान रहने दो। मैं उसे पसंद नहीं करता। और जब आप किसी को पसंद नहीं करते, तो आपको उनकी तारीफ करनी चाहिए।’ यही छल है।
राधा उनकी बचपन की प्रेमिका और गाँव की एक सरल ग्वालिन थी जो अपने अटूट प्यार और भक्ति के कारण इतनी महान हो गईं कि आज आप राधा के बिना कृष्ण की बात नहीं कर सकते। हम कृष्ण-राधा नहीं कहते, हम राधा-कृष्ण कहते हैं। गाँव की एक सरल स्त्री, कृष्ण जितनी, या उनसे भी कहीं ज्यादा, महत्वपूर्ण हो गई। राधे ने कहा, ‘कृष्ण मेरे पास हैं। वह हमेशा मेरे साथ हैं। वह जहाँ भी हैं, जिसके भी साथ हैं, फिर भी वह मेरे पास हैं।’ यह उनकी धारणा है।
वैंतेय, जो एक तेज-तर्रार युवक और गुरुड़ सरकार के ज्येष्ठ पुत्र थे, एक तरह की बीमारी के कारण वह पूरी तरह अपंग हो गए थे। कृष्ण ने उस अपंग युवक को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। इसलिए वैंतेय ने कहा, ‘वह भगवान हैं, वह निश्चित ही भगवान हैं।’
कृष्ण के चाचा अक्रूर का, जो एक बुद्धिमान और संत पुरुष थे, कृष्ण के बारे में कहना था, ‘जब मैं इस विचित्र युवक को देखता हूँ, मुझे सूर्य, चंद्रमा और सातों तारे उनके चक्कर लगाते दिखते हैं। जब वह बोलता है, तो उसकी आवाज़ शाश्वत लगती है। अगर इस दुनिया में कोई उम्मीद है, तो वह उम्मीद कृष्ण हैं।’
शिखंडी अपनी एक निश्चित स्थिति के कारण बचपन से ही एक प्रताड़ित मनुष्य था। उसने कहा, ‘कृष्ण ने कभी मुझे कोई आशा नहीं दिलाई, लेकिन जब वह होते हैं, तो आशा की हवा हर किसी को छूती है।’