जीवित और मृतकों के लिए सद्गुरु की दृष्टि
स्वामी अभिपादा: ईशा स्वयंसेवक पिछले दस सालों से कोयंबटूर नगर निगम के साथ शवदाह गृहों का संचालन कर रहे हैं। हम कुल अठारह शवदाह गृह चला रहे हैं, जिनमें से कुछ चेन्नई, नेवेली और नामक्कल में हैं। जब भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर आई, तो हमने सद्गुरु के साथ एक बैठक की, जहाँ उन्होंने हमें कोविड-19 से मरने वाले लोगों को सम्मानजनक विदाई देने के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘इन लोगों की इस दुनिया से अच्छी तरह से विदाई सुनिश्चित करना सबसे बड़ा योगदान है जो आप, उनके लिए और उनके प्रियजनों के लिए कर सकते हैं।’
सद्गुरु की दृष्टि के साथ, जो हमें राह दिखाने वाली रौशनी के रूप में हमारे साथ थी, हमने कोयंबटूर में 12 कायांत स्थानम् (ईशा द्वारा संचालित श्मशानगृह) में कोविड-19 से मरने वालों का अंतिम संस्कार करना शुरू किया। काया का अर्थ है शरीर, अंत का अर्थ है ख़त्म होना और स्थानम का अर्थ है जगह। कायांत स्थानम वह जगह है जहां शरीर का अंत होता है। हमारे लिए यह कोई समाज सेवा नहीं है। सद्गुरु कहते हैं कि मृत्यु किसी व्यक्ति के साथ होने वाली आखिरी चीज है, और यह सिर्फ एक बार होती है, इसलिए हम इस अंतिम संस्कार को सही तरीके से करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।