‘ह्यूमन रिसोर्स’ यानी ‘मानव संसाधन’ शब्द पहली बार 1958 में अर्थशास्त्री ई.वाइट बके ने इस्तेमाल किया था, क्योंकि उन्होंने कर्मचारियों को एक काम पूरा करने के लिए एक साधन के रूप में देखा।
2017 से सालाना होने वाला, अपने आप में अनोखा, ईशा लीडरशिप एकेडमी का तीन दिवसीय बिजनेस प्रोग्राम, ह्यूमन इज नॉट ए रिसोर्स (HINAR), इस विचार को ही चुनौती देता है। ‘जब आप मानव को एक संसाधन की तरह देखते हैं, तो इसका अर्थ है कि आप मानते हैं कि मनुष्य एक पूर्ण इकाई है। मनुष्य एक पूर्ण इकाई नहीं है, बल्कि एक विकासशील संभावना है,’ HINAR (हिनार) की प्रकृति के बारे में बताते हुए सद्गुरु ने कहा।
उद्देश्य, जोश और संस्कृति
इस साल हिनार कार्यक्रम में पहली बार, सद्गुरु ने व्यक्तिगत रूप से एक संवाद-सत्र (इंटरैक्टिव सेशन) आयोजित किया और बिजनेस नेताओं को याद दिलाया कि हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी चुनौती – कोविड 19 महामारी – एक बहुत बड़ा अवसर बन सकती है जिसके जरिए हम नए विचारों को आगे बढ़ाने के लिए पुरानी प्रणालियों और विचारों को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘जब अनिश्चितता इस दुनिया की प्रकृति है, जिसमें हम रहते हैं, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप ऐसे लोगों के साथ काम करें, जिन पर आप भरोसा करते हैं।’
सफल और लचीले कारोबारों के लिए तीन मुख्य विषय: उद्देश्य पर पुनर्विचार, जोश जो उस उद्देश्य को चलाने वाला ईंधन हो, और संस्कृति, जो अस्पष्टता को कम कर सके और लोगों को गोंद की तरह बांधे
हिनार के पाँचवें संस्करण में 11 देशों के 111 टॉप लेवल के उद्यमियों और नीति निर्माताओं ने सफल और लचीले कारोबारों के लिए तीन मुख्य विषयों पर मंत्रणा की - उद्देश्य पर पुनर्विचार, जोश जो उस उद्देश्य को चलाने वाला ईंधन हो, और संस्कृति, जो अस्पष्टता को कम कर सके और लोगों को गोंद की तरह बांधे। प्रतिभागियों ने बहुत अनुभवी उद्योगपतियों के साथ विचारविमर्श किया, जिन्होंने कार्यक्रम के दौरान रिसोर्स लीडर्स के रूप में छोटी समूह चर्चाओं में भाग भी लिया। वे सप्ताह भर चलने वाले आयोजन में दूसरे प्रतिभागियों और लीडर्स से आमने-सामने भी मिले।
‘एक चमत्कारी राष्ट्र’ का निर्माण कैसे करें
‘एचआर – रीथिंकिंग द मैंडेट’ सत्र का नेतृत्व करते हुए, महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व समूह अध्यक्ष (एचआर एंड कारपोरेट सर्विसेज) और सीईओ (आफ्टर मार्केट सेक्टर) राजीव दुबे ने कहा, ‘मानव क्षमता को उजागर करना एक विभाग तक सीमित नहीं होना चाहिए। एक संगठन में हर कोई दूसरे इंसानों के साथ मिल-जुल रहा है। इसलिए हर किसी को जानना चाहिए कि एक-दूसरे का सर्वश्रेष्ठ कैसे ले सकते हैं।’
‘अगर हमारे युवा, जो हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, कुशल, एकाग्र, स्थिर और प्रेरित हों, तो हम 10-15 सालों में एक चमत्कारी राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।’ – सद्गुरु
सद्गुरु ने उद्योगों से आग्रह किया कि वे ग्रामीण भारत को सशक्त करने और युवाओं में नेतृत्व की कुशलता लाने के लिए एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाएं। ‘उद्योगों को कौशल विकास केंद्र बनाने चाहिए और लोगों को उनकी अपेक्षित भूमिकाओं के लिए कुशल बनाना चाहिए। आपके बिजनेस निवेश का कम से कम 10 प्रतिशत ग्रामीण भारत में जाना चाहिए। आपके बिजनेस में इनोवेशन की जबर्दस्त क्षमता होगी। कारोबार को वहाँ जाना चाहिए, जहाँ लोग हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर हमारे युवा, जो हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, वे यदि कुशल, एकाग्र, स्थिर और प्रेरित हों, तो हम 10-15 साल में एक चमत्कारी राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।’
जन केंद्रित दृष्टिकोण
संगठन के उद्देश्य पर चर्चा के दौरान, रिपोस एनर्जी की सह-संस्थापक और चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर अदिति भोसले वालुंज ने साझा किया, ‘हमने पहले अपने मिशन की खोज की, और फिर उसके आस-पास अपना संगठन बनाया।’ उद्देश्य को पाने के लिए जोश एक ज़रूरी शक्ति है। इसके बारे में बताते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर, (पीवीएसएम, वीएसएम, राष्ट्रपति के मानद एडीसी (रिटायर्ड), पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, साउथ वेस्टर्न कमांड) ने कहा, ‘कठोर मानसिक और शारीरिक अनुशासन के साथ हर पल अपना बेहतरीन प्रयास करने से जोश सहज ही बना रहता है। ’
‘हम हमेशा पहले लोगों को, फिर बिजनेस और आखिर में मुनाफ़े को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़े’ – सौगत गुप्ता
मेरिको के (भारत की उपभोक्ता वस्तुओं की प्रमुख कंपनियों में से एक, जिसका टर्नओवर 7315 करोड़ रु. से ज्यादा है) प्रबंध निदेशक और सीईओ सौगत गुप्ता ने संस्कृति पर कई विचारोत्तेजक नज़रियों को सामने रखा, ‘हम हमेशा पहले लोगों को, फिर बिजनेस और आखिर में मुनाफ़े को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़े।’ विश्वास की अहमियत पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि मेरिको ने हाल के समय में महामारी के दौरान अपने कर्मचारियों के ऊपर बहुत कम निरीक्षण के बावजूद अपना सर्वश्रेष्ठ विकास दर्ज किया। उन्होंने इसका श्रेय कर्मचारियों और संगठन के बीच पारस्परिक विश्वास को दिया।
सद्गुरु का लोगों के साथ काम करने का तरीका
हिनार और इनसाइट कार्यक्रमों की एक प्रशंसनीय और अच्छी बात यह है कि प्रतिभागियों को यह जानने को मिलता है कि खुद ईशा एक संगठन के रूप में कैसे इस सिद्धांत का एक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि ‘मानव एक संसाधन नहीं, बल्कि एक संभावना है।’ ईशा फाउंडेशन की ह्यूमन पॉसिबिलिटीज डिपार्टमेंट का नेतृत्व करने वाली माँ ज्ञाना कहती हैं, ‘ईशा में परिणाम पर उतना फोकस नहीं है जितना एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देने पर, जो हर व्यक्ति को पोषण और प्रेरणा प्रदान करे।’
ईशा लीडरशिप एकेडमी का सह-नेतृत्व करने वाली मॉमिता सेन सरमा ने साझा किया, ‘ईशा में, सद्गुरु चीजों के ‘क्यों’ को एक बिल्कुल अलग स्तर पर ले जाते हैं और बहुत प्रभावी तरीके से अपना विज़न हम तक पहुँचाते हैं। हमारी पसंद और नापसंद को तोड़ते हुए, एक व्यक्ति को अपनी पूर्ण क्षमता को साकार करने के अलावा उनके दिमाग में और कुछ नहीं होता।’
खुद से कुछ बड़ा रचने की प्रेरणा
थोड़े समय में ही बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए स्वयंसेवकों को प्रेरित करना, उनकी इज़्ज़त करना और उनमें निवेश करना ईशा में आदर्श बन गया है। यह ‘कैसे’ संभव होता है, इसके बारे में स्वामी उल्लास का कहना था, ‘सद्गुरु अपना विजन साझा करते हुए अथक रूप से सैंकड़ों स्वयंसेवियों के साथ कई घंटे बिताते हैं और उनके सवालों के जवाब तब तक देते रहते हैं, जब तक कि उनके सारे ‘किंतु-परंतु’ खत्म नहीं हो जाते। तभी, टीमें उस विजन को साकार रूप देने बैठती हैं, और बातों को तब तक दोहराया जाता है जब तक लक्ष्य में स्पष्टता पर न पहुँच जाएं।’ स्वामी उल्लास ने यह बताने के लिए एक किस्सा साझा किया कि कैसे नदी अभियान की टीमों को जिस तरह से विज़न बताया गया था, उसमें भावना का एक तत्व भी शामिल था।
वह एक देखने वाला दृश्य था कि कैसे कुछ स्वयंसेवकों के दिलोदिमाग में मौजूद एक परियोजना, देखते ही देखते एक ऐसी परियोजना में बदल गई जो हज़ारों लोगों के हाथों में है’ – स्वामी उल्लास
ईशा योग केंद्र में भारत का एक विशाल मानव मानचित्र बनाने के लिए स्वयंसेवकों और कैमरा प्रोफेशनल्स की एक टीम को रातों-रात प्रशिक्षित किया गया। स्वयंसेवकों ने सटीक स्थिति में खड़े होकर एक लयबद्ध गति में नदी अभियान के प्लेकार्ड लहराते हुए एक सम्मोहक प्रभाव पैदा किया। पूरे दृश्य की ड्रोन और क्रेन माउंटेड कैमरों से हवाई तस्वीर ली गई। स्वामी ने कहा, ‘वह एक देखने वाला दृश्य था कि कैसे कुछ स्वयंसेवकों के दिलोदिमाग में मौजूद एक परियोजना, देखते ही देखते एक ऐसी परियोजना में बदल गई जो हज़ारों लोगों के हाथों में है।’
ईशा परियोजनाओं के लिए टीमों के निर्माण पर यूरी जैन ने, जो अभी ईशा आउटरीच के कावेरी कॉलिंग प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं, कहा, ‘हम प्रतिबद्धता देखते हैं, क्षमता नहीं। अनुभवहीन स्वयंसेवकों को अपरिचित क्षेत्र में रखने से उन्हें अपने कंफर्ट जोन से बाहर जाकर व्यक्तिगत विकास का जबर्दस्त मौका मिलता है। उन्हें महसूस होता है कि लीडर ने उन पर कितना बड़ा भरोसा जताया है।’
आप अपने कारपोरेट लक्ष्य को ऊंचा करके उसे असाधारण रूप से बड़ा बना सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं, तो लोग उससे ज्यादा जुड़ेंगे। – यूरी जैन
यूरी ने यह भी कहा, ‘सद्गुरु का फोकस व्यक्तिगत रूपांतरण पर है। हर कार्य व्यक्ति को आकार देने के लिए तैयार किया जाता है। अधिकांश दूसरे संगठनों में, विफलता का डर परफॉर्मेंस के आड़े आ जाता है। आप अपने कारपोरेट लक्ष्य को ऊंचा करके उसे असाधारण रूप से बड़ा बना सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं, तो लोग उससे ज्यादा जुड़ेंगे। मुनाफा और आय भी अपने आप बढ़ेगी अगर आप खुद को समाज के प्रति ज्यादा प्रासंगिक बनाते हैं।’
प्रेरणा और सीख से भरा कार्यक्रम
एक प्रतिभागी ने कार्यक्रम के दौरान आयोजित सुबह के योग सत्रों की सराहना करते हुए कहा, ‘मुझे खुशी है कि मैंने इसे मिस नहीं किया! इसने मुझे मन की शांति और ऊर्जा दी।’
इसने मुझे रातोंरात एक इंडस्ट्री लीडर के रूप में स्थापित कर दिया।’ – निशांत गर्ग
जेम मशीनरी एंड एलाइड इंडस्ट्रीज के संस्थापक और हिस्सेदार निशांत गर्ग ने साझा किया, ‘इसमें बहुत सारी सीख और प्रेरणा थी। हिनार के तुरंत बाद, मैंने अपने काम के लिए पूरी दुनिया की भागीदारी के साथ एक वेबिनार शुरू करने का फैसला किया। मैंने अपनी टीम के साथ हमारे अस्तित्व का कारण साझा किया, और उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मेरा साथ दिया, उन्होंने हर दिन लगभग 16 घंटे काम किया। मैंने 39 देशों के 400 से ज्यादा दर्शकों के सामने वर्चुअल रूप से मंच संभाला। इसने मुझे रातोंरात एक इंडस्ट्री लीडर के रूप में स्थापित कर दिया। हमारे काम में पहले कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ है। यह मेरे ट्रेड में एक गेम चेंजर रहा है। धन्यवाद हिनार 2021।’