सद्‌गुरु एक्सक्लूसिव

संख्याओं की शक्ति: योग में 21 और 84 का महत्व

योग मे दो संख्याओं 21 और 84 का विशेष महत्व क्यों है – सद्‌गुरु इसके गणित और रहस्य से पर्दा उठा रहे हैं और साथ ही बता रहे हैं कि इन संख्याओं का मानव के ऊर्जा-तंत्र से क्या संबंध है, और किसी की पूर्ण क्षमता को सक्रिय करने के लिए इनकी क्या भागीदारी हो सकती है।

शाम्भवी महामुद्रा क्रिया में 21 का महत्व

प्रश्न: शाम्भवी महामुद्रा में हम ॐ का 21 बार जाप करते हैं और क्रिया भी 21 मिनट तक चलती है। अखिर 21 का क्या महत्व है?

सद्‌गुरु: इसे सामान्य तौर पर देखें तो ये इस बात पर आधारित है कि 7 चक्र और 3 नाड़ियाँ होती हैं। 7 का 3 गुना 21 होता है। तो हम ये पक्का करते हैं कि सभी 3 नाड़ियाँ – पुरुषैण, स्त्रैण और तीसरी जो इनसे परे है, तीनों सभी 7 आयामों को स्पर्श कर सकें। जब लोग जाप का अभ्यास करते हैं, वे आम तौर पर 108 बार करते हैं क्योंकि 112 चक्रों में से 108 शरीर के अन्दर होते हैं। तो इसका उद्देश्य यही होता है कि इनमें से कोई चक्र छूटे नहीं, सब पर असर पड़े।

इसके पीछे विचार ये है कि एक मनुष्य के तौर पर आपका पूर्ण विकास हो, एकतरफा नहीं। यदि आप बहुत अधिक स्त्रैण हो जाते हैं, तो आप एक समस्या बन जाएँगे। उसी तरह यदि आप बहुत अधिक पुरुषैण हो जाते हैं, तब भी आप एक समस्या ही होंगे। लेकिन अगर आप इन दोनों में संतुलन रख सकें और दोनों गुणों के साथ अच्छे से खेल सकें, तो आप कमाल के इंसान बन जाएंगे। संख्या 21 के पीछे की यही वजह है।

84 आसन: जीवन की बुनियाद से परे

प्रश्न: पारंपरिक हठ योग में 84 बुनियादी आसन हैं, ऐसा क्यों?

सद्‌गुरु: आप जानना चाहते हैं कि 84 आसन ही क्यों हैं। योग में ऐसा माना जाता है कि ये सृष्टि का 84वां सृजन है। इसके कुछ और पहलू भी हैं पर हम यहाँ उनकी चर्चा नहीं करेंगे। मानव तंत्र में याद्दाश्त के 84 आयाम हैं और संभावनाओं या बाधाओं के भी 84 स्तर हैं - आप इसे दोनों तरीकों से देख सकते हैं। यदि आप इन्हें बाधा की तरह देखेंगे तो आप इन्हें ख़त्म करना चाहेंगे। यदि आप इन्हें संभावनाओं की तरह देखेंगे तो इनका इस्तेमाल अपने विकास के लिए सीढ़ी की तरह करना चाहेंगे। दोनों ही ठीक हैं, आगे बढ़ने के लिए बस ये दो अलग-अलग रास्ते हैं।

स्मृति के इन्हीं 84 आयामों के कारण 84 आसन हैं। और हम हर चीज़ 21 बार करते हैं क्योंकि ये 84 का एक चौथाई है। आम तौर पर एक इंसान को भौतिक और सामाजिक स्तर पर सम्पूर्ण जीवन जीने के लिए शरीर के बस 21 चक्रों को सक्रिय करने की आवश्यकता है। कहीं किसी ने कहा है कि ऊर्जा के तीन आयामों : पिंगला, इड़ा और सुषुम्ना,  हर किसी के 7 स्तर होते हैं, 3 को 7 से गुणा करने पर 21 होता है।

लोगों ने गलती से यह समझ लिया कि मात्र 7 चक्र ही हैं, लेकिन वास्तव में इन तीन ऊर्जा आयामों में, तीन चक्र 7 ऊर्जा स्तरों पर एक चक्र की तरह काम कर रहे हैं – 3 गुणा 7 बराबर 21। लेकिन यह जीने का सबसे साधारण तरीका है। हालाँकि आप शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से पूर्ण हो सकते हैं लेकिन ऊर्जा के स्तर पर आप अक्षम होंगे।

मान लीजिए आपकी 20 अँगुलियों और अंगूठे के अलावा एक और होता, लेकिन इन 21 में से मात्र 5 ही काम कर रहे होते तो हम आपको अपंग ही मानते। इसी तरह यदि चार हाथ पैरों में से यदि केवल एक ही काम करे तब भी हम आपको अपंग ही मानते। या फिर अगर आपके दिमाग का केवल 25% ही काम कर रहा होता तब भी हम आपको अपंग मानते।

ऊर्जा के स्तर पर दुनिया अभी ऐसी ही है। यदि 21 चक्र काम करें तो आप  शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से काफी हद तक पूर्ण होंगे। बस इतना है कि सामान्य जीवन प्रक्रिया के परे आप कुछ भी नहीं जान पाएंगे। पूरी दुनिया का ध्यान अभी बस जीवन-यापन की प्रक्रिया पर ही लगा हुआ है।

आधुनिक समाज ने हमें सारी महत्वपूर्ण चीज़ें दी हैं और साथ ही बुरे आचरण को भी हमारे जीवन में स्थापित किया है। ऐसा समझा जाता है कि आप अपने लिए भोजन, कपड़े, गाड़ी और मकान के अलावा किसी और चीज की तलाश नहीं कर सकते। यदि आप इन चीज़ों से परे या इनसे ऊपर कुछ सोचते हैं तो आपको पुराने जमाने का माना जाएगा। इसी तरह यदि आप इनसे नीचे का कुछ सोचते हैं तो भी आपको पुरातन माना जाएगा। आधुनिक होने का अर्थ है - खरीदारी के लिए सजाई गई चीजों को देखकर लार टपकाना। आँखें बंदकर आसन करने को पुरातन माना जाता है।

हठ योग – सेहत से कहीं अधिक

21 चक्रों के साथ कोई पूरा जीवन जी सकता है, लेकिन दूसरे आयामों को एक जीवंत सच्चाई बनाने के लिए बाकी चक्रों को भी  सक्रिय करना होगा। बुद्धिमत्ता को ऊर्जा से सशक्त करने की ज़रूरत है, नहीं तो बुद्धिमत्ता का अचेतन होना वैसा ही है जैसा बुद्धिमत्ता का न होना। अचेतन बुद्धिमत्ता उस कम्प्यूटर के सामान है जिसे चालू नहीं किया जा सकता, ये किसी काम का नहीं है। अभी मानव-तंत्र एक सुपर कम्प्यूटर की तरह है जो केवल जीवन-यापन के बुनियादी स्तर के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। यदि इसकी अधिक क्षमताओं का इस्तेमाल करना है तो इसे सक्रिय करने की आवश्यकता होगी।

हठ योग वो तरीक़ा है जिससे पूरे तंत्र को सक्रिय किया जा सकता है। लोग अक्सर ऐसे सवाल पूछते हैं, ‘मुझे अल्सर है, तो मुझे कौन सा आसन करना चाहिए?’ किसी को कम से कम इतना साधारण हठ योग जरुर करना चाहिए जिससे आपके भीतर रोगनिवारक प्रक्रिया ख़ुद सक्रिय हो जाए। लेकिन योग बस कुछ ख़ास बीमारियों को ठीक करने के लिए नहीं है, इसका पहला लक्ष्य भौतिक-तंत्र को पूरी तरह से सक्रिय करना है।

यदि आपका सिस्टम अपनी सबसे बेहतरीन क्षमता के साथ काम कर रहा है, तो सब कुछ ठीक होगा। जब शरीर भीतर से ख़ुद को गढ़ने में सक्षम हो, तो किसी बीमारी के आने पर वो ख़ुद को ठीक करने में सक्षम होगा। बस यदि कुछ बाहर से आता है तो हमें उससे उसके अनुसार निबटना होगा।