लोकप्रिय चिकित्सक और पोडकास्टर डॉ. रंगन चटर्जी के साथ इस दिलचस्प बातचीत में सद्गुरु नींद, आराम और कायाकल्प के विषय पर योग का नज़रिया समझा रहे हैं, साथ ही साथ भीतरी बदलाव पर नया दृष्टिकोण भी दे रहे हैं।
डॉ रंगन चटर्जी
योग में अनिद्रा का समाधान
रंगन चटर्जी: सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता हूँ कि आपसे बात करना मेरे लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है और आज मेरे लिए समय निकालने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैंने सोचा कि हम नींद पर चर्चा करके शुरुआत करेंगे। मैं दो दशकों से अधिक समय से मेडिकल डॉक्टर के रूप में काम कर रहा हूँ और सबसे आम समस्याओं में से एक, जो तेजी से बढ़ रही है, वह ये है कि बहुत से लोग आकर कहते हैं, ‘डॉक्टर, मुझे नींद नहीं आ रही है, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?’ आपको क्या लगता है कि ऐसा क्यों हो रहा है?
सद्गुरु: मेरा जीवन और काम लोगों को उनकी वर्तमान दशा से जगाने के बारे में है। अब आप मुझे बता रहे हैं कि लोगों को सोने में समस्या हो रही है। मुझे लगता है कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि ज्यादातर लोग दिन के दौरान केवल आधे जगे होते हैं। जीवन के प्रति अधिक जागृत होना महत्वपूर्ण है। यदि आप जीवन के प्रति अधिक जाग्रत हो जाते हैं, तो केवल शरीर के लिए नींद की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह शरीर के लिए खुद को फिर से जीवंत करने का समय होता है।
मैं एक डॉक्टर नहीं हूँ, मैं इसे योग के नज़रिए से बता रहा हूँ, और ख़ुद अपने जीवन को देखकर कि वह कैसे घटित होता है, ये बातें बता रहा हूँ। नींद एक तरह से शरीर की गतिविधि को बंद करने का समय है। हमारे हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों एक ख़ास तरह की थकान से गुजरते हैं और उन्हें फिर से तरोताज़ा होने की आवश्यकता होती है। नींद शरीर के स्वस्थ होने और शायद एक नए रूप में बाहर आने का समय होता है।
नींद का इस्तेमाल खुद को फिर से जीवंत करने, खुद के रूपांतरण और एक बिलकुल नई संभावना बनने के लिए एक साधन के रूप में किया जा सकता है।
यह ऐसा है जैसे कोई भी दो फूल बिलकुल एक जैसे नहीं दिखते, भले ही वे एक ही पौधे के हों। यही नींद की प्रकृति है। हर दिन सोने के बाद आपको उसी व्यक्ति के रूप में या ठीक उसी सॉफ़्टवेयर के साथ जागने की ज़रूरत नहीं है। दुर्भाग्य से बहुत से लोग सोचते हैं कि वही पुराने जैसा रहना एक महान गुण है, जबकि आपको नई संभावनाओं में खिलना चाहिए।
नींद का इस्तेमाल खुद को फिर से जीवंत करने, खुद के रूपांतरण और एक बिलकुल नई संभावना बनने के लिए एक साधन के रूप में किया जा सकता है। लेकिन अभी बहुत से लोग शारीरिक सक्रियता के अभाव में सुस्ती की हालत में हैं और मन के स्तर पर एक तरह का ‘मानसिक दस्त’ दिन-रात चल रहा है, जिसे वे रोक नहीं पा रहे।
आपको जो करने की आवश्यकता है वह है शारीरिक गतिविधि को बढ़ाना और मानसिक गतिविधि को कम करना। मानसिक गतिविधि को कम करने के लिए, आपको बोध में अधिक निवेश और अभिव्यक्ति में कम निवेश करने की आवश्यकता है। यह पीढ़ी अभिव्यक्ति पर बहुत अधिक फोकस करती है और बोध पर शायद ही कोई ध्यान देता है।
नुस्खे मत ढूँढिए: नींद के साथ अपने रिश्ते को समझिए
रंगन चटर्जी: ठीक है। किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो अपनी नींद से जूझ रहा है और शाम को थका हुआ महसूस कर रहा है, उसके लिए मैंने देखा है कि आपने सोने से तीन से चार घंटे पहले खाने, शाम को नहाने, मोमबत्ती जलाने, योग करने या ध्यान लगाने जैसी चीजों की सलाह दी है। लेकिन जैसा कि आप कहते हैं, अगर यह अभिव्यक्ति बनाम बोध के बारे में है, तो वे अभ्यास कहाँ फिट होते हैं?
सद्गुरु: यह उस तरह है जब कोई डॉक्टर के पास दर्द जैसी समस्या लेकर आता है, तो डॉक्टर दर्द दूर करने की एक दवा दे देता है, जो दर्द को दूर करने के लिए एक क्षणिक समाधान है लेकिन जीवन के लिए समाधान नहीं है। ये बातें ऐसी ही हैं। अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि आपके लिए जागना अधिक महत्वपूर्ण है या सोना। जगे होने और सोने के बीच का अंतर जीवन और मृत्यु जैसा है। जब आप सो रहे होते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे आप मर गए हों।
लोग अक्सर नींद के साथ संघर्ष करते हैं क्योंकि उन्हें यह बताया गया है कि दिन में इतने घंटे सोना ज़रूरी है नहीं तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम रहेगा। लेकिन यह सलाह हर किसी के लिए कारगर नहीं हो सकती है। लोगों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि जीवन केवल निर्धारित रास्ते पर चलने से कहीं अधिक गहरा है। जब कोई अस्वस्थ होता है, तो हम उन्हें अस्थायी इलाज दे सकते हैं, लेकिन सबसे पहले यह देखना महत्वपूर्ण है कि वे ठीक क्यों नहीं हैं।
सलाह की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हमें जीवन को और अधिक गहराई से देखने और अपने मुद्दों के मूल कारणों को समझने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए भरे पेट के साथ बिस्तर पर जाना सिस्टम के लिए हानिकारक हो सकता है। यह समझना ज़रूरी है कि ऐसा क्यों होता है और उसके अनुसार ज़रूरी बदलाव करना चाहिए। बेशक पेट भरे होने पर आपको नींद आ जाएगी क्योंकि देर से खाने से बहुत जड़ता पैदा होती है।
सलाह की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हमें जीवन को और अधिक गहराई से देखने और अपने मुद्दों के मूल कारणों को समझने की आवश्यकता है।
जब नींद के दौरान मेटाबोलिक गतिविधि कम हो जाती है, तो पाचन प्रक्रिया ठीक से काम नहीं करती है। यह लगभग सबको पता है। अब इस भारी बैग की कल्पना करें जो पेट के भीतर कई दूसरे अंगों पर पड़ा हो। जैसे ही आप अपनी नींद में करवट बदलते हैं, यह आपके लिवर और स्प्लीन को दबाता है, और कई दूसरी समस्याओं की वजह बन सकता है। यह एक तरह से आपके शरीर के अंदर रोड रोलर की तरह काम कर सकता है। यदि आप इस तरह सोते हैं, तो आपके बीमार होने में कुछ ही समय लगता है, बस यह आपके शरीर की बनावट पर निर्भर करता है।
यदि आपके शरीर की बनावट मजबूत है, तो आपको बीमार होने में कुछ साल लग सकते हैं। यदि आपके पास अधिक नाजुक शरीर है और यदि आप ऐसा हर दिन करते हैं तो आप कुछ महीनों के भीतर बीमार हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि खाने और सोने के बीच कम से कम तीन से चार घंटे का अंतर रखें। साथ ही शाम के समय हल्का भोजन करना चाहिए।
अगर किसी को नौ बजे सोने और 12:30 बजे नींद खुल जाने की समस्या है, तो उसके लिए बेहतर हो सकता है कि वह बारह बजे सोए और सुबह चार बजे उठ जाए। जिस किसी ने भी आपसे कहा कि आपको आठ घंटे सोना चाहिए, उसने हो सकता है आपके शरीर की निजी जरूरतों पर विचार नहीं किया हो। नींद के लिए कोई एक आम सुझाव नहीं है। हो सकता है किसी एक दिन आपके शरीर को पांच घंटे की नींद की आवश्यकता हो, जबकि दूसरे दिन केवल दो घंटे की नींद की।
आपको कितने घंटे की नींद की जरुरत है यह निर्भर करता है इस बात पर कि दिन के दौरान आपने किस तरह की और कितनी गतिविधि की है। नींद के लिए किसी सुझाव का पालन करने के बजाय केवल शरीर की ज़रूरत के अनुसार चलें। ऐसा कोई नियम नहीं है जो कहता है कि आपको आठ घंटे ही सोना है।
अभी दिक़्क़त यह है कि जब आप जागना चाहते हैं तो आप जाग नहीं पाते और जब आप सोना चाहते हैं तो आप सो नहीं पाते। इससे पता चलता है कि हम अपने भीतर जो करते हैं और जो सॉफ्टवेयर हम दैनिक आधार पर बनाते हैं, वे अच्छी तरह से इंजीनियर किए हुए नहीं हैं। यदि आप उन्हें ठीक से इंजीनियर करते हैं, तो तनाव मुक्त रहना संभव है क्योंकि एक अच्छी तरह से तैयार की गई प्रणाली का मतलब है कि आप कम से कम घर्षण के साथ जीते हैं।
आपको कितने घंटे की नींद की जरुरत है यह निर्भर करता है इस बात पर कि दिन के दौरान अपने किस तरह की और कितनी गतिविधि की है।
लोगों को यह बताने के बजाय कि कैसे सोना है, मैं उन्हें यह बताना चाहूँगा कि कैसे जागना है। कल सुबह जब आप उठेंगे तो आपको पता होना चाहिए कि हर दिन कई लाख लोग स्वाभाविक मौत के कारण अगली सुबह जाग नहीं पाए। जब आप सुबह उठें तो अपने आप को चिकोटी काट लें, देखें कि क्या आप वास्तव में जीवित हैं, और इस बात पर मुस्कुरा दें। यदि आप सोच रहे हैं कि किसे देखकर मुस्कुराना है, तो आपके बेडरूम की छत इसके लिए काफी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आप जीवित हैं।
आपके पास वास्तव में एकमात्र चीज जो है, वह जीवन है। आप सोच सकते हैं कि आपके पास नौकरी, पैसा, दौलत और परिवार है, लेकिन अगर आपसे जीवन छीन लिया जाए, तो आपके पास कुछ भी नहीं होगा। ध्यान रखें कि आप एक लंबे समय के लिए मरे हुए थे, और अब आप थोड़े समय के लिए ही जीवित हैं। इसलिए अगर आप आज भी जीवित हैं, तो ख़ुद के लिए मुस्कुरा दीजिए। हर बार जब आप अपनी घड़ी देखते हैं, तो महसूस कीजिए कि आप अभी भी जीवित हैं। आपने जब पिछली बार समय देखा था, उसके बाद से अब तक कई लोगों की मृत्यु हो गई होगी।
घटित होने वाली सबसे बड़ी घटना जीवन है, और यह आपके भीतर धड़क रहा है। यदि आप अधिक से अधिक जाग्रत होने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो नींद अपने आप ठीक हो जाएगी।