अमेरिका के टेनेसी आश्रम में सद्गुरु दर्शन
10 जून
ईशा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनर साइंस, टेनेसी में सद्गुरु की उपस्थिति वाली एक अद्भुत रात में ना केवल आस-पास के, बल्कि दूर-दराज के जिज्ञासु भी शामिल हुए।
सद्गुरु ने समय के विषय पर बात की और बताया कि कैसे इसका बोध हमेशा एक वर्तमान के रूप में किया जाता है, लगातार बढ़ते रूप में नहीं। योग अभ्यासों का उद्देश्य मुक्ति हासिल करना है जो किसी को जन्म और मृत्यु के चक्र से छुटकारा दिला देती है। इसका मतलब भौतिक संसार, सहज अनुमान और ऐसी ज़रूरतों से पार जाना है जो किसी को समय के प्रभाव में बांधती हैं। हालाँकि अधिकतर लोग मुक्ति तभी खोजते हैं जब वे किसी तकलीफ या परेशानी का अनुभव करते हैं। योग से हासिल सच्ची आजादी इस ब्रह्मांड की हर चीज़ से प्रेम और जुड़ाव पैदा करती है और जीवन का और गहन स्तर पर अनुभव देती है, इससे आप अपनी ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए भी अपने भीतर आजाद रहते हैं।

टेनेसी में सद्गुरु के साथ यंत्र समारोह
12–14 जून
ईशा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनर साइंस, टेनेसी में सद्गुरु के साथ हुए यंत्र समारोह में प्रतिभागियों को शक्तिशाली भैरवी यंत्र साधना तथा सद्गुरु से भैरवी यंत्र प्राप्त करने का दुर्लभ अवसर मिला।

नॉर्वे के संसद में सद्गुरु के साथ ‘मिट्टी बचाओ कार्यक्रम’
16 जून
नॉर्वे संसद, ओस्लो में संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व कार्यकारी निदेशक एरिक सोल्हीम एवं अन्य लोगों द्वारा सद्गुरु का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। यहाँ के अपने संबोधन में सद्गुरु ने मिट्टी को बचाने के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मिट्टी की सेहत और मनुष्य की सेहत गहरे तौर पर एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि सेहतमंद मिट्टी बेहतर ईको सिस्टम के लिए ज़रूरी है जिसपर हमारी ख़ुशहाली और भलाई टिकी हुई है। मिट्टी पूरे ब्रह्मांड में सबसे बड़ी जीवित इकाई है और मिट्टी में जैविक तत्वों की कमी उसे मरुस्थल में बदल सकती है।
सद्गुरु ने बताया कि वर्तमान में मुश्किल से किसी देश में मिट्टी में जैविक तत्वों की औसत मात्रा 3% है और 27000 प्रजातियाँ हर साल लुप्त हो रही हैं। इस समस्या को सुधारने के लिए पूरी दुनिया के सहयोग और नीतियों में बदलाव की ज़रूरत है, जैसे खेती की भूमि को सेहतमंद बनाए रखने के लिए नियम लागू करना। भारत में वृक्ष आधारित खेती में बढ़त ने सफलता दिखाई है जिससे भूमि का स्वास्थ्य और किसानों की आय दोनों बढ़ी हैं और ये मिट्टी की समस्या के लिए बड़े समाधान का एक छोटा हिस्सा हो सकता है।

लन्दन में सद्गुरु के साथ ध्यान
18 जून
18 जून रविवार के दिन सद्गुरु ने लन्दन में एक ध्यान कार्यक्रम किया जिसमें 12000 लोगों ने हिस्सा लिया। यह सभा दो वजहों से ऐतिहासिक रही - ये भारत से बाहर ईशा का सबसे बड़ा कार्यक्रम था और यूनाइटेड किंगडम में ध्यान का अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम था। इसे संभव बनाने के पीछे अनगिनत काम थे, जिसके लिए दुनिया भर से वालंटियर इकट्ठे हुए थे।
सद्गुरु ने बहुत सारे मुद्दों पर बात की, जैसे जीवन में जागरूक और केन्द्रित रहने का महत्व, और साथ ही आंतरिक खुशहाली के लिए बाहरी साधनों पर निर्भर रहने के बजाय भीतर की ओर मुड़ना। परमानन्द में और पूर्वाग्रह से मुक्त रहने पर ही कोई इंसान किसी चीज को ठीक वैसी देख और जान सकता है जैसी वह है। उन्होंने रूपांतरण के विभिन्न साधनों पर बल दिया, जो किसी के संतुलन और जागरूकता की समझ को बढ़ाने के लिए मौजूद हैं।
ये कार्यक्रम एक शक्तिशाली निर्देशित ध्यान और प्रभावशाली प्रश्नोत्तर सत्र के साथ समाप्त हुआ, जिससे प्रतिभागियों ने (जिनमें से अधिकांश पहली बार सद्गुरु की भौतिक उपस्थिति में मौजूद थे) योग की रूपांतरण कर देने वाली शक्ति के स्वाद का अनुभव किया।

विश्व योग दिवस पर सद्गुरु का यूनेस्को में संबोधन
21 जून
विश्व योग दिवस के मौके पर पेरिस में यूनेस्को के मुख्यालय में अपने संबोधन में सद्गुरु ने ‘जागरूक धरती के निर्माण’ के विषय पर बात की। यूनेस्को आर्टिस्ट फॉर पीस डॉ. गुइला क्लारा केसौस के साथ बातचीत में उन्होंने योग की रूपांतरणकारी शक्ति और मानव चेतना को ऊपर उठाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला।
यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल के दूसरे सचिव हरीश कुमार द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में यूनेस्को के सामाजिक और मानव विज्ञान के सहायक महानिदेशक गैब्रिएला रामोस के प्रेरणादायक संबोधन के साथ-साथ साउंड्स ऑफ ईशा और प्रोजेक्ट संस्कृति की मनमोहक प्रस्तुतियां शामिल थीं।
सद्गुरु ने एक बेहतर दुनिया बनाने में चेतना और ऊर्जा के महत्व पर जोर दिया, ‘चेतना को जागृत करने के लिए, आपको ऊर्जा के अधिक तीव्र और प्रचंड स्तर की आवश्यकता होती है। इस धरती पर लोगों की स्थिर मानसिक स्थिति बनाने के लिए इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। इस दुनिया की गुणवत्ता आप पर निर्भर करती है। आइए हम सब मिलकर इसे साकार करें।'
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मतलब कोई उत्सव नहीं है, बल्कि यह आपकी प्रतिबद्धता से जुड़ा है, जैसा कि सद्गुरु ने एक ट्वीट में कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिबद्धता का दिन है क्योंकि शारीरिक और मानसिक रूप से सर्वोत्तम तरीके से रहना, इस धरती के लिए आपका सबसे बड़ा योगदान है।’
2014 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था। योग के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए 2016 में योग को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था।
ईशा में अन्य कार्यक्रम:
‘ह्यूमन इज़ नॉट ए रिसोर्स’ का सातवाँ संस्करण
12–14 जून
इस वर्ष का ‘ह्यूमन इज़ नॉट ए रिसोर्स’ (‘मानव कोई संसाधन नहीं है’)कार्यक्रम, एक बार फिर, इसमें भाग लेने वाले सभी लोगों के लिए वास्तव में एक अद्भुत अनुभव था, जिसने नेताओं और संस्थानों दोनों के लिए एक नया नज़रिया दिया। इस कार्यक्रम ने अन्य विषयों पर सद्गुरु के प्रेरक दृष्टिकोण के अलावा, संगठनात्मक संस्कृति और नेतृत्व पर समृद्ध अंतर्दृष्टि प्रदान की।
‘ह्यूमन इज़ नॉट ए रिसोर्स’ सद्गुरु द्वारा तैयार किया गया एक तीन दिवसीय इंटरैक्टिव कार्यक्रम है जो व्यवसाय में मानव क्षमता को उजागर करने पर केंद्रित है।

ईशा योग केंद्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
21 जून
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, ईशा संस्कृति के छात्रों ने ग्रीष्म संक्रांति की शानदार शुरुआत करते हुए, ईशा योग केंद्र में सूर्य नमस्कार का प्रदर्शन किया, जो एक कालातीत और शक्तिशाली योग अभ्यास है।
कोयम्बटूर के केन्द्रीय ट्रेनिंग कॉलेज से केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल के लगभग 150 सदस्यों ने ईशा योग केंद्र आकर ‘उप योग’ सीखा जो पूरे सिस्टम को सहज बनाने के लिए सरल लेकिन शक्तिशाली क्रियाएं हैं।
ईशा फाउंडेशन ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पूरे भारत में मुफ्त योग सत्र संचालित किए।

ध्यानलिंग प्राण-प्रतिष्ठा दिवस
24 जून
ध्यान लिंग प्राण-प्रतिष्ठा दिवस की 24वीं वर्षगाँठ पर ईशा योग केंद्र में सर्व धर्म मंत्रोच्चार, गुरु पूजा, सद्गुरु का सन्देश और एक विशेष नाद आराधना का आयोजन हुआ। ताज़े फूल और जगमगाते दीयों से वह शांत माहौल और भी ख़ास बन गया था।