जागरूक जीवन

प्रेम संबंधों और रिश्तों को कैसे मजबूत बनाएं?

इस ज्ञानवर्धक लेख में सद्‌गुरु पारिवारिक और आत्मीय संबंधों के बीच की जटिलताओं को समझाते हुए बताते हैं कि दबावों के बीच आपसी संबंधों में मधुरता कैसे बनाएं। जानिए कि एक संतुष्ट जीवन के लिए आत्मनिर्भरता, स्वयं का विकास और ख़ुद को आनंद का स्रोत बनाना कितना महत्वपूर्ण है। 

प्रश्न: परिवार और आत्मीय जनों के बीच रहते हुए कई बार हम उनकी राय और उम्मीदों को स्वीकार करने का दबाव महसूस करते हैं, जो कभी-कभी हमारे लिए दुखदाई हो जाता है। तो हम बेहतर रिश्ते कैसे बनाएँ?

भावुक संबंध और दूसरों पर निर्भरता

सद्‌गुरु: ये लोग आपके आत्मीय जन नहीं हैं, बल्कि आप इन्हें अपने अतिरिक्त हाथ-पांव ही समझिए। आप अपने दो पांव पर खड़े नहीं हो सकते इसलिए आपको 4, 8, 12 और भी कई पाँवों की ज़रूरत होती है। लेकिन यदि इन्हें ठीक से सँभाला न जाए तो ये अतिरिक्त हाथ-पाँव आपस में उलझ सकते हैं।

रिश्तों को अच्छी तरह बनाए रखने के लिए एक और रास्ता भी हो सकता है - एक ऊँचे स्तर का जुड़ाव, जो भावुकता पर आधारित न हो। भावुक संबंध निर्भरता पैदा करते हैं। भावना एक ऐसी चीज़ है जिसका आनंद लेना चाहिए, ये जीवन का रस है। आप अपने शरीर और विचारों को काम पर लगा सकते हैं लेकिन भावनाओं से काम निकालने की कोशिश कभी मत कीजिए।

भावनाएं काम निकालने के लिए नहीं है

शुरुआत में, ये कहना कि ‘मुझे तुमसे प्यार है,’ काम कर सकता है, लेकिन कुछ समय बाद भावनाओं का इस्तेमाल करके काम निकालना आपके जीवन को मुश्किल बना सकता है। क्योंकि भावनाएं काम निकालने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में मिठास भरने के लिए होती हैं। विचार और शरीर को काम करना चाहिए, लेकिन भावनाओं की तो बस मौजूदगी होनी चाहिए, एक फूल की तरह।

फूलों से आप कोई काम नहीं लेते, उनकी मौजूदगी ही काफी है। भावनाएं भी उसी तरह हैं, सुखद और अद्भुत। अगर आप उनसे काम निकालना चाहें या भावुकता दिखाकर लोगों के जीवन से खुशियां निचोड़ना चाहें तो ये एक दिन बहुत ही बदसूरत हो जाएगा।  

भावनाएं काम निकालने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में मिठास भरने के लिए होती हैं।

इसका नतीजा ये होगा कि पारिवारिक जीवन एक बहुत बड़ा बोझ बन जाएगा। कई बार सबसे भद्दी चीज़ें घरों की चारदीवारियों के भीतर होती हैं - सड़कों पर या किसी बाहरी जगह नहीं, बल्कि उन लोगों के बीच जिन्हें करीबी होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग अपनी भावनाएं अपना काम निकालने के लिए इस्तेमाल करते हैं।  

अगर आप काम निकालने के लिए अपनी भावनाओं का इस्तेमाल करेंगे, तो हो सकता है शुरू में आपके काम बन जाएँ लेकिन आप ऐसा ही करते रहे तो जिन्हें एक-दूसरे का ख्याल रखना चाहिए उन्हीं के बीच जीवन बहुत बदसूरत हो जाएगा। सबसे भद्दी परिस्थितियां दुश्मनों के बीच नहीं बल्कि तथाकथित आत्मीय जनों के बीच हो जाती हैं।

प्रेम, पोषण और आपसी राय

लोगों के अपने मत होते हैं। अगर आप किसी से सच में प्रेम करते हैं तो उनके प्रति आपकी कोई राय नहीं होनी चाहिए। प्रेम का अर्थ ही है किसी दूसरे जीवन को बिना अपनी राय बनाए पोषण देने के लिए तैयार रहना। राय बना लेने का मतलब है कि आप किसी को एक निश्चित सांचे में ढाल देना चाहते हैं। प्रेम का मतलब है किसी को एक नई संभावना के लिए पोषण देना। प्रेम और राय साथ-साथ नहीं चल सकते।

अगर ये सचमुच एक प्रेम संबंध है तो इसमें केवल पोषण होना चाहिए, कोई राय नहीं। आप कभी-कभी बेहतर पोषण के लिए कुछ निर्णय लेते हैं। जब आपके घर में बच्चे होते हैं तो उनके बारे में राय बनाने की जगह आपको उनकी मौजूदा स्थिति का आंकलन करना पड़ता है ताकि आप उनको अगली संभावना के लिए बेहतर तरीक़े से तैयार कर सकें। अगर आप उनके बारे में राय बना लेंगे तो इसका मतलब है कि उनके जीवन को एक नई संभावना के लिए तैयार करने में आपको कोई दिलचस्पी नहीं है, आप उन्हें बस अपनी सीमित राय में बांधना चाहते हैं और अगर वे आपकी राय के अनुसार न चलें तो आप निराश हो जाते हैं। ये इस तरह काम नहीं करने वाला।

प्रेम का अर्थ ही है किसी दूसरे जीवन को बिना अपनी राय बनाए पोषण देने के लिए तैयार रहना।

अगर आप दूसरों के करीब रहना चाहते हैं तो आपका रिश्ता पोषण पर आधारित होना चाहिए, न कि राय पर आधारित। नहीं तो रिश्ते असफल होंगे ही, क्योंकि रिश्तों की नींव ही गलत है। शुरुआत में हो सकता है नए हालात की वजह से या हनीमून-फेज की वजह से आपका तरीक़ा काम कर जाए, लेकिन वह लम्बे समय तक नहीं टिक सकता।

आनंद का स्रोत बनें

आप अपने भीतर प्रेम का अनुभव भावनाओं की एक ख़ास मधुरता के रूप में करते हैं। ये भावना किसी को देखने से या किसी के आसपास रहने से जाग सकती है, या तेज हो सकती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये भावना कैसे पैदा होती है, जो चीज महत्वपूर्ण है वह यह कि ये अनुभव आपके भीतर होता है।  

ये अद्भुत है कि आप ऐसी मधुर भावना का अनुभव करते हैं। लेकिन आप किसी दूसरे व्यक्ति का एक चाबी की तरह उपयोग करके इस अनुभव को अपने लिए खोलते हैं। आप आख़िर एक चाबी का इस्तेमाल ही क्यों कर रहे हैं, जब वहाँ कोई ताला, दरवाजा या कोई अड़चन ही नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप एक धक्का देकर स्टार्ट होने वाली गाड़ी के सामान हैं। वो पुरानी गाड़ियाँ जिन्हे स्टार्ट करने के लिए धक्का देना पड़ता था, जैसे कि कोई 25 साल पुरानी एम्बेसडर हो।  

आजकल की गाड़ियों में सेल्फ-स्टार्ट होता है, कइयों में तो रिमोट स्टार्ट भी होता है - ये नई टेक्नोलॉजी है। क्या आप भी अपनी टेक्नोलॉजी में नयापन लाना चाहेंगे जिससे कि आप भी सेल्फ-स्टार्ट हो जाएँ। जब आप सुबह उठें तो आप आनंद, प्रेम और उल्लास से भरे हों, ये ख़ुद ही हो, इस सबके लिए आपको किसी दूसरे व्यक्ति की जरूरत न पड़े। अगर आपको एक सेल्फ-स्टार्ट मशीन बनना है तो आपको हमारे पास आना चाहिए।

जब बात आनंद, प्रेम और जीवन के उल्लास की हो तो आपको इनका स्रोत होना चाहिए।

अगर आप इस वक्त प्रेम में हैं तो ठीक है, लेकिन ये बहुत महत्वपूर्ण है कि आप एक सेल्फ-स्टार्ट मशीन हों, नहीं तो कुछ समय बाद आप दूसरे व्यक्ति से खुशियां निचोड़ने की कोशिश करने लगेंगे। यही वो समय होता है जिसके बाद प्रेम सम्बन्ध कष्ट-दायक और खराब हो जाते हैं, क्योंकि आप दूसरों से खुशियां निचोड़ने लग जाते हैं। जब बात आनंद, प्रेम और जीवन के उल्लास की हो तो आपको इनका स्रोत होना चाहिए। बाकी चीजें तो जीवन में साझा की जा सकती हैं।

रिश्तों में साझा करने और खींचने के बीच का फर्क

किसी संबंध में जुड़ने के दो तरीके हो सकते हैं। एक तरीका हो सकता है जिसमें आपका मक़सद सामने वाले से कुछ खींचने का होता है। दूसरा तरीका होता है जिसमें आप सामने वाले से कुछ साझा करना चाहते हैं, बाँटना चाहते हैं। अगर आप बाँटने जा रहे हैं तो आपके संबंध सुखमय होंगे। अगर आप खींचना चाहते हैं तो जब सामने वाले ने देना बंद कर दिया तो ये बहुत ही ख़राब और अप्रिय हो जाएगा।

आनंद हो या दुख, स्रोत आपके भीतर ही है।

आपने ऐसे कई लोग देखे होंगे जो कभी सोचते थे कि वे पूरी तरह से प्रेम में हैं, और बाद में वही संबंध उनके लिए कितने दुखदाई बन गए। ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि उन लोगों में कुछ कमी थी, बल्कि इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने शुरुआत ही गलत आधार पर की थी। वे यह सोच रहे थे कि दूसरा व्यक्ति उनके आनंद का स्रोत है। देखिए, आनंद हो या दुख, स्रोत आपके भीतर ही है।

तय आपको करना है। अगर आप एक खुशनुमा व्यक्ति हैं तो सभी आपके साथ रहना पसंद करेंगे नहीं तो वे आपको कुछ समय के लिए बस बर्दाश्त करते रहेंगे।

शंकरन पिल्लै का ‘आई लव यू’

आइए आपको एक चुटकुला सुनाता हूँ। एक दिन शंकरन पिल्लै शाम को एक पार्क में सैर करने निकले। उन्होंने एक सुंदर युवती को एक बेंच पर बैठे देखा। वे भी उसी बेंच पर जाकर बैठ गए। कुछ देर बाद वे उसके थोड़ा करीब खिसक गए, वो युवती थोड़ी दूर हटी। कुछ मिनटों बाद वे थोड़ा और करीब खिसक आए, वो थोड़ी और दूर हट गई, वे दोबारा उसके करीब सरक गए। अब तक वह बेंच के दूसरे छोर पर पहुँच गई थी, तो उसने इन्हें दूसरी तरफ धक्का दे दिया।

शंकरन पिल्लई ने सूरज को देखकर 2 मिनट इंतज़ार किया। फिर वह अपने घुटने पर बैठकर उससे बोले, ‘आई लव यू। मैं तुमसे इतना प्रेम करता हूँ जितना मैंने आज तक किसी से नहीं किया।’ महिलाएं प्रेम के लिए अंधी होती हैं। अगर उस समय दोपहर का समय होता तो शायद वह शंकरन की बात पर भरोसा नहीं भी करती, शाम का समय था, सूरज डूब रहा था, माहौल बिलकुल सटीक था इसलिए उसे विश्वास भी हो गया। जल्दी ही प्रकृति ने अपना रुख बदला। थोड़ी देर बाद शंकरन ने घड़ी देखी। रात के आठ बज रहे थे। वह उठा और कहने लगा, ‘मुझे जाना है।’ युवती ने  पूछा, कहाँ जा रहे हो? अभी तो तुमने कहा कि मुझसे प्रेम करते हो!’ उसने कहा, ‘मेरी बीवी मेरा इंतज़ार कर रही है, मुझे जाना होगा।’

लोग कई बार ‘आई लव यू’ का इस्तेमाल कुछ पाने के लिए ‘खुल जा सिमसिम’ की तरह करते हैं। उनकी जरूरतें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आर्थिक या सामाजिक कुछ भी हो सकती हैं। इस मंत्र को इन जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और कई बार ये काम कर भी जाता है। लेकिन ये जरूरी है कि प्रेमपूर्ण होने के आनंद का अनुभव किया जाए। अगर आप जीवन में वाक़ई बड़े कदम उठाना चाहते हैं तो भावनाओं में मिठास का होना बेहद ज़रूरी है। अगर आपके हृदय में प्रेम की मिठास नहीं है तो दुनिया में बड़े-बड़े काम करने की कोशिश निराशा ला सकती है।