क्या आप रहस्यमयी तांत्रिक प्रक्रियाओं जैसे पंच मुंड साधना के बारे में जानने में दिलचस्पी रखते हैं जिसमें पांच खोपड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है? सद्गुरु से जानिए… वे यहाँ भ्रम को सच से अलग कर के बता रहे हैं और यह भी समझा रहे हैं कि यह क्यों ज़रूरी है कि आपकी खोज संयमित हो, और मानवता की भावना और अपने आस-पास के जीवन के साथ जुड़ी हो।
प्रश्नकर्ता: सद्गुरु मैंने सुना है कि तांत्रिक पंच मुंड साधना करते हैं। क्या ये सच है? यदि हाँ तो वे ऐसी चीज़ें क्यों करते हैं? इसके पीछे उनकी चाहत क्या होती है?
सद्गुरु: ओह! पंच मुंड। पंच मुंड मतलब पांच खोपड़ियाँ। वे आम तौर पर सांप, मेंढक, लोमड़ी, बाघ या कुत्ते और साथ में इंसानी खोपड़ी का इस्तेमाल करते हैं। महिलाएं चिंता न करें – ये हमेशा एक नर खोपड़ी होती है। लेकिन आप पंच मुंड में दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं? क्या आप पांच खोपड़ियों और एक शव के ऊपर बैठ कर साधना करना चाहते हैं? ये एक जानकारी बढ़ाने वाला प्रश्न हो सकता है, लेकिन व्यक्तिगत काम के लिए ये जानकारी ज़रूरी नहीं है। हम आपको एक अच्छी क्रिया सिखाएँगे जो आपको एक संतुलित और सुन्दर इंसान बनने में मदद करेगी।
तो पंच मुंड क्यों? यहाँ आप एक बढ़ता हुआ क्रम देख सकते हैं, सांप से मेंढक, मेंढक से लोमड़ी, लोमड़ी से एक बड़ा जानवर, और फिर मनुष्य। ये उन विभिन्न देवियों के कारण भी है जो इससे जुड़ी हुईं हैं। पारंपरिक रूप से अलग-अलग देवियां कुछ जानवरों द्वारा दर्शाई जाती हैं, या कम से कम वे जानवर उनकी सवारी होते हैं।
चामुंडेश्वरी शेर की सवारी करती हैं, डाकिनी लोमड़ी की, और दूसरी देवियाँ भी हैं जिन्हें आजकल कम जाना जाता है। ऐसे देवी-देवता जीवन के पांच अलग-अलग उद्देश्यों और आयामों के लिए बनाए गए थे। जैसे पंच वायु (मानव तंत्र में ऊर्जा के पाँच रूप) हैं, जिनका इस्तेमाल कोई अपने लाभ के लिए सीख सकता है, और कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इन्ही पंच वायु का उपयोग कुछ डरावनी चीजों के लिए करते हैं।
ये खोज, चाहे वो वैज्ञानिक ही क्यों न हो, कभी-कभी क्रूर भी हो सकती है। पिछली पीढ़ियों में यूरोप और एशिया के वैज्ञानिकों ने जीवित इंसानों पर कुछ प्रयोग किए, जो बहुत क्रूर थे। पंच मुंड और उससे संबंधित प्रक्रियाएं ज़रूरी नहीं कि किसी के खिलाफ हों, लेकिन अगर उनको एक खोपड़ी चाहिए तो उन्हें वो किसी भी तरह से हासिल करनी होगी । एक मेंढक और सांप के लिए भी उनकी खोपड़ी बड़ी कीमती है पर कोई भी उनके प्राकृतिक रूप से मरने का इंतज़ार नही करेगा। अतीत में देखें तो पूरी दुनिया में मानव-बलि हुई है – केवल अध्यात्मिक खोज के लिए नहीं, वैज्ञानिक खोजों के लिए भी ।
ये बहुत ज़रूरी है कि आपकी खोज मानवता की भावना और आस-पास के जीवन के साथ जुड़ी हो, और संयमित हो। नहीं तो वह एक तरह से ऊधम मचाएगी। यहाँ कुछ खोजी हुए हैं जो जानने की इच्छा रखते थे, तो उन्होंने पूरी दुनिया घूमी और अपनी यात्रायों पर किताबें लिखीं। कुछ ऐसे खोजी हुए जिन्होंने पूरी दुनिया घूमते हुए बस लोगों को मारकर ऊधम मचाना चाहा। ये बेहद ज़रूरी है कि आपकी खोज मानवता पूर्ण हो।
मुझे बताया गया था कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इंसानों पर किए गए खतरनाक प्रयोग वैज्ञानिक समुदाय के लिए आज भी कीमती माने जाते हैं, हालांकि उनके तरीकों को वे मंज़ूर नहीं करते हैं। हम सभी उन प्रयोगों द्वारा प्राप्त ज्ञान से लाभ पा रहे हैं, लेकिन हम इसके लिए पहुंचाए गए उस दर्द की ज़िम्मेदारी नहीं लेना चाहते। जीवन इस तरह से काम नहीं करता, इसमें दोनों आते हैं। ऐसे ही पंच मुंड प्रक्रिया कुछ काम की हो सकती है, लेकिन इसे आपको नहीं करना चाहिए।
तो सवाल है कि वे चाहते क्या हैं? शक्ति के लिए मनुष्य की चाहत सीमाहीन है। लोग पैसे कमा सकते हैं, वैज्ञानिक शोध कर सकते हैं, ख़ुद को शिक्षित कर सकते हैं, चुनावों में खड़े हो सकते हैं या बन्दूक उठा सकते हैं –सब कुछ कर सकते हैं, केवल शक्ति की खोज में। पंच मुंड और इसके जैसी अन्य प्रक्रियाएं भी इसी के लिए हैं। वे ऐसी शक्तियां अर्जित करना चाहते हैं जो उनके आस पास के जीवन पर उन्हें नियंत्रण दे सके। लेकिन आस पास के लोगों को नियंत्रित करके आप क्या हासिल कर लेंगे?
जीवन का उद्देश्य मुक्ति है, न कि नियंत्रण या सत्ता। खुद से मुक्त होना, अपने इकट्ठे किये गये कचरे से मुक्त होना, शरीर और मन के तौर-तरीकों से मुक्त होना, पशु प्रवृत्ति से मुक्त होना, जीवन के विभेदों से मुक्त होना। तो ऐसी प्रक्रियाओं को छोड़ देना चाहिए क्योंकि ये शक्ति अर्जित करने के बारे में हैं।
मैं कभी ऐसी चीज़ों में नहीं उलझा, पर मैं उन लोगों से मिला हूँ जो ये सब करते हैं। एक बार लोगों की भूतों के बारे में बातें सुनकर दिलचस्पी हुई और मैं उन्हें अपनी आँखों से देखना चाहता था। तो मैं श्मशान में जाकर लम्बे समय तक बैठता था, पर कमबख्त भूत कभी नहीं आए – केवल शव ही आए।
जीवन का उद्देश्य मुक्ति है, न कि नियंत्रण या सत्ता। खुद से मुक्त होना, अपने इकट्ठे किये गये कचरे से मुक्त होना, शरीर और मन के तौर-तरीकों से मुक्त होना, पशु प्रवृत्ति से मुक्त होना, जीवन के विभेदों से मुक्त होना।
मैं भूतों को देखने के लिए कई जगहों पर गया। कुछ ऐसी जगहें थीं जहाँ पर ऐसा लगता था मानो मेरे अलावा सभी ने भूत देख रखा हो। लोग कुछ जगहों को भूतिया कहते थे तो मैं ऐसे सारे भूतिया घरों में गया और वहां सोने की इजाज़त ली, इसी उम्मीद में कि भूत मिलेगा। पर जब मैं वहां गया तो कोई दरवाज़ा अपने आप खुला या बंद नहीं हुआ। मैंने प्रतीक्षा की, लेकिन कोई भूत नहीं आया।
एक आदमी था जो कहता था कि वो हर अमावस्या भूतों को अपना खून पिलाता है। उसका आधा अंगूठा खाया जा चुका था जो कि उसकी बात का जीता जागता प्रमाण था। मैं उसके साथ भी दो अमावस्याओं को वहाँ गया, लेकिन भूत नहीं आया।
उसके बाद मैं एक दूसरे आदमी के पास गया, जिसके पास कत्थई और भूरे रंग की बोतलें थीं। वह कहता था कि उसने कुछ भूत पकड़ कर बोतलों में बंद कर रखे हैं। वो मैसूर नगर निगम में अधिकारी था, लेकिन शाम को वो काला चोगा पहने एक तांत्रिक बन जाता था। मैंने उससे दोस्ती की और उसके साथ बैठ गया। वह अजीब-अजीब बातें करता रहा, लेकिन मैं उसकी 15-18 बोतलों में से एक मिलने का इंतज़ार कर रहा था। पर वह बहुत सतर्क था और उसने कभी भी मुझे उनके करीब भी नहीं जाने दिया।
उसने एक कोलम (दक्षिण भारतीय रंगोली) बनाई और उसके पांच कोनों में एक-एक अंडा रख दिया। सभी पांच अंडे एक जोर की आवाज़ के साथ फूट गए। उसने कहा ये इस बात का सबूत है कि आत्मा आ गई है। इससे सच में मेरी दिलचस्पी बढ़ी क्योंकि ये सब मैंने अपनी आँखों से देखा था। जो अंडे एक दूसरे से 8-9 फीट की दूरी पर रखे थे कैसे धमाके के साथ फूट गये। ऐसा कोई भी तरीका नहीं था जिससे उसने उनमें कोई विस्फोटक भरा हो। वो मुर्गी के सामान्य अंडे थे। मैं देखता रहा और सोचता रहा ‘ये क्या है?’
मैं पीछे के आँगन में गया, ऊपर-नीचे चढ़ता-उतरता रहा और हर चीज़ को देखकर सोचता रहा। फिर मैंने एक अमरुद को देखा जो पेड़ पर लटक रहा था। मैंने ताली बजाई और वो गिर गया। मैंने महसूस किया कि मैं ताली से अमरुद गिरा सकता था। मैं बस 17-18 साल का था, मैंने एक दोस्त को बुलाया और कहा, ‘इसे देखो’, और फिर मैंने एक फल की और इशारा किया और ताली बजाते ही वो ज़मीन पर गिर पड़ा।
फिर एक गहरे स्तर का परिवर्तन या घिन जो मानसिक या भावनात्मक नहीं, बल्कि रासायनिक थी, उसे मैंने अपने पूरे शरीर में अनुभव किया। मैंने तय कर लिया कि मैं इस तरह की चीज़ें दोबारा कभी नहीं करूंगा। मैं उस आदमी के पास फिर कभी नहीं गया और न मैंने फिर उस की बोतलों के भूतों की चाह की।
कई तरह की खोजें होती हैं। किसी की मुक्ति पाने की खोज एक चीज़ है। ऐसी खोजें जो दूसरों के जीवन को लाभ पहुँचाएँ, वे दूसरी तरह की खोज हैं। और फिर कुछ ऐसी खोज होती है जो बिना किसी को लाभ पहुंचाए बस कुछ चीज़ों को उजागर करती है।
इस तरह की साधना कुछ शक्तियों को अर्जित करने के लिए की जाती हैं, जिसका कई तरह से उपयोग किया जा सकता है। खैर, मैं अभी भी ताली बजा रहा हूँ – किसी को गिराने के लिए नहीं, पर एक बिलकुल अलग उद्देश्य के लिए। ये तालियाँ किसी शक्ति के लिए नहीं, बल्कि अपने जीवन के परित्याग के लिए हैं।
बहुत ज़रूरी है कि आप किसी भी शक्तिशाली पहलू को छूने से पहले मानवता में गहरा निवेश करें, क्योंकि ये आपको शक्ति का इस्तेमाल अपनी भलाई के लिए नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए करने में मदद करेगी।
रहस्यवाद को खोजते हुए ये बहुत ज़रूरी है कि आप उससे अभिभूत न हो जाएँ। बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्होंने ख़ुद को इस तरह की साधना के लिए समर्पित किया और उन्हीं देवियों या आत्माओं ने उन्हें कष्ट दिया जिनकी वे पूजा कर रहे थे या जिनको वश में करने की कोशिश कर रहे थे। जब आप किसी चीज़ को वश में करने या उस पर अधिकार करने की कोशिश करते हैं तो आप हमेशा जीतते नहीं हैं। वे भी आपको वश में कर सकती हैं या आप पर अधिकार कर सकती हैं। पर ये उस रहस्यवाद की प्रकृति नहीं है जिसकी मैं बात कर रहा हूँ।
बहुत ज़रूरी है कि आप किसी भी शक्तिशाली पहलू को छूने से पहले मानवता में गहरा निवेश करें, क्योंकि ये आपको शक्ति का इस्तेमाल अपनी भलाई के लिए नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए करने में मदद करेगी। यदि ये मात्र एक किताबी खोज है उसे यहीं छोड़ दीजिए। यहाँ तक कि ऐसी जगहों पर भी मत जाइए क्योंकि वहाँ कुछ ऐसी परिस्थितियाँ हो सकती हैं जिनसे आप बाहर न निकल सकें।