प्रसिद्ध अमेरिकी R&B संगीतकार गैब्रिएला सरमिएंतो विल्सन, जिन्हें H.E.R. के नाम से बेहतर जाना जाता है, सद्गुरु के साथ एक विचारपूर्ण वार्तालाप में भाग ले रही हैं, जो संगीत की दुनिया के कलाकारों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याओं को लेकर है। औद्योगिकीकरण और अपेक्षाओं के बोझ से भरी ज़िंदगी में संतुलन और प्रसन्नता को बनाए रखने के महत्व को सद्गुरु समझा रहे हैं। वे बता रहे हैं कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं दरअसल एक भीतरी संघर्ष हैं जो इस वजह से हैं क्योंकि आप अपने सिस्टम के ‘यूजर मैन्युअल’ के बारे में नहीं जानते। वे मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्थिरता, मौन और इनर इंजीनियरिंग जैसी शक्तिशाली क्रियाओं के महत्व को स्पष्ट कर रहे हैं।
सद्गुरु: नमस्कारम, आपने 10 वर्ष की आयु में संगीत बनाना शुरू कर दिया था और आप 5 अलग-अलग तरह के वाद्य-यंत्र बजा सकती हैं। आप किस तरह की बातूनी हैं! (हँसते हैं)
गैब्रिएला सरमिएंतो विल्सन: आपसे बात करना एक सम्मान की बात है।
सद्गुरु: बताइए हम किस बारे में बात करें?
गैब्रिएला सरमिएंतो विल्सन: मानसिक स्वास्थ्य - अपने मानसिक स्वास्थ्य की कैसे देखभाल की जाए?
सद्गुरु: दुर्भाग्य से कलाकार और खासकर संगीतकारों के पास मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कहीं ज़्यादा होती हैं। हाल के सर्वे बताते हैं कि साक्षात्कार किए गए 1500 कलाकारों में से करीब 73 फीसदी को डिप्रेशन और बाइपोलर समस्या है। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि संगीत मानव जीवन की एक अद्भुत घटना है। मुझे लगता है कि ये सब संगीत के औद्योगीकरण की वजह से हो रहा है। अगर लोग संगीत के क्षेत्र में केवल संगीत-प्रेम के लिए जाते तो मुझे लगता है वे बहुत अच्छा करते।
संगीत एक बहुत बड़ा हीलर है। ये किसी के जीवन में अद्भुत संतुलन, शांति, ख़ुशी और प्रेम ला सकता है, लेकिन दुर्भाग्यवश आज ये मानसिक समस्याएं ला रहा है। मुझे लगता है कि सारे संगीतकारों को इस पर ध्यान देना चाहिए। अगर वे लोग बीमार हो रहे हैं जो वह कर रहे हैं जो उन्हें पसंद है, तो उन लोगों का क्या होगा जो अपने जीवन-यापन के लिए कोई भी नौकरी या रोज़गार कर रहे हैं।
गैब्रिएला सरमिएंतो विल्सन: हाँ, मैं सहमत हूँ। संगीतकार होने का मतलब है कि आप बहुत ही संवेदनशील काम कर रहे हैं । संगीत एक बहुत ही प्रभावशाली चीज़ है क्योंकि सभी इसे पसंद करते हैं। चाहे आप कोई भी भाषा बोलते हों, आप कोई भी संगीत सुनकर उससे प्रभावित हो सकते हैं। और मुझे लगता है कि इस काम में जो लोग हैं वे कभी-कभी इस अतिसंवेदनशीलता का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं। एक कलाकार के तौर पर आपके अंदर जो कुछ भी है, वही आप निकालकर बाहर दुनिया को दे देते हैं, इसके अलावा आपके पास और कोई चारा नहीं रह जाता।
मेरा अनुभव यह है कि जब आप संगीत के प्रति अपने निर्मल प्रेम और आनंद की वजह से, दूसरे लोगों को अपना फायदा उठाने देते हैं, तब आप पूरी तरह से चूस लिए जाते हैं। तब अपने अंदर की आवाज़ सुनना मुश्किल हो जाता है क्योंकि आपके आसपास इतने लोग होते हैं जो आपके मन, आपकी रचनात्मकता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे होते हैं ताकि उसे तोड़-मरोड़कर कुछ ऐसा बना दें जो बाज़ार के लायक़ हो, निर्मल बिलकुल न रहे।
सद्गुरु: जीवन के इतने सरल आयामों को इतना जटिल बनाने की ज़रूरत नहीं है। हमारे विचार और भावनाएँ हमारे अनुसार काम करें- इस एक पहलू को साधने में कई बार लोगों को पूरा जन्म लग जाता है। आप जो भी काम कर रहें हों, उसमें अगर आपको शांत, खुश और सफल रहना है, तो इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आपका शरीर और मन आपके निर्देश से काम करें।
आप जिसे बीमारी कहते हैं वह बस इतनी सी बात है कि आपके शरीर और मन के रसायन और आपकी ऊर्जा आपसे निर्देश नहीं ले रहे। इसकी वजह से आप एक विकृत ताक़त हो गए हैं। और जब आप विकृत हो जाते हैं तो चिंता और बेचैनी तो स्वाभाविक है। लोग चाहे जीवन में जो कुछ भी कर रहें हों, सबको ऐसा सिस्टम ढूंढने की ज़रूरत है जिससे उनका शरीर और मन उनसे निर्देश लें, न कि अपने आसपास की परिस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में काम करे। इस धरती पर केवल हम ही ऐसे जीव हैं जिन्हें अंग्रेज़ी भाषा में ‘being’ कहा जाता है, आप एक ‘human being’ हैं। इसका अर्थ है कि आपको पता होना चाहिए कि ‘कैसे होना है’ – ‘how to be.’ लेकिन लोग इससे बहुत दूर निकल गए हैं।
बुनियादी तौर पर हर कोई अपने लिए सबसे ऊँचे दर्जे का सुख चाहता है। लेकिन ये हो नहीं रहा क्योंकि आप मानव-तंत्र को नहीं समझ रहे हैं। ये इस धरती की सबसे जटिल और परिष्कृत मशीन है लेकिन आपने इसका यूजर मैन्युअल पढ़ा ही नहीं है।
गैब्रिएला सरमिएंतो विल्सन: तो आप ख़ुद का यूजर मैन्युअल कैसे पा सकते हैं?
सद्गुरु: मानव-तंत्र जटिल और सूक्ष्म मशीन है। आपके बैठने के तरीके से लेकर आप ख़ुद को कैसे सँभालते हैं, हर चीज आपके शरीर के रसायन और गठन को प्रभावित करती है। हम अपने लिए सुखदायी रसायन कैसे बनाएं, इसके पीछे एक पूरा विज्ञान और टेक्नोलॉजी है। आपको इसके संपर्क में आना होगा।
योग का अर्थ है आप एकत्व में हैं। आप अपने शरीर की सीमाओं के परे अपने आसपास की प्रत्येक वस्तु के साथ एकत्व में जीवन का अनुभव कर रहे हैं। ये केवल मानव-जाति के लिए सम्भव है। इसी वजह से हमें अंग्रेज़ी भाषा में ‘being’ कहा जाता है - हम ऐसे हो सकते हैं कि हमारे शरीर की सीमाएं हमारे जीवन के लिए बाधक न हों। अगर हम इसकी खोज नहीं करेंगे तो हम खुद को फंसा हुआ महसूस करेंगे। यही मानव-जाति की प्रकृति है। मानव अपनी यथा-स्थिति से संतुष्ट नहीं रहता, हम लोग हमेशा असीमित विस्तार चाहते हैं।
जब कोई व्यक्ति, समाज, राष्ट्र या मानव जाति संपन्नता हासिल करती है तो हर दूसरा जीवन – सूक्ष्म जीवाणुओं से लेकर मानव-जाति तक, इसके लिए एक क़ीमत चुकाता है। लेकिन फिर भी मानव जाति खुश नहीं है। वे मानसिक संतुलन खो रहे हैं। WHO कहता है कि अगले 1-2 सालों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर महामारी आने वाली है। यूनाइटेड स्टेट्स सर्जन जनरल के मुताबिक अमेरिका में हर 2 में से 1 इंसान अकेलेपन का अनुभव कर रहा है। अकेलापन एक ऐसी अवस्था है जो मानसिक बीमारियों को बढ़ाती है। एक बार आप अकेलेपन का अनुभव करने लगे तो अगले कदम पर डिप्रेशन खड़ा है।
जब 73 फीसदी संगीतकार बीमार हो रहे हैं तो इसका मुख्य कारण यह है कि वे ऊँचे डेसिबल की ध्वनियों के संपर्क में आ रहे हैं जो कि आपके सिस्टम में अतिरिक्त हॉर्मोन पैदा करता है और पूरे शरीर में बहुत तनाव लाता है।
गैब्रिएला सरमिएंतो विल्सन: वाह! यह तो दिलचस्प जानकारी है, मुझे पहले यह नहीं पता था।
सद्गुरु: सबसे महत्वपूर्ण है ख़ुद के लिए जगह और समय निकालना, जहाँ आप केवल स्थिर और शांत रह सकें। इसका आश्चर्यजनक लाभ है। शांति से भागने पर ही हर तरह की ध्वनि घटित होती है। यह शांति कुछ करने के लिए नहीं है, कुछ गीत लिखने या संगीत की रचना करने के लिए नहीं है बल्कि केवल शांत होने के लिए है। यह आपके तंत्रिका-तंत्र (न्यूरोलॉजिकल सिस्टम) में बदलाव कर आपके दिमाग की ढलनशीलता को बदलता है। हमारे पास कई वैज्ञानिक अध्ययन हैं जो बताते हैं कि प्रतिदिन कुछ शक्तिशाली प्रक्रिया की साधना करने से आपके शारीरिक रसायन और ऊर्जा-तंत्र में बहुत बड़े बदलाव आते हैं।
गैब्रिएला सरमिएंतो विल्सन: वाह! मैं इसे देखना चाहूंगी। जीवन में आगे बढ़ने के साथ-साथ मेरे लिए आपकी ये बातें याद रखना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मुझे लगता है कि मैं अचेतन तरीक़े से आगे बढ़ रही हूँ।
क्या आपको लगता है कि शांति में बैठना मेरे जीवन के निर्णय, मेरे चुनाव और वे लोग जिन्हें मैंने अपने आसपास रखा है , उसमें फर्क लाएगा?
सद्गुरु: दुर्भाग्य से अधिकांश लोग अपने विचार और भावनाएं अचेतन तौर पर पैदा कर रहे हैं, जिससे ऐसा महसूस होता है कि दुःख की वजह कहीं बाहर है। लेकिन वास्तव में ये हमारे भीतर हो रहा है। अपने भीतर के माहौल को अपने हाथ में लेने के लिए कई साधन और उपाय हैं। यह एक सात चरणों की प्रक्रिया है, जिसे इनर इंजीनियरिंग कहते हैं। इन सात चरणों से होकर गुज़रिए। ये आपमें एक बहुत बड़ा बदलाव लाएगा।
गैब्रिएला सरमिएंतो विल्सन: अद्भुत, इस वार्तालाप के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! इसने मेरे सोचने के तरीके को सचमुच बदल दिया है।