जीवन के प्रश्न

जीवन की राह पर किसकी सुनें – शरीर, मन, भावना या ऊर्जा की?

जीवन के संघर्षों को पार करके सद्‌गुरु की गहन अंतर्दृष्टि से जीवन की दिशा पाइए। अपनी जीवन-ऊर्जा का उपयोग करके भ्रम और विपत्तियों से ऊपर उठकर अपने जीवन को अपने अनुसार गढ़ना सीखें।

प्रश्नकर्ता: नमस्कारम सद्‌गुरु! मैं सालों से कुछ व्यक्तिगत समस्याओं से जूझ रहा हूँ, जिसकी वजह से मुझे कई मानसिक और भावनात्मक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मैं इन सबसे ऊपर उठकर जीवन की सही दिशा पाने के लिए क्या करूँ?

सद्‌गुरु: ‘मैं किसी चीज़ तक कैसे पहुँचूं जबकि मैं जानता ही नहीं कि वह क्या है?’ अधिकांश समय आपको नहीं पता होता कि आप क्या खोज रहे हैं, लेकिन आपको यह पता होता है कि आपके पास अभी जो भी है वो वह नहीं है, जिसे आप तलाश रहे हैं। तो वह हासिल नहीं हो पा रही चीज आखिर है क्या? इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। अगर आप जानना चाहते हैं कि आप अभी जहाँ हैं, उससे परे क्या है तो आपको कुछ ऊपर उठना होगा। आपको एक ऊँची जगह जाना होगा जिससे आपको एक बड़ा दृष्टिकोण मिल सके। तो आपको अभी यही करना चाहिए।

अपनी दृष्टि को बढ़ाने के लिए और अपनी वर्तमान सीमाओं से आगे देखने के लिए आपको ऊपर उठना होगा। ऊपर उठने के लिए आपको अपनी जीवन-ऊर्जा को तीव्र बनाना होगा। एक बार आपकी जीवन-ऊर्जा तीव्र हो गई तो आप स्वाभाविक रूप से ऊपर उठेंगे। ये आपको एक बेहतर दृष्टिकोण देगा और आप जान पाएंगे कि आपको किधर जाना है।

अगर आपको नहीं पता कि किधर जाना है, फिर भी, एक बार जब आपकी ऊर्जा बढ़ती है तो आप स्वाभाविक तौर पर सही दिशा में जाएंगे। बुनियादी तौर पर आपके पास ये चार क्षमताएँ हैं - आपका शरीर, मन, भावनाएं और जीवन-ऊर्जा। अगर आप केवल अपने शरीर की जरूरतों और प्रकृति की सुनते हैं तो आप केवल खाएंगे, सोयेंगे, बच्चे पैदा करेंगे और एक दिन मर जाएंगे। क्योंकि शरीर की दिलचस्पी केवल इन्हीं चीजों में है।

अगर आपको नहीं पता कि किधर जाना है, फिर भी, एक बार जब आपकी ऊर्जा बढ़ती है तो आप स्वाभाविक तौर पर सही दिशा में जाएंगे।

अगर आप अपने विचारों के अनुसार चलते हैं तो आप हर रोज़ भ्रम में रहेंगे क्योंकि आपका मन हर दिन अलग-अलग बातें कहेगा। जैसे कि आपका मन एक दिशा दिखा सकता है लेकिन जब आप उस तरफ जाना शुरू करें तो हो सकता है ये अचानक कहे कि दूसरी दिशा बेहतर हो सकती है। अगर आप हठी नहीं हैं तो आपको हमेशा भ्रम का सामना करना पड़ेगा, जो कि एक अच्छी चीज़ है। क्योंकि ‘बस यही सब कुछ है’ जैसे नतीजे निकाल लेने से भ्रम में रहना कई गुना बेहतर है। भ्रम में होने का अर्थ यह है कि आप अभी भी खोजने और पता लगाने की प्रक्रिया में हैं।

केवल बेहद कट्टरपंथी लोगों को निश्चित तौर पर पता होता है कि वे क्या करना चाहते हैं। बाकी सब लोगों को हमेशा ये पता लगाना चाहिए कि करने के लिए सबसे अच्छी चीज़ क्या है। ये अस्तित्व में होने का अच्छा तरीका है। इसका मतलब यह नहीं कि आप कभी भी कुछ हासिल नहीं कर सकेंगे। वे लोग जो हमेशा अपनी आँखें खुली रखते हैं, और नहीं जानते कि आगे क्या है, इस दुनिया में सबसे अच्छा करेंगे। कट्टरपंथी लोग हो सकता है कुछ दूरी तय कर लें, लेकिन कभी न कभी वे एक कठोर स्थिति से टकराएंगे। हम केवल आशा करते हैं कि वे अपने साथ कई दूसरे लोगों को न ले जाएँ। दुर्भाग्य से ये एक ऐसा सिलसिला है जो हमने इतिहास में कई बार देखा है।

अगर आप अपनी भावनाओं पर निर्भर रहेंगे तो ये आपको बहुत पीड़ा दे सकता है। वे लोग जिनके साथ आप भावनात्मक रूप से सबसे करीब हैं, वही लोग सबसे ज़्यादा दुख देते हैं। आप किसी सड़क पर निरर्थक बातें करते इंसान को अनदेखा कर सकते हैं, लेकिन जब बात आपके करीबी इंसान की आती है तो उसके साथ संबंधों की मधुरता के साथ-साथ पीड़ा का भय भी रहता है।

आप अपने शरीर, मन और भावनाओं पर भरोसा नहीं रख सकते लेकिन आप अपनी जीवन ऊर्जा पर विश्वास रख सकते हैं।

अपने दृष्टिकोण को ऊपर उठाने के लिए अपनी जीवन-ऊर्जा को तीव्र बनाना जरूरी है। एक बार वोल्टेज बढ़ जाए तो प्रकाश तेज़ होता है और आप ज़्यादा देख पाते हैं।

आप अपने शरीर, मन और भावनाओं पर भरोसा नहीं रख सकते लेकिन आप अपनी जीवन-ऊर्जा पर विश्वास रख सकते हैं। ये कभी आपके खिलाफ काम नहीं करती। चाहे आप जगे हों या नींद में हों, जागरूक हों या बेहोश हों, आपकी जीवन-ऊर्जा हमेशा आपके ख़ुशहाली के लिए काम करती है। आपके अस्तित्व के चार आयामों (शरीर, मन, भावना और ऊर्जा) में से आपके जीवन को आगे बढ़ाने के लिए कौन सा आयाम श्रेष्ठ है? आपकी जीवन-ऊर्जा। शाम्भवी महामुद्रा क्रिया इसी बारे में है। जब आप यहाँ बैठते हैं तो आपका शरीर, आपका मन और भावनाएं थोड़ी सी दूरी पर होती हैं, लेकिन आपकी जीवन-ऊर्जा सबसे प्रभावशाली आयाम बनकर ठीक यहीं होती है। जब तक आप ये सुनिश्चित नहीं करते, आप हमेशा बहकावे में रहेंगे।

आपके शरीर की सीमाएं हैं, ये केवल आपको कुछ दूरी तक ले जा सकती हैं। दूसरी तरफ, आपका मन आपको अनगिनत दिशाओं में ले जा सकता है। आपकी भावनाएं आपको उतार-चढ़ाव से भरे रास्ते, मानो रोलर-कोस्टर पर ले जा सकती हैं। लेकिन आपकी जीवन-ऊर्जा सदैव आपकी ख़ुशहाली के लिए काम करती है, कभी आपके ख़िलाफ़ नहीं जाती। आपको अपने उस विश्वसनीय आयाम को अपने जीवन का सबसे अगला सिरा बनाकर रखना चाहिए। अगर आप यहाँ बैठें तो आपकी ऊर्जा को आपके अस्तित्व का सबसे प्रभावशाली आयाम होना चाहिए।

अगर आपकी ऊर्जा आपके अस्तित्व का सबसे प्रभावशाली आयाम होगा तो आप जीवन को बिलकुल अलग तरह से जिएंगे। आप कहाँ पहुंचेंगे इसके बारे में कोई भी भ्रम नहीं होगा। आप जहां भी जाएँगे, आप उसे सुंदर बना देंगे।