मेडिटेशन : सांसों पर ध्यान टिकाने का क्या महत्व है?
मैडिटेशन की कई प्रक्रियाओं में सांसों पर ध्यान देने को कहा जाता है। क्या महत्व है सांसों का ध्यान में? जानते हैं कि कैसे साँसें हमें उस बिंदु तक ले जा सकती है जहां शरीर और जीव आपस में बंधे हैं।
मैडिटेशन की कई प्रक्रियाओं में सांसों पर ध्यान देने को कहा जाता है। क्या महत्व है सांसों का ध्यान में? जानते हैं कि कैसे साँसें हमें उस बिंदु तक ले जा सकती है जहां शरीर और जीव आपस में बंधे हैं।
मन और भावनाएं कहीं-न-कहीं टिकना चाहते हैं
आपके मन को एक खूंटी की जरूरत होती है। आपके मन और भावनाओं को एक खूंटी की जरूरत होती है, जिस पर वे खुद को टांग सकें। आप किसी के प्रेम में क्यों पड़ते हैं? आप किसी के ऊपर अपनी भावनाओं और मन को टांगना चाहते हैं।
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आप उसे कैसे समझते हैं, उसे क्या अर्थ देते हैं, वह ठीक है, मगर मुख्य रूप से आपकी भावनाओं और आपके दिमाग को एक ही फोकस की जरूरत होती है। अगर दोनों उसी के साथ रहते हैं, तो आप ज्यादा से ज्यादा सहज रहते हैं। मान लीजिए आपके पास एक ऐसी नौकरी है, जिससे आप काफी जुड़े हुए हैं मगर घर पर आप शादीशुदा होते हुए किसी प्रेम संबंध में भी हैं, फिर आपके जीवन में काफी अस्तव्यस्तता होगी। आप कभी सहज नहीं रह पाएंगे।
सांस अंतिम क्षण तक साथ निभाती है
अगर ये तीनों एक ही हों, तो आप बिल्कुल सहज और निश्चिंत होंगे। कोई व्यक्ति और कोई चीज, चाहे वह आपकी नौकरी हो, या धन-दौलत या आपका परिवार या आपका प्रेम-संबंध, कोई भी चीज आपकी सांस जितनी भरोसेमंद नहीं है।
प्रतिभागी : आप और आपका शरीर अलग-अलग हो जाएंगे।
सद्गुरु : आप और आपका शरीर अलग-अलग हो जाएंगे। तो वह कौन सी चीज है जो आपको और आपके शरीर को जोड़ कर रखती है। वह है आपकी सांस। योग में हम इसे कूर्म नाड़ी कहते हैं। कूर्म नाड़ी उस डोर की तरह होती है जो आपको अपने शरीर के साथ बांधे रखती है।
शरीर और जीव का मिलन बिंदु
अगर आप लगातार अपनी सांस पर ध्यान रखें, अपनी सांस के साथ बने रहें, जब आप वाकई सांस के साथ अंदर तक जाएंगे, तो आप समझ जाएंगे कि आप किस जगह पर अपने शरीर के साथ बंधे हुए हैं।
अगर आप शादीशुदा हैं, तो आपके पास एक और शरीर और मन की परेशानियां हैं, वरना सिर्फ एक शरीर और मन ही आपके लिए परेशानी का सबब है। है न? अगर आप उसे एक निश्चित दूरी पर रख सकते हैं, अगर आप अपने शरीर को खुद से थोड़ा सा दूर रखते हुए संचालित कर सकते हैं, अगर आप अपने मन को खुद से थोड़ी दूरी पर रखते हुए चला सकते हैं, तो आपकी सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। क्योंकि अगर आपको किसी तरह का कष्ट होता है, तो वह आपके अंदर शरीर या मन से होकर ही जाता है। अगर आप उसे थोड़ा दूर रखना सीख लेते हैं, तो आपके कष्टों का अंत हो जाता है।
अपनी मर्जी से जीवन रोकने के लिए जरुरी है
इसलिए सांस के साथ बने रहना बहुत ही महत्वपूर्ण है। पहली बात यह कि आपके मन के पास एक स्थायी साथी होता है, जो मरते दम तक आपका साथ नहीं छोड़ता। कोई भी आपका साथ छोड़ सकता है, आपकी सांस नहीं। दूसरी बात यह कि यह आपको उस जगह ले जाएगा, जहां आप अपने शरीर के साथ जुड़े हुए हैं। यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है, वरना आप अपनी मर्जी से अपना जीवन चला या रोक नहीं सकते। वह कई तरह की बाध्यताओं से चलता रहेगा।