कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान अमेरिका से आए एक साधक ने सद्गुरु से पूछा कि उनके मन में शिव के लिए कोई भक्ति नहीं है, लेकिन क्या फिर भी उनका आध्यात्मिक विकास हो सकता है? सद्गुरु उत्तर देते कहते हैं कि समर्पित होना किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में नहीं है। भक्ति अनिवार्य रूप से भावनाओं की एक स्थायी मिठास है, जिसके साथ आपका शरीर और दिमाग अपने सर्वोत्तम कार्य करेगा।