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ओम नमः शिवाय या ॐ नमः शिवाय: - महामंत्र का उच्चारण कैसे करें?

ॐ नमः शिवाय मंत्र हमारे सिस्टम को शुद्ध करता है और ध्यानमय अवस्था लाने में सहायक है। सद्‌गुरु बता रहे हैं कि इस मंत्र का उच्चारण करने का क्या अर्थ है, और साथ ही समझा रहे हैं कि क्यों इसका उच्चारण “ओम नमः शिवाय” नहीं बल्कि “आउम नमः शिवाय” की तरह करना चाहिए।
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मंत्र क्या है?

सद्‌गुरु: योग में हम कहते हैं कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड ध्वनि का एक जटिल मिश्रण है। इसमें से, हमने कुछ ऐसी ध्वनियों को पहचाना है जिनमें विभिन्न आयामों को खोलने की क्षमता है। कुछ विशेष ध्वनियाँ एक खास उद्देश्य से उपयोग की जाती हैं – सामान्यतः इन प्रमुख ध्वनियों को मंत्र कहा जाता है। मंत्रों के कई प्रकार होते हैं। कुछ मंत्र होते हैं जो विजय और प्राप्ति के लिए होते हैं । कुछ मंत्र आनंद और प्रेम लाने के लिए होते हैं । वहीं, कुछ मंत्रों का उद्देश्य अनुभव के अन्य आयामों को खोलना होता है।

दुनिया के अधिकांश आध्यात्मिक मार्गों में एक उचित जागरूकता के साथ किसी मंत्र को दोहराना हमेशा से ही सबसे मूलभूत साधना रही है। ज्यादातर लोग किसी मंत्र के बिना अपने अंदर ऊर्जा के सही स्तर तक पहुँचने में सक्षम नहीं होते। मुझे लगता है कि नब्बे फीसदी से अधिक लोगों को हमेशा खुद को जाग्रत करने के लिए एक मंत्र की जरूरत होती है। इसके बिना, वे अपनी ऊर्जा को बनाए रखने में असमर्थ होते हैं।

वह मूल मंत्र जिसे योग संस्कृति में महामंत्र माना जाता है, वह है "ॐ नमः शिवाय"।

“ओम नमः शिवाय” या “आउम नमः शिवाय” ?

 ॐ ध्वनि का उच्चारण ओम के रूप में नहीं करना चाहिए। इसे उच्चारित करने का तरीका है, अपना मुंह खोलकर आSS बोलना, और जब आप धीरे-धीरे अपना मुंह बंद करते हैं, तो ये ऊss और म बन जाता है। ये स्वाभविक रूप से होता है। इसे करना नहीं पड़ता । अगर आप बस अपना मुंह खोलकर सांस बाहर छोड़ें, तो ये आSS बन जाएगा। जैसे-जैसे आप मुंह बंद करेंगे, ये धीरे-धीरे उउऊ बनेगा और मुंह बंद होने पर म्म्म बन जाएगा। आSSउउऊम्म्म को अस्तित्व के बुनियादी ध्वनियों के रूप में जाना जाता है। अगर आप ये तीनों ध्वनियाँ एक साथ बोलें, तो आपको क्या मिलेगा? इसलिए हम कहते हैं कि आऊम सबसे बुनियादी मंत्र है। इसलिए, महामंत्र को "ओम नमः शिवाय" की तरह नहीं, बल्कि "ॐ नमः शिवाय" की तरह उच्चारित करना चाहिए।

यह मंत्र कर्म के जाले को साफ करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि आपका बोध बेहतर हो सके और आप जीवन के बड़े आयामों के लिए उपलब्ध हो सकें।

यह शिव का मंत्र है, जो संहारक हैं। वे आपको नहीं नष्ट करते, बल्कि वे आपके और जीवन की बड़ी संभावनाओं के बीच जो कुछ भी है, उसको नष्ट करते हैं। 

ॐ नमः शिवाय के पंचाक्षर

"न-म-शि-वा-य" को पंचाक्षर कहा जाता है, मतलब पाँच ध्वनियाँ। यह मंत्र केवल पाँच ध्वनियों का बेहतरीन संयोजन है, जो अद्भुत चीजें करता है। मानवता के इतिहास में, शायद सबसे अधिक लोगों ने इन पाँच ध्वनियों के माध्यम से अपनी उच्चतम क्षमता को जाना है।

ये पंचाक्षर मानव शरीर के पाँच प्रमुख केंद्रों से संबंधित हैं, और इन केंद्रों को सक्रिय करने का एक तरीका हैं। हम इस मंत्र का उपयोग शुद्धिकरण की प्रक्रिया के रूप में, और साथ ही इसे उस ध्यानमयता की नींव के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं, जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं। वरना, अधिकतर लोग अपने भीतर ध्यानमयता को बनाए नहीं रख पाते, जब तक कि वे अपने अंदर मंत्रों की गूंज उत्पन्न न करें। मंत्र आपके जीवन में एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है, जो आपको जरूरी बुनियादी कंपन देता है और आपके मानसिक दृष्टिकोण और शारीरिक ऊर्जा को एक स्तर से नीचे गिरने से रोकता है।

ये पंचाक्षर प्रकृति के पाँच तत्वों का भी प्रतीक हैं। "न" पृथ्वी है, "म" जल है, "शि" अग्नि है, "वा" वायु है, और "य" आकाश है। यदि आप पंचाक्षरों में कुशल हो जाते हैं, तो ये आपकी चेतना में इन पाँच तत्वों से बनी हर चीज को विलीन कर सकते हैं।

पाँच तत्वों के स्वामी, जीवन के स्वामी

शिव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे भूतेश्वर हैं – यानी वे पाँच तत्वों पर पूरा नियंत्रण रखते हैं। संपूर्ण सृष्टि इन पाँच तत्वों का खेल है। इतनी विशाल सृष्टि का निर्माण केवल पाँच तत्वों से! अगर आप इन पाँच तत्वों पर थोड़ी भी महारत प्राप्त कर लेते हैं, तो आपके पास जीवन और मृत्यु, और आपके आस-पास की हर चीज पर महारत होती है क्योंकि सब कुछ इन पाँच तत्वों से बना है।
योग का सबसे मौलिक अभ्यास भूतशुद्धि है, यानी आपके शरीर में इन पाँच तत्वों को शुद्ध करना और उन पर महारत हासिल करना है ।

अगर आप पाँच तत्वों पर महारत प्राप्त कर लेते हैं, तो आपने अपनी भौतिकता पर पूरी तरह से महारत पा ली, क्योंकि आपकी पूरी भौतिकता इन्हीं पाँच तत्वों का खेल है। अगर ये पाँच तत्व आपसे निर्देश लेकर काम कर रहे हैं, तो स्वास्थ्य, समग्र विकास, सफलता और जीवन पर महारत एक स्वाभाविक परिणाम होगा ।

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