सोचिए कि कर्म एक अदृश्य बैकपैक जैसा है जो जीवन भर आपके साथ चलता है, जिसे रहस्यमय हाथों ने ज्यादा या कम भरा है। सद्गुरु बताते हैं कि इस बोझ को कुशलतापूर्वक कैसे कम किया जाए - जीवन की यात्रा को एक कठिन खींचतान से एक सुंदर यात्रा में बदलते हुए।
प्रश्नकर्ता: नमस्कारम सद्गुरु! क्या हम हठ योग के आसनों का अभ्यास करते समय वास्तव में अपनी कार्मिक संरचना को जला रहे होते हैं, या यह समय के साथ स्वाभाविक रूप से खुद समाप्त होती है?
सद्गुरु: तो सवाल यह है कि क्या आसन कार्मिक संरचना को जला देते हैं?
मान लीजिए कि बहुत सी चीजें हैं जिन्हें ले जाना है और आप सभी के पास अलग-अलग स्तर की शारीरिक शक्ति है। ऐसे में आप में से हर एक उतना उठाएगा जितना वह ले जाने में सक्षम है, या जिसके लिए आपका शरीर या सिस्टम तैयार है।
इसी तरह, यदि आप अपने सिस्टम को शारीरिक, मानसिक और ऊर्जा के स्तर पर तैयार करते हैं, तो यह अधिक कार्मिक भार लेने में सक्षम होगा। यही तरीका है जिससे संचित कर्म (एक व्यक्ति का कुल इकट्ठा कर्म), प्रारब्ध कर्म में बदल जाता है, जो इस जीवन के लिए आवंटित कर्म है। अंदर की बुद्धि आपकी ऊर्जा की शक्ति और कार्मिक संतुलन का अनुमान लगाती है और यह तय करती है कि इस जीवन में कितना संभाला जा सकता है।
इस आवंटन को प्रत्येक संक्रांति के साथ घटाया-बढ़ाया जा सकता है, जब उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच परिवर्तन होता है। योगी इन अवसरों का उपयोग अधिक कर्म लेने के लिए करते हैं। गहन साधना में लगे लोगों के लिए प्रत्येक चंद्र चक्र (लूनर साइकिल), विशेष रूप से अमावस्या का दिन, अतिरिक्त कार्मिक स्टॉक लेने का अवसर देता है ताकि इसे जल्दी समाप्त किया जा सके।
एक बहुत सुंदर ईसप की कहानी है। जब एक राजा यात्रा करता था तो हर किसी को एक बोझ उठाना पड़ता था। ईसप छोटे कद का था और बहुत मजबूत नहीं था, लेकिन उसने सबसे भारी बोझ उठा लिया, जबकि बाकी सभी लोग इस लंबी यात्रा पर ले जाने के लिए सबसे हल्का बोझ चुनते थे। एक दिन किसी ने उससे पूछा, ‘तुम एक छोटे व्यक्ति हो - तुम सबसे भारी बोझ क्यों उठा रहे हो?’ उसने कहा, ‘मैं जो बोझ उठाता हूँ वह भोजन की गठरी होती है जो सबसे भारी होती है। लेकिन हर भोजन के बाद बोझ कम और कम होता जाता है। और अंतिम दो दिनों तक तो मैं खाली हाथ चल रहा होता हूँ।’
विचार यह है कि अभी जब आप सक्षम हैं तो शरीर और सिस्टम को अधिक से अधिक भार लेने के लिए तैयार करें ताकि बाद में आप बिना किसी बोझ के खाली हाथ चल सकें और जीवन सुंदर हो जाए। यही कारण है कि हमारे दैनिक कार्यक्रम इस तरह के हैं। इस जीवन में आप प्रारब्ध के रूप में जो ऊर्जा की मात्रा लेते हैं, उन सभी को शारीरिक गतिविधि से जला देना चाहिए।
आपके अंदर कीबुद्धि शारीरिक गतिविधि, मानसिक गतिविधि, भावना और आंतरिक प्रबंधन के लिए निश्चितमात्रा में ऊर्जा आवंटित करती है। मान लीजिए कि आपकी चालीस प्रतिशत ऊर्जा शारीरिक गतिविधिके लिए, चालीस प्रतिशत भावनात्मक गतिविधिके लिए, दस प्रतिशत बौद्धिक गतिविधि केलिए और दस प्रतिशत आंतरिक प्रबंधन के लिए समर्पित है। ऐसे में आप हमेशा अति सक्रिय,भावुक और लगातार उलझन में पड़ते रहेंगे।
जब मैं किसी ऐसे व्यक्ति को देखता हूँ, तो हम उन्हें गतिविधि के एक ऐसे स्तर पर रखना चाहते हैं जहाँ कुछ महीनों के बाद आप शांति से बैठ सकेंगे। अधिकांश लोग शांति से नहीं बैठ सकते जब तक कि उन्होंने पर्याप्त ऊर्जा खर्च नहीं की हो। गतिविधि के लिए प्रारब्ध में आवंटित ऊर्जा को जलाना आवश्यक है। यदि आप अपनी ऊर्जा के भंडार से लेकर अभी बड़े भार जला देते हैं, तो बाद में जैसे-जैसे वे समाप्त होते जाएंगे, यह बहुत हल्का महसूस होगा।
जरूरी नहीं कि आपको अपने कर्म को जलाना ही पड़े। जीवन प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से केवल जीने के माध्यम से इसे क्षय कर देती है। आपको केवल यह सीखना है कि नए भार कैसे नहीं उठाने हैं। यदि आप सबसे भारी बंडल उठाते हैं और वह भोजन का बंडल है, तो यह चला जाएगा। रास्ते में कचरा उठाने की आदत मत डालिए, बस मौजूदा भार को जला दीजिए। कर्म जलाना कोई बड़ी समस्या नहीं है। आपको नया कर्म न उठाने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत हो सकती है।
योग के बुनियादी पहलू, यम (योग के आठ अंगों में से पहला, जो यह बताता है कि क्या ‘नहीं करना’ है) और नियम (योग के आठ अंगों में से दूसरा जो यह बताता है ‘क्या करना’ है) इसका ध्यान रख रहे हैं। यदि आप यम और नियम का पालन करते हैं, तो आप कोई नया कर्म नहीं उठाएंगे। यम और नियम, क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसकी एक सरल प्रणाली है। पुराना कर्म समस्या नहीं है - यह जल जाएगा, या हम इसे एक ठोकर से खत्म कर सकते हैं। समस्या यह है कि आप नई चीजें उठाते रहते हैं। यदि आप दो सप्ताह तक कोई नया कचरा नहीं उठाते, तो आप बहुत सहज, हल्के और स्वतंत्र महसूस करेंगे।
यह छुट्टी पर होने जैसा है। छुट्टी का मतलब है कि आप इस बात से परेशान नहीं हैं कि कोई और क्या कर रहा है। आप बस पढ़ते हैं, तैरते हैं, घूमते-फिरते हैं और दूसरी चीजें करते हैं। आप शानदार महसूस करते हैं, केवल इसलिए कि आप दूर हैं, कोई बकवास नहीं उठा रहे हैं।
मैं कहता रहा हूँ कि यदि आप इनर इंजीनियरिंग करते हैं तो आपका पूरा जीवन एक छुट्टी जैसा हो जाता है। जब आपका पूरा जीवन एक छुट्टी होता है तो आप कुछ भी इकट्ठा नहीं कर रहे होते। छुट्टी के दौरान ‘इससे मुझे क्या मिलेगा’ आपके मन में नहीं होता। यदि आप अपने मन से ‘इससे मुझे क्या मिलेगा’ की गणना हटा दें, तो आपकी 90 प्रतिशत मानसिक गतिविधि और कार्मिक यातना गायब हो जाएगी। बाकी साधना के जरिए संभालना बहुत आसान है।
लगातार नया कबाड़ उठाते हुए साधना करना ट्रेडमिल पर दौड़ने जैसा है। आपको अच्छा व्यायाम तो मिलेगा लेकिन आप कहीं नहीं पहुँचेंगे। ट्रेडमिल एक वाहन नहीं है, यह केवल आपको कसरत करवाता है लेकिन आपको कहीं ले नहीं जाएगा। कई लोग इस तरह का योग कर रहे हैं - वे केवल व्यायाम कर रहे हैं, लेकिन वे कहीं नहीं जा रहे हैं। यदि आप अपनी रस्सियाँ नहीं खोलते, तो आप कहीं नहीं जाएंगे।
आपका कर्म आप पर केवल इसलिए इतना अधिकार रखता है क्योंकि आप लगातार इसमें निवेश कर रहे हैं। यदि आप इसमें और निवेश नहीं करते, तो यह बस उतना ही है। स्मृति उपयोगी होती है यदि आप इसे दूर रखें और केवल तब उपयोग करें जब आपको जरूरत हो। लेकिन यदि आप इसमें उलझ जाते हैं, तो यह आपको यातना देगी।
जरूरी नहीं कि कर्म एक बुरी चीज हो। इसे थोड़ा अपने साथ यात्रा करने दें। महत्वपूर्ण बात यह है कि नया कर्म न उठाएं। मौजूदा कर्म वैसे भी जीवन की प्रक्रिया में जल जाएगा।