क्या अपनी पहचानों में फंसे बिना पूरी तरह से जीना संभव है? अपने जीवन की व्यवस्था को लेकर जो हमारी बुनियादी समझ है, सद्गुरु उसको चुनौती दे रहे हैं। वे बताते हैं कि बहुत अधिक पहचान – यहाँ तक कि हमारे नजदीकी संबंधों में भी - कैसे दुःख का कारण बन सकती है, और सुझाव देते हैं कि इसके बजाय हमें सचेतन तौर पर उस मौलिक बुद्धिमत्ता के साथ तालमेल में रहना चाहिए, जो समस्त सृष्टि के पीछे कार्य कर रही है।
प्रश्न: सद्गुरु, आपने हमें अपनी पहचानों को छोड़ देने या उनसे छुटकारा पाने के लिए कहा। क्या इसका मतलब है कि हम सभी को ब्रह्मचारी बन जाना चाहिए? कोई शादीशुदा होकर अपने जीवनसाथी के साथ पहचान न रखे, यह कैसे संभव है? गृहस्थों के लिए इस स्थिति को प्राप्त करने का क्या तरीका है?
सद्गुरु: क्या आप अपनी शादी से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ रहे हैं और चाहते हैं कि मैं आपकी मदद करूं? फिर मैं इस सवाल का जवाब देने से इन्कार करता हूँ।
जब आप किसी चीज या व्यक्ति के साथ अत्यधिक पहचान रखते हैं, तो आप किसी के साथ समझदारी से कैसे रह सकते हैं? यही कारण है कि अधिकांश शानदार रिश्ते कुछ समय बाद नरक में बदल जाते हैं। आप इतनी बुरी तरह से पहचान रखते हैं कि आप भूल जाते हैं कि आप एक साथ क्यों आए थे। उस रिश्ते की पहचान रिश्ते के उद्देश्य से बड़ी हो गई है।
बिना पहचान के यहाँ रहने का मतलब यह नहीं है कि आपको कोई टाइटल दिया जाना चाहिए। अगर आप ब्रह्मचारी को एक टाइटल के रूप में देखते हैं, तो वह भी एक बहुत बुरी पहचान है। केवल दूसरों को कहना चाहिए कि आप एक ब्रह्मचारी हैं - आपको बस होना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का अर्थ है कि आप दिव्यता के मार्ग पर हैं। इसका मतलब है कि आपका अपना कोई एजेंडा नहीं है। आप सृष्टिकर्ता की योजना के अनुसार चलना चाहते हैं। एक ब्रह्मचारी ने यह महसूस कर लिया है कि उनकी अपनी योजनाएं उन्हें कहीं नहीं ले जाती हैं, बस चक्कर लगवाती रहती हैं। वे सोचते हैं, ‘अगर सृष्टिकर्ता यह सब बना सकता है, तो अगर मैं उसकी योजना के अनुसार चलूं, तो निश्चित रूप से वह मुझे कहीं और पहुंचा देगा।’ एक ब्रह्मचारी उस विश्वास में जीता है।
आपने अपने जीवन में चाहे जो भी व्यवस्थाएं की हों, स्रष्टा की योजना पर भरोसा करना जीने का सबसे अच्छा तरीका है। क्योंकि आपकी अपनी बुद्धिमत्ता आपके जीवन के आयाम में बदलाव लाने के लिए काफी नहीं है। आपकी बुद्धिमत्ता इस आयाम में जीवित रहने और किसी और से थोड़ा बेहतर करने के लिए पर्याप्त हो सकती है। शायद आपके पास थोड़ा अधिक पैसा, धन, या कुछ और हो, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है।
चूंकि आपकी बुद्धिमत्ता इस आयाम की है, तो यह इसे भेदने और पार करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस आयाम को पार करने के लिए आपको उस बुद्धिमत्ता के साथ जाना होगा जो सभी आयामों का आधार है और जो नहीं भी है। अगर आप खुद को उसके हाथों में सौंप देते हैं, तो आप प्रवाहित होंगे। यह बुद्धिमत्ता हर जगह है - बाहर और अंदर, यह एक समान है।
यहाँ तक कि इस आयाम में भी आप अपनी किडनी की गतिविधि का संचालन नहीं कर सकते, यह इस दिमाग के लिए बहुत जटिल है। जब किसी ने यह महसूस किया कि उनके लिए चक्कर लगाते रहने, अपने वही काम बार-बार करते रहने का कोई मतलब नहीं है, तो वे ब्रह्मचारी बन गए। क्योंकि उन्होंने महसूस कर लिया कि यह उतना सरल नहीं है जितना दिखता है, अब वे उसी तरह बनने का प्रयास कर रहे हैं।
कुछ लोग किसी पुरुष या महिला से विवाह किए हुए हैं। कुछ लोगों ने अपनी संपत्ति, कारों या घरों से विवाह कर लिया है। अलग-अलग लोग अलग-अलग चीजों से विवाहित हैं। ब्रह्मचारी धीरे-धीरे योग केंद्र से विवाहित हो सकते हैं। भौतिक स्तर पर हर कोई कुछ व्यवस्थाएं करता है। ब्रह्मचारियों ने भी यहाँ एक व्यवस्था की है। यह एक सरल, कम जटिल व्यवस्था है, लेकिन वे बिना किसी व्यवस्था के नहीं हैं।
कुछ लोग किसी पुरुष या महिला से विवाह किए हुए हैं। कुछ लोगों ने अपनी संपत्ति, कारों या घरों से विवाह कर लिया है। अलग-अलग लोग अलग-अलग चीजों से विवाहित हैं। ब्रह्मचारी धीरे-धीरे योग केंद्र से विवाहित हो सकते हैं। भौतिक स्तर पर हर कोई कुछ व्यवस्थाएं करता है। ब्रह्मचारियों ने भी यहाँ एक व्यवस्था की है। यह एक सरल, कम जटिल व्यवस्था है, लेकिन वे बिना किसी व्यवस्था के नहीं हैं।
याद रखें कि सभी व्यवस्थाएं आपके जीवन को ऊंचा उठाने की आशा और इरादे से की जाती हैं, न कि इसे उलझाने के लिए। और यह न सोचें कि अगर आप विवाहित हैं, तो आपको पहचान रखनी ही चाहिए। सिर्फ़ पहचान की वजह से यह सुंदर नहीं है। केवल पहचान के कारण ही यह बदसूरत हो जाएगा। क्या यह तब बेहतर काम करेगा, जब आप सचेतन होकर देखें कि यह बस एक व्यवस्था है जो हमने अपने जीवन को ऊंचा उठाने और सुंदर बनाने के लिए की है? या यह तब बेहतर काम करेगा जब आप भयानक रूप से पहचान रखें? केवल तभी यह बेहतर काम करेगा जब आप सचेतन होंगे।