योग और विवेक

5 सूत्र: बाधाओं को पार कर योगाभ्यास में नियमित रहने के लिए

क्या आप हठ योग अभ्यास करने के लिए ज़रूरी प्रेरणा ढूँढ रहे हैं? अगर आप अपने पैटर्न से बाहर आने में मदद चाहते हैं, तो सद्‌गुरु से जानते हैं कि कैसे अपनी लीक से हटने के लिए ज़रूरी प्रेरणा हासिल कर आप अपने अभ्यास में आगे बढ़ सकते हैं।

प्रश्नकर्ता: नमस्कारम सद्‌गुरु! सालों से मैं हर दिन हठ योग अभ्यास कर रहा हूँ। लेकिन कुछ समय से ऐसा लग रहा है कि मैं अपनी लगन और रुचि खो रहा हूँ। मैं ख़ुद को पहले से कमज़ोर, कम प्रेरित, और असुरक्षित महसूस कर रहा हूँ। मुझे क्या करना चाहिए?

इलाक़े की समझ

सद्‌गुरु: हम सब में कुछ निश्चित पैटर्न हैं, कोई भी इनसे अछूता नहीं है। हठ योग के एक पहलू में हठी होना भी शामिल है। आपको हठी होना पड़ेगा, क्योंकि हमारे अंदर के कार्मिक चिह्न हमें एक लीक पर चलने के लिए मजबूर करते हैं। यह बरसात के मौसम में मिट्टी के रास्तों पर गाड़ी चलाने जैसा है जब वो कीचड़ से भरे होते हैं। 

चाहे आप कहीं भी जाना चाहते हों, जब आप कीचड़ से भरी लीक पर चलते हैं तो आप बाहर निकलने की कितनी भी कोशिश कर लें, आप बाहर नहीं निकल पाते हैं। लीक की ताकत यही है कि वो आपको एक तय दिशा में ही ले जाती है। 

हर किसी के पास अपनी चीज़ें हैं। सवाल यह है कि आपमें इससे बाहर निकलने का हठ है? अगर आप उड़ सकते हैं तो आप इससे बाहर निकल आएंगे। लेकिन अगर आप उड़ने वाले नहीं हैं, तो फिर आपको हठी होना पड़ेगा। जब मैं कहता हूँ ‘उड़ने वाले,’ तो मेरा मतलब है कुछ ऐसे लोग हैं जिनका कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद कर बैठना ही काफी है – मुझे इसकी चिंता नहीं कि वो हर सुबह हठ योग कर रहे हैं या नहीं। 

तो उड़ने वाले लोगों को उनकी लीक के बारे में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन चलने वाले लोगों को सड़क की हालत और वो सभी बाधाएं जो उनके सामने आ सकती हैं उनकी चिंता करने की ज़रूरत है। हाँ, उड़ने वाले लोगों को मौसम की थोड़ी चिंता होनी चाहिए। लेकिन चलने वाले लोगों को हर कंकड़, हर पत्थर, हर कांटे, हर फिसलन वाली जगह, और हर दलदल जहाँ वो कदम रखते हैं उसकी चिंता करनी पड़ेगी। 

ये पैटर्न यह तय करेंगे कि वो कहाँ पहुँचते हैं। खास तौर पर जब वो ख़राब इलाक़े में पहुँचते हैं - भौतिक परिस्थितियों, मानसिक परिस्थितियों, या भावनात्मक पैटर्न के मामले में - जब वे ऐसे बाध्यकारी इलाक़े में पहुँचते हैं जहाँ परिस्थितियाँ तय करने लगें कि उन्हें कैसे होना चाहिए, ऐसे में उनको हठ दिखाना होगा -  ‘तुम्हे जो करना है करो। मैं तो योग करूँगा।’

उन ‘भूतों' को पहचानना जो आपको रोकते हैं

यह कुछ ऐसा है मानो आप कर्मों के वश में हैं। यह आपको भीतर से वश में करता है और आपसे वो चीज़ें करवाता है जो आप नहीं करना चाहते, या वो चीज़ें नहीं करने देता जो आप करना चाहते हैं। एक तरह से आप किसी के वश में हैं - किसी बाहरी भूत के वश में नहीं - आपके खुद के कर्मों ने आपको वश में कर रखा है। भूतकाल वर्तमान को वश में कर रहा है और भविष्य की संभावनाओं को नष्ट कर रहा है। 

भूत वो जीवन है जो बीत गया है। इसलिए एक तरीके से आपके कर्म भूत की तरह हैं क्योंकि यह वो जीवन है जो बीत गया है और आपके वर्तमान को जकड़ रहा है, आपको वो नहीं करने दे रहा जो आप करना चाहते हैं। ख़ास तौर पर जब ऐसी चीज़ें होती हैं, तो आपको हठी होना पड़ेगा – ‘तुम करो जो तुम्हें करना करना है, मैं बस यही करूँगा।’ अगर आपमें ये हठ नहीं है तो आप बह जाएंगे। 

यह आपको केवल उदासीन ही नहीं करेगा, बल्कि धीरे-धीरे यह आपको जीवनरहित कर देगा। शुरुआत में आप उदासीनता महसूस करेंगे, आप जो कुछ भी करना चाहेंगे उसमें ध्यान और प्रतिबद्धता की कमी महसूस करेंगे। समय के साथ, यह आपको हताश कर देगा और आपको जीवनरहित बना देगा। यही वजह है कि अध्यात्म के रास्ते पर चलने वालों के लिए हमेशा संघ बनाया गया।

अपने संघ को ढूंढना

संघ का अर्थ कुछ और लोगों के साथ मिलकर एक मददगार वातावरण में रहना है, जो एक ही यात्रा पर हैं, जिनके अपने संघर्ष और परेशानियां हैं। यह जगह एक दूसरे की परेशनियाँ साझा करने और एक दूसरे के लिए रोने के लिए नहीं है, आप बस यह समझ जाते हैं कि हर किसी की अपनी परेशानियाँ हैं। कुछ लोग अपनी परेशानियों को चेहरे पर मुस्कान के साथ ढोते हैं, और कुछ लोग अपनी परेशानियों को इस तरह लेकर चल रहे हैं कि हर कोई उन्हें देख सके। यह विकल्प आपके पास है, चुनाव आपका है।  

आपका अपना भूत आपको चाहे जिस तरीके से पकड़े, यह आपसे वो चीज़ें करवा रहा है जो आप नहीं करना चाहते और आपको वो चीज़ें करने से रोक रहा है जो आप वास्तव में करना चाहते हैं। ऐसे में आपको चाहिए हठ और थोड़ा संघ। आपको लोगों को भौतिक रूप में बुलाने की ज़रूरत नहीं है, तकनीक ने संघ को ऑनलाइन भी संभव कर दिया है। हर महीने हम सत-संघ करते हैं।

सही संगति का चुनाव

आपको कोई तरीक़ा ढूंढना होगा जिससे आप उन लोगों के संपर्क में रह सकें जो आपको सहयोग दें। वे लोग जो एक जैसे रास्ते पर हैं आपको प्रतिबद्ध रहने में मदद करेंगे। अगर आप गलत लोगों से मिलते हैं, तो वो कहेंगे, ‘क्या! आप सुबह 4:00 या 5:00 बजे उठते हैं?’ आपको उन लोगों से मिलने की ज़रूरत है जो कहें, ‘क्या! आप 5:00 बजे उठ रहे हैं? मैं तो 3:45 पर उठता हूँ।’ आपको उन लोगों से मिलना चाहिए जो आपसे ज़्यादा प्रतिबद्ध और मज़बूत इरादे वाले हैं। 

लगातार उन लोगों से मिलना सौभाग्य है जो आपसे बेहतर हैं। समाज में बहुत से लोग उससे मिलना चाहते हैं जो उनसे कमतर हैं क्योंकि वो किसी से बेहतर होकर ज़्यादा अच्छा महसूस करते हैं। आपको हमेशा उन लोगों से मिलने की इच्छा करनी चाहिए जिनके सामने आप खुद को तुच्छ महसूस करते हैं। यह अच्छा इसलिए है क्योंकि अगर आप तुच्छ महसूस करते हैं तो आप दुनिया में कई चीज़ों से बहुत आगे होंगे। ख़ुद से बेहतर लोगों से मिलने से आपकी आगे बढ़ने की चाहत बढ़ती है, आपका आदर्श बेहतर होता है। 

योग के साथ लचीलापन लाना

आपको यह करने की ज़रूरत है, और सबसे ज़रूरी है -हठ योग का अभ्यास करें। हठ योग नर्क में जाने के लिए ख़ुद को उसके अनुकूल बनाने जैसा है। लेकिन आप योगियों को नर्क में नहीं भेज सकते, क्योंकि हर दिन योग करने के बाद आप उन्हें नर्क में भी भेजेंगे तो वो उसे स्वर्ग समझ लेंगे।