जीवन के प्रश्न

मेहनत से नहीं, ख़ुशी से काम कीजिए - व्यस्तता को सफल कार्य में बदलिए

इस प्रेरक लेख में सद्‌गुरु संतुष्ट जीवन की कुंजी दे रहे हैं। ख़ुशी और उमंग से भरकर जीने और काम करने की कला को जानिए। अगर कभी आपको लगता है कि आप जो कर रहे हैं उसे पूरी पहचान नहीं मिल पा रही और आप इससे परेशान हैं तो इस आलेख में जानिए कि ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से कैसे निपटें। पेश है एक रूपांतरित कर देने वाला लेख जो सफलता का अर्थ समझाता है।

सहज और तृप्त जीवन कैसे जिएं

प्रश्नकर्ता: आजकल अधिकांश लोग हमेशा काम में व्यस्त रहते हैं। आप हमें क्या सुझाव देना चाहेंगे जिससे कि हम समय का बेहतर प्रबंधन कर अपने जीवन को और सार्थक तरीक़े से जी सकें।

सद्‌गुरु: दुनिया के हर तबके के लोगों से मिलकर जो मैंने देखा है उससे मुझे यह लगा कि अधिकांश लोग व्यस्त नहीं बल्कि बेचैन रहते हैं।  ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके अपने विचार और भावनाएं ही समस्या हैं जो उनका अधिकांश समय ले लेती हैं। यहाँ तक कि जब वे अपने काम कर रहे होते हैं तब भी उनके अंदर काफ़ी संघर्ष चल रहा होता है। अगर आप खेल-कूद या किसी तरह के रचनात्मक कार्य करते हैं तो आपको पता होगा कि आपके भीतर का एक छोटा सा संघर्ष भी आपकी बॉल को या आपकी राग को या आपकी कलाकृति को एक अलग ही दिशा में ले जा सकता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो जो कुछ भी आसानी से किया जा सकता है उसे बहुत कठिनाई से किया जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि इंसान को एक दिमाग़ दिया गया है जो अपने आप में एक अद्भुत कंप्यूटर है, लेकिन वो इसे इसका यूजर-मैन्युअल पढ़े बिना ही चलाने की कोशिश कर रहा है। यही वजह है कि लोग जीवन भर अपनी ही भावनाओं और विचारों के साथ संघर्ष करते रहते हैं। अगर वे अपने जीवन में पहले ही इन पहलुओं को सुलझा लें तो मुझे यकीन है कि वे कम काम करके अधिक सफलता हासिल कर सकते हैं।  

मेरी कोशिश यही है कि जीवन को सहजता से जीने की संभावना को लोगों तक पहुँचा सकूँ। आम तौर पर लोगों को कठिन परिश्रम करना सिखाया जाता है, ख़ुशी से काम करना नहीं सिखाया जाता। उन्हें किसी ने नहीं बताया कि उनका काम उनके प्रेम या आनंद की अभिव्यक्ति होनी चाहिए। अगर आप कठिन परिश्रम करेंगे तो जीवन बहुत ही थकाऊ और रूखा हो जाता है। कोई भी काम सिर्फ़ इसलिए कठिन होता है क्योंकि आप नहीं जानते कि उसे कैसे करना है। अगर आप जानते कि इसे कैसे करना है तो आप इसे सहजता से करते।

मेरी कोशिश यही है कि जीवन को सहजता से जीने की संभावना को लोगों तक पहुँचा सकूँ।

अगर आप किसी कार्य को बिना सीखे करने की कोशिश करेंगे, बोध में पर्याप्त समय लगाए बिना केवल अभिव्यक्ति पर ही ध्यान देंगे, तो जीवन एक संघर्ष बन जाएगा। लोगों को ये विश्वास होता है कि वे बहुत काम कर रहे हैं लेकिन हक़ीक़त में उनमें से अधिकांश केवल खाते हैं, सोते हैं, संतान पैदा करते हैं और एक दिन मर जाते हैं। और इन्हीं कामों को लेकर वे इतना झमेला कर रहे हैं।

हर जीव - एक केंचुआ हो एक कीड़ा या कोई भी दूसरा जीव - सभी ख़ुद अपना जीवनयापन करते हैं। वे खाते हैं, सोते हैं, बच्चे पैदा करते हैं और मर जाते हैं। वे इंसान के दिमाग का दस-लाखवां हिस्सा लेकर भी ये सब भलीभांति कर लेते हैं। लेकिन इंसान इतने बड़े दिमाग को लेकर भी संघर्ष कर रहा है – उस काम को लेकर नहीं जिसे वह कर रहा है, बल्कि अपनी बुद्धि को लेकर। जीवन की सबसे बड़ी देन, जो कि उसकी बुद्धि है, उसके लिए एक मुसीबत बन गई है, क्योंकि वह नहीं जानता कि इसका इस्तेमाल कैसे करना है। उसकी बुद्धि लगातार उसी के ख़िलाफ़ काम कर रही है। 

लोग इसे तनाव, टेंशन, दुख, चिंता या पागलपन कह सकते हैं, लेकिन दरअसल उनकी अपनी ही बुद्धि उनके ख़िलाफ़ काम कर रही है। मेरे काम का यही फोकस है - ये निश्चित करना कि लोगों का तन और मन दोनों उनके लिए काम करे। अगर ऐसा होता है तो आनंदपूर्ण, सफल और उत्तम जीवन एक स्वाभाविक परिणाम होगा।

अगर मेरी कोशिशों को उचित पहचान ना मिले तो?

प्रश्नकर्ता: अगर किसी को लगता है कि उसकी कोशिशों को पहचान नहीं मिल रही तो वह ख़ुद को बेहतर बनाने और लोगों की सोच की परवाह किए बिना आगे बढ़ने के लिए ख़ुद को कैसे प्रोत्साहित करे? आप ऐसे लोगों को क्या सुझाव देंगे जिन्हें लगता है कि उनके प्रयासों को उचित पहचान नहीं मिल रही है?

सद्‌गुरु: ‘मैं परवाह नहीं करता’ - ये रवैया काम नहीं करने वाला। हाँ, कई लोगों को लग सकता है कि उनकी कोशिशों से मनचाहा परिणाम नहीं मिल रहा है। हो सकता है कि आपके आकलन में आपने बहुत अच्छा किया हो लेकिन इसे दुनिया को भी तो मानना पड़ेगा। आपके काम की क़ीमत दूसरों को भी समझ आनी चाहिए, केवल तभी उसे सही पहचान मिलेगी। अगर आपको लगता है कि आप जो कर रहे हैं, वह वाक़ई मूल्यवान है, तो लोगों की स्वीकृति की चिंता मत कीजिए।  

सिर्फ़ इसलिए कि आप जो कर रहे हैं वो महान कार्य है, वे कुछ नहीं समझेंगे, लेकिन अगर वह उनके लिए उपयोगी है तो वे ज़रूर कहेंगे, ‘अरे वाह! यह तो अद्भुत है!’ इसलिए ‘मैं परवाह नहीं करता’ - ये रवैया काम नहीं करता। लोग आपको पहचान देते हैं या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका कार्य उनके लिए कितना उपयोगी है। यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के कार्य कर रहे हैं।

लोग मेरे गुणों की वजह से मुझे नहीं पहचानते, वे अपने लिए मेरी उपयोगिता को पहचानते हैं।

आज मैं कहीं भी जाता हूँ, लोग कहते हैं, ‘अरे! ये तो योगी हैं! एक रहस्यदर्शी हैं!’ लेकिन उन्हें पता नहीं कि एक योगी या एक रहस्यदर्शी कौन होता है। मैं ये सारी बातें तो कई दशकों से कहता आ रहा हूँ, लेकिन तब किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। आज दुनिया में चारों तरफ लोग तालियाँ बजा रहे हैं। ये पहचान मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती।

अगर किसी दिन सब लोग योगी होने का सही अर्थ समझ जाएँ और एक योगी बनने के लिए प्रेरित हों तब ये अद्भुत होगा। निश्चित ही कुछ लोग हैं जो योगी बनने के लिए प्रेरित हुए। लेकिन मेरे करीबी लोग भी, बेशक उसमें मेरा परिवार भी शामिल है, वे मेरे योगी होने को इतना महत्व नहीं देते अगर मैं बस किसी पेड़ के नीचे बैठा रहता और दुनिया मुझे नहीं पहचानती।

अगर आपका काम आपके आनंद की अभिव्यक्ति है तो इससे क्या फर्क पड़ता है कि आपको पहचान मिलती है या नहीं।

आज दुनिया भर में पहचान मिलने की वजह से सब कहते हैं, ‘वे एक महान योगी हैं’ बिना ये जाने कि एक योगी होता क्या है। बस बात सिर्फ इतनी है कि कई लोग मेरे कार्य के लाभ को समझते हैं। लोग मेरे गुणों की वजह से मुझे नहीं पहचानते, वे अपने लिए मेरी उपयोगिता को पहचानते हैं। कुछ मुट्ठी भर लोग हैं जो मुझे मेरे गुणों की वजह से समझते हैं। बाकी लोग ये सब समझ नहीं पाएंगे और ये ठीक भी है। 

अगर आपका कार्य आपके आनंद की अभिव्यक्ति है तो इससे क्या फर्क पड़ता है कि आपको पहचान मिलती है या नहीं। आपको अपनी ख़ुशी व्यक्त करने का अवसर मिल रहा है। आप अपने जीवन को गौर से देखिए - वो क्षण कैसे होते हैं जब आप ख़ुशी की खोज में होते हैं और फिर देखिए कि वो क्षण कैसे होते हैं, जब आप अपनी ख़ुशी ज़ाहिर कर रहे होते हैं। आप देखेंगे कि आपके जीवन के सबसे अच्छे पल वही हैं जब आप अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हैं। जब आपका काम आपके आनंद की अभिव्यक्ति होगी तब वो क्षण आपके जीवन के सबसे अच्छे क्षण बन जाते हैं।