सद्‌गुरुक्या जागरूकता कोई ऐसी चीज़ है जिसका अभ्यास किया जा सकता है? कैसे बन सकते हैं अधिक जागरूक? सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि आध्यात्मिक अर्थ में जागरूक होने का मतलब है आप जीवन के हर आयाम के प्रति जागरूक हो जाएं।


 

खुद के प्रति पूरे जागरूक

प्रश्न : सद्‌गुरु, खुद को जागरूक बनाने के लिए मैं क्या करूं?

सद्‌गुरु : यह जानने से पहले कि जागरूक कैसे बनें, आइए यह जानें कि जागरुकता आखिर है क्या? दरअसल जागरुकता कई स्तरों पर हो सकती है। इस सिलसिले में यह समझना जरूरी है कि आपका किसी चीज के लिए जागरूक होने का मतलब है आपके लिए उस चीज का वजूद होना। अभी आप यहां बैठे हैं और आपके पीछे एक बहुत बड़ा डायनासोर खड़ा है, लेकिन आपको इसकी बिलकुल खबर नहीं है। तो क्या आपके लिए इसका वजूद है? नहीं, तो फिर आपके ठीक पीछे खड़े इस डरावने जानवर से आपको कोई फर्क नहीं पड़ता। जब आपको इसकी खबर ही नहीं है, तो आपके लिए इसका कोई अस्तित्व नहीं है।

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जिंदगी का हर लमहा तेज विस्फोट वाला और बाहर ठीक तरह से काबू। जब ऐसा हो जाएगा तब आप अपने शरीर, अपने मन, अपनी भावनाएं यानी हर चीज का उसकी अधिकतम सीमा तक इस्तेमाल कर पाएंगे।
आपको जिसकी खबर है आपकी नजर में बस उसी का अस्तित्व है और आप सिर्फ उसी के प्रति जागरुक हैं। अभी, फिलहाल आप अपनी जिंदगी के एक छोटे-से हिस्से को ले कर ही जागरूक हैं। आध्यात्मिकता के सारे पहलुओं का मतलब यही है कि आप खुद के प्रति पूरी तरह जागरूक हो जाएं, अपने पूरे वजूद को जान लें। इस दुनिया से जाने से पहले आप अपनी जिंदगी को पूरा जान लें, जिंदगी के हर पहलू को महसूस कर लें। जिंदगी को पूरी तरह जीना ही तो आध्यात्मिकता है। आप जिंदगी के तमाम पहलुओं को उसकी गहराई में जान लें, अपनी जिंदगी के सिर्फ एक छोटे-से हिस्से को जान कर दुनिया से न चले जाएं। आप जिंदगी को पूरी तरह से जानना चाहते हैं न?

जीवन का वोल्टेज बढ़ाना होगा

तो जब आप सब कुछ जानना चाहते हैं तो सवाल है कि जानें कैसे? एक मिसाल से समझते हैं- मान लेते हैं कि यहां बस एक ही लाइट जल रही है और हमने लाइट की वोल्टेज कम कर दी। यह बस थोड़ी-सी रोशनी दे रही है और हम मुश्किल से थोड़ा- बहुत ही देख पा रहे हैं। अगर आप वोल्टेज बढ़ा दें तो आपको अचानक ज्यादा दिखने लगेगा, क्योंकि रोशनी फैल चुकी होगी। जागरूक होना ठीक वैसा ही है। फिलहाल आपकी ऊर्जा, आपका शरीर, आपके जज्बात, आपका मन, सारे-के-सारे एक सीमित वोल्टेज में काम कर रहे हैं। आप वोल्टेज बढ़ा दीजिए तो अचानक आप ऐसी बहुत-सी चीजें देखने लग जाएंगे जो अब तक आपकी अनुभूति के दायरे में थीं ही नहीं।

 मुझे देखिए, मैं अपने भीतर नशे में पूरा धुत हूं।  शराब से नहीं, मैंने उसको आज तक नहीं छुआ। मैं अपने ही नशे में धुत हूं। तो क्या मैं किसी भी हालात को झेलने के काबिल नहीं हूं?  

बिलकुल आसान लफ्जों में, थोड़ी सी तकनीकी जबान का सहारा ले कर कहें तो एक तरह से आपको अपनी वोल्टेज बढ़ाने की जरूरत है। आप अपने उत्साह के सहारे भी अपनी वोल्टेज आसानी से बढ़ा सकते हैं, लेकिन इससे आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पायेंगे। आपकी वोल्टेज को एक खास तरीके से बढ़ाने की कुछ और तकनीकें हैं, जो आपको हरदम जागरूक रखेंगी।

मुझे देखिए, मैं अपने भीतर नशे में पूरा धुत हूं।  शराब से नहीं, मैंने उसको आज तक नहीं छुआ। मैं अपने ही नशे में धुत हूं। तो क्या मैं किसी भी हालात को झेलने के काबिल नहीं हूं? हूं, बिल्कुल हूं। मतलब यह कि मैं हरदम एक स्तर पर पूरा धुत हूं और एक दूसरे स्तर पर पूरा समझदार। मैं चाहूं तो किसी भी पल एक से दूसरे स्तर पर जा सकता हूं। अगर आपके भीतर ऊर्जा लबालब हो और बाहर आपका खुद पर काबू हो – तभी आप जिंदगी को पूरा महसूस कर सकते हैं। अभी आप अपनी जिंदगी पर काबू करने की कोशिश कर रहे हैं और इस चक्कर में आप जिंदगी की बुनियादी गतिविधियों पर ही लगाम कसने लगे हैं, जिसका नतीजा यह है कि आपकी जिंदगी बस एक बूंद में सिमट कर रह गयी है।

भीतर जबरदस्त विस्फोट और बाहर पूरा काबू

होना यूं चाहिए कि आपके भीतर जिंदगी एक बहुत बड़े विस्फोट की तरह फूटे और बाहर इस पर आपका पूरा काबू हो। ऐसी हालत में पहुंचने पर शुरू-शुरू में आप देखेंगे कि कुछ वक्त तक बाहर भी विस्फोट-जैसा ही होता रहेगा, लेकिन थोड़े ही समय में इस पर आपका कुछ-कुछ काबू होने लगेगा। भीतर तेज विस्फोट, बाहर पूरा काबू।

अगर आप वोल्टेज बढ़ा दें तो आपको अचानक ज्यादा दिखने लगेगा, क्योंकि रोशनी फैल चुकी होगी। जागरूक होना ठीक वैसा ही है।
ऐसा ही होना चाहिए। जिंदगी का हर लमहा तेज विस्फोट वाला और बाहर ठीक तरह से काबू। जब ऐसा हो जाएगा तब आप अपने शरीर, अपने मन, अपने जज्बात यानी हर चीज का उसकी अधिकतम सीमा तक इस्तेमाल कर पाएंगे। आज आज तक आपने खुद को जिन चीजों के काबिल नहीं समझा था अचानक आप वो सब करने लग जाएंगे क्योंकि आपकी वोल्टेज पूरी तरह बढ़ी हुई है।