प्रश्न : सद्‌गुरु, पांच सप्ताह पहले मैंने अपनी पत्नी को खो दिया। वह बहुत अच्छी इंसान थी। उसके साथ ऐसा क्यों हुआ?

सद्‌गुरु : जब हम किसी प्रियजन को खोते हैं, चाहे उनकी बीमारी या मृत्यु हो जाए या वे छोड़ कर चले जाएं - चाहे हम किसी भी वजह से उन्हें खोएं, सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि हमारे जीवन में उनकी जो जगह थी, उसके कारण वे एक खालीपन छोड़ जाते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि जीवन की प्रकृति ही ऐसी है कि आपको और आपके प्रियजनों को कभी न कभी मृत्यु का शिकार होना ही है। बात बस यह है कि किसकी मृत्यु पहले होगी।

सुंदर चीज़ें... और जीवन की हकीकत

यह सुनने में कठोर लग सकता है, लेकिन मेरा मक़सद यह नहीं है। इन चीजों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। वरना हम खुद को सुंदर चीजों से बहलाते रहेंगे, जिनसे आज तो हमें तसल्ली मिल जाएगी, मगर कल हकीकत फिर से हमें तड़पाएगी। हम वही चीजें बार-बार करेंगे।

हमारे लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि हम और हमारे आस-पास के लोग यहां हमेशा के लिए नहीं रहने वाले। जब हम यहां होते हैं, तो हमें हर किसी से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। समस्या यही है कि अगर एक डॉक्टर आपसे कहता है कि आप कल मरने वाले हैं, तो हर कोई आकर आपसे अच्छी तरह पेश आता है। अगर आप कहते हैं, “पचास साल बाद मैं मरने वाला हूं”, तो ज्यादातर लोग परवाह नहीं करेंगे। लेकिन हम नहीं जानते कि हम पचास साल बाद मरेंगे या कल। आप जानते हैं कि आप भी मरेंगे और वे भी। बस आप यह नहीं जानते कि ऐसा कब होगा इसलिए क्या आपको उनके साथ सबसे अच्छा व्यवहार नहीं करना चाहिए?

मैं आपके साथ बहुत अच्छी तरह पेश आ रहा हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि आप मरने वाले हैं। कभी-कभी मैं जानता हूं कि आप कब मरेंगे, कई बार मैं नहीं जानता कि आप कब मरेंगे। मैं बस यह पक्का कर रहा हूं कि मैं आपके साथ अच्छा व्यवहार करूं क्योंकि आप एक मरने वाले इंसान हैं।

यह हर इंसान के लिए, हर जीवन के लिए सच है। कौन जानता है कि आपके घर के बाहर मौजूद पेड़ कब मरेगा या आप कब मरेंगे? आप नहीं जानते।

दुख के नहीं, खुशी के आंसू

इसलिए जब कोई ऐसा इंसान गुजर जाता है, जो हमें प्रिय होता है, तो पहली बात हमें यह समझनी चाहिए कि वे इसलिए हमें प्यारे होते हैं क्योंकि उन्होंने किसी न किसी रूप में, या शायद बहुत से रूपों में हमारे जीवन में कुछ जोड़ा होता है। अगर हमारे आस-पास के लोगों ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है, और हम उन्हें याद करते हैं, तो हमें उन्हें खुशी के साथ याद करना चाहिए। उनकी रवानगी को दुखद नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने हमारे जीवन को बेहतर बनाया, हमारे साथ अपनी मिठास बांटी, उसके लिए हमें उनकी कद्र करनी चाहिए। किसी न किसी रूप में कई बार उन्होंने आपको संपूर्ण महसूस कराया, उन्होंने आपके जीवन को पूर्ण किया। उनकी यादों को आपके लिए खुशी और प्रेम के आंसू लेकर आना चाहिए, पीड़ा के नहीं।

मगर मैं चाहता हूं कि आप उन्हें सभी अच्छी बातों के लिए याद करें। उनकी मृत्यु को लेकर खुद को परेशान न करें।

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वे आपके लिए अहमियत रखते थे क्योंकि किसी न किसी रूप में वे आपके लिए बहुत अच्छे थे। उनकी यादों को आपके अंदर उन बेहतर पहलुओं को वापस लाना चाहिए, न कि दुख और अवसाद को। खुद को दुख और अवसाद की ओर ले जाने का मतलब है कि आपने जीवन के सबसे मूलभूत पहलू को समझा नहीं है, जो नश्वरता(मृत्यु) है। कोई अच्छा हो या बुरा, सबको मरना है।

 इस बात का मतलब आपके नुकसान का मजाक उड़ाना नहीं है। मैं समझता हूं कि आपके मृत प्रियजन आपके लिए क्या मायने रखते थे। मगर मैं चाहता हूं कि आप उन्हें सभी अच्छी बातों के लिए याद करें। उनकी मृत्यु को लेकर खुद को परेशान न करें। अगर आप उनसे पहले मर जाते, तो आप उन्हें एक बुरी जगह छोड़ जाते, इसलिए कृपया एक इंसान के रूप में अपना आत्मविश्वास बटोरें।

आपके साथ जो भी अच्छी चीजें हुई हैं, उन्हें किसी न किसी रूप में अभिव्यक्त(प्रकट) होना चाहिए। अगर आपके मृत प्रियजन ने आपके लिए बहुत सी अच्छी चीजें कीं, तो कृपया वही चीजें आप उन लोगों के लिए कीजिए, जो अब भी आपके आस-पास हैं। जीवन ऐसे ही आगे बढ़ता है।

अपने मन में आपने एक संग्रह इकठ्ठा किया है

जब मैं ‘जीवन’ कहता हूं, तो मैं असली जीवन की बात कर रहा होता हूं, न कि आपके कामों के बारे में। आपको लगता है कि आपका परिवार, आपका काम, आपका कारोबार, आपकी धन-दौलत, और जो भी चीजें आपके पास हैं, वही जीवन है। मगर ये सभी जीवन के साजो-सामान हैं। आपने सोचा कि पैसा, दौलत, रिश्ते, बच्चे, ये सभी चीजें आपके जीवन को किसी रूप में समृद्ध करेंगी। आपने इतने साजो-सामान जुटा लिए और इनसे इतने अधिक जुड़ गए तथा अपनी पहचान जोड़ ली कि आप कभी इस जीवन का अनुभव नहीं कर पाए, जो आप खुद वास्तव में हैं।

अधिकांश लोगों को लगता है कि जीवन उन चीजों का एक कोलाज(संग्रह) है, जिन्हें उन्होंने इकट्ठा किया है। जब उस कोलाज(संग्रह) का एक टुकड़ा गिर जाता है, तो अचानक आपको लगता है मानो जीवन खत्म हो गया है, जो कि सच नहीं है। आपके जीवन में कुछ लोगों के आने से पहले भी आप जीवित थे, हंसते थे, खुश होते थे। आपने लोगों को अपने जीवन में यह सोच कर जोड़ा कि इससे आपका जीवन समृद्ध होगा या शायद कोई जरूरत पूरी करनी थी। वह सब ठीक है, मगर अब पहचान जोड़ लेने के कारण किसी खास इंसान के चले जाने पर आपको लगता है कि जीवन का एक टुकड़ा चला गया है।

जीवन से आँख मिलानी होगा

हकीकत यह है कि जीवन का जो अंश आप हैं, वह अब भी यहां है, साजो-सामान समय के साथ आपसे अलग होते रहते हैं। आपकी उम्र बढ़ने के साथ, आपके दादा की मृत्यु होगी, आपके पिता की मृत्यु होगी, कभी-कभी आपके जीवनसाथी की मृत्यु आपसे पहले होगी। कुछ लोग अपने बाल खो देते हैं। कुछ लोग अपना दिमाग खो देते हैं। यह कोई मजाक नहीं है। कुछ लोग अपने शरीर के अंग खो देंगे। कुछ लोग रिश्ते खो देंगे। कुछ लोग चीजें, सत्ता, पद या पैसा खो देंगे।

आपको किसी न किसी दिन परदा गिराना ही पड़ेगा। आप जितनी जल्दी अपना भ्रम दूर कर लें, उतना अच्छा है। आप सचेत हो सकते हैं या अवसाद में जा सकते हैं - यह चुनाव आपको करना है।

यह सब आपके जाने की तैयारी है। आपका बोझ थोड़ा-थोड़ा करके कम होता रहता है ताकि जब आप जाएं तो अधिक आसानी से चले जाएं। यह कोई दर्शन(फिलोसोफी) नहीं है, जीवन इसी तरह घटित होता है। आप जीवन से आंख नहीं मिलाते, इसलिए आप अपने मन में काल्पनिक छवियां बनाते रहते हैं। और आप इन मनोवैज्ञानिक चित्रों को हकीकत बनाना चाहते हैं। आप जो मनोवैज्ञानिक नाटक अपने मन में पैदा करते हैं, वह कभी हकीकत नहीं बन सकता। आपको किसी न किसी दिन परदा गिराना ही पड़ेगा। आप जितनी जल्दी अपना भ्रम दूर कर लें, उतना अच्छा है। आप सचेत हो सकते हैं या अवसाद में जा सकते हैं - यह चुनाव आपको करना है।

जब जीवन में मोह-भंग होता है

जब जीवन आपका मोह-भंग करता है, तो आप आत्मज्ञान पा सकते हैं या अवसाद में जा सकते हैं। जब सभी भ्रम दूर हो जाते हैं, तो इसे आत्मज्ञान कहते हैं। फिलहाल आप भ्रमों से चिपके हुए हैं, उन्हें अहमियत देते हैं और उनसे इतना जुड़ जाते हैं कि आप उन्हें बनाए रखने के लिए लड़ते हैं। यह माया है - यह इस तरह चलती रहती है मानो असली हो, और अचानक से गायब हो जाती है।

कुछ हद तक आप हमेशा से यह जानते थे। आप जैसे ही पैदा हुए, तब से आपकी घड़ी टिक-टिक कर रही है और एक दिन वह रुक जाएगी। हम उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं। हम उसे धीमा करने की कोशिश करते हैं। हम अपने पास बचे हुए समय का बेहतरीन इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं। हम उसे जितना संभव हो, गहन बनाने की कोशिश करते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जीवन आपको छुए। जीवन आपको गहराई से छुए, इसके लिए आपको वो दुनिया तोड़नी होगी, जो आपने अपने मन में बना रखी है।

अगर आप अपने छलावों को नहीं तोड़ेंगे, तो जीवन के सबसे गहन आयाम कभी आपको नहीं छू पाएंगे। सिर्फ नाटक चलता रहेगा। यह सिर्फ किसी की मृत्यु का प्रश्न नहीं है, यह जीवन के बारे में आपकी बुनियादी अज्ञानता की बात है। अब समय है कि आप सचेत हो जाएं। अगर आपके सभी भ्रम अभी टूट जाएं, अगर आप भ्रमों से पूरी तरह मुक्त हो जाएं, तो आप आत्मज्ञानी हो जाएंगे। मगर आप खुद को भ्रमों से मुक्त नहीं होने देते। एक भ्रम टूटता है, तो आप दूसरा बना लेते हैं।

माया एक दिन अचानक से टूट जाती है

एक बार नारद किसी गांव में गए और पहले घर के दरवाजे पर दस्तक दी। दरवाजा खुला और एक बहुत सुंदर युवती ने दरवाजा खोला। नारद ने उसकी ओर देखा तो उन्हें मानो बिजली का झटका लगा। वह पूरी तरह उस पर आसक्त हो गए। उन्होंने युवती के पिता से उसका हाथ मांगा। पिता तैयार हो गए। नारद ने युवती से विवाह कर लिया।

आपके मन में जो घटित हो रहा है, वह ऐसा ही है - यह जीवन से अधिक बड़ा हो गया है। मगर एक दिन रोशनी जरूर आएगी। वह आत्मज्ञान की रोशनी होगी या आपके चिता की - यह आपको चुनना है।

विवाह के बाद उन्हें अपने और अपनी पत्नी के लिए एक छोटा सा घर बनाया, और जमीन जोतना शुरू कर दिया। फिर जैसा कि होता है, बच्चे हुए - एक, दो, तीन, चार, पांच। बच्चे बड़े हुए, उनकी शादियां हुईं और उनके भी बच्चे हुए। प्यारे-प्यारे नाती-पोते इधर-उधर दौड़ते रहते थे। सब कुछ बहुत बढ़िया चल रहा था।

तभी, नदी ने अपनी धारा बदल ली और उसमें बाढ़ आ गई। बाढ़ में गांव बह गया। नारद अपनी पत्नी, बच्चों और छोटे-छोटे शिशुओं के साथ पेड़ पर चढ़कर बैठ गए। मगर बाढ़ का पानी बढ़ता रहा। प्यारे-प्यारे बच्चे पानी में बह गए। नारद फूट-फूट कर रोने लगे। फिर एक-एक करके उनके बच्चे, उनकी पत्नियां, सभी बह गए। वह अपनी प्रिय पत्नी को कसकर पकड़े रहे। मगर कुछ समय बाद, वह भी बह गई।

फिर उन्हें अपने जीवन की चिंता होने लगी। निराश होकर, हर किसी को खोने के बाद, वह ज़ोर से चिल्लाए “कृष्णा!”

कृष्ण बोले, “मेरा पानी का गिलास कहां है?”

फिर नारद उठ बैठे और बोले, “मगर मुझे क्या हुआ था?” कृष्ण ने कहा, “यही माया है।”

माया का मतलब है कि आप अपने मन में इतने सारे भ्रम बुन लेते हैं कि वे असली से भी अधिक वास्तविक लगने लगते हैं। जो आपके मन में, आपकी भावनाओं में घटित हो रहा है, वह वास्तविक से कहीं अधिक वास्तविक हो जाता है। यह सिनेमा थियेटर की तरह है - वो रोशनी और ध्वनि का दो आयामी नाटक होता है। मगर आप जिन लोगों के साथ पच्चीस सालों से रह रहे हैं, उनसे अधिक सिनेमा के सितारों से प्यार करने लगते हैं। आपने असली जीवन में इन सितारों को देखा तक नहीं है मगर वे जीवन से कहीं अधिक बड़े दिखते हैं।

आपके मन में जो घटित हो रहा है, वह ऐसा ही है - यह जीवन से अधिक बड़ा हो गया है। मगर एक दिन रोशनी जरूर आएगी। वह आत्मज्ञान की रोशनी होगी या आपके चिता की - यह आपको चुनना है।