20 कर्म कोट्स
कर्म कोट्स पढ़ें और सद्गुरु से कर्म बंधन और कर्मों से मुक्ति का तरीका जानें
ArticleAug 1, 2021
कर्म का मतलब ये है कि आप खुद ही अपने जीवन के निर्माता हैं।
अपने जीवन के हर पल में आप कुछ न कुछ काम करते हैं - शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या उर्जात्मक - और आपका हर काम एक खास याददाश्त बनाता है। यही कर्म है।
भक्ति कर्म का नाश करती है और आपको मुक्ति की तरफ ले जाती है।
कर्म का मतलब है - काम और याददश्त, दोनों! काम के बिना कोई याददाश्त नहीं है और यादों के बिना कोई काम नहीं है।
कर्म की पुरानी परतें तभी आपके साथ तब चिपक जाती हैं, जब आप कार्मिक गोंद की नयी, नयी परतें उसके साथ बढ़ाते रहते हैं।
कर्म आपके काम की वजह से नहीं पर उसके पीछे के, आपके इरादे की वजह से है। आपके जीवन की घटनायें नहीं, बल्कि उनके संदर्भ कर्म बनाते हैं।
कर्म अपना असर कुछ खास रुझानों के माध्यम से दिखाते हैं, पर, कुछ जागरूकता के साथ और ध्यान दे कर काम करने से, आप उन्हें एक अलग दिशा दे सकते हैं।
सभी तरह के कर्मों में, अपने फायदे या दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिये की गयी तांत्रिक क्रियायें, उन्हें करने वाले के लिये सबसे ज्यादा खराब परिणाम देती हैं।
कर्म उन पुराने रेकॉर्ड्स की तरह हैं जो बजते रहते हैं। योग का मतलब चीजों को दोहराना नहीं है बल्कि यह एक गहरी संभावना और अनुभव है।
जागरुकता के साथ किये गये कामों से कर्मबंधन नहीं बनते, पर अचेतनता में प्रतिक्रियायें देने से कर्मबंधन ज़रूर बनते हैं।
आप चाहे कोई भी शारीरिक काम करें - अगर आप इसे पूरी भागीदारी के साथ और आनंदपूर्वक करते हैं तो आप कर्मयोगी हैं।
यहाँ कोई भी चीज़ अकस्मात या संयोगवश नहीं होती। सारा भौतिक अस्तित्व, कारण और परिणाम के बीच घटित हो रहा है।
कर्म का मतलब है - आप का जीवन आपके ही द्वारा बनाया गया है। इकट्ठा किये गये कर्म आपके लिये बढ़ावा, प्रोत्साहन, भी हो सकते हैं और बोझ भी - और ये आपकी पसंद, आपके चयन पर निर्भर करता है।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बीते समय में आपने किस तरह के कर्म इकट्ठा किये हैं। इस पल के कर्म तो आपके हाथ में ही हैं।
आप कुछ भी करें, ज़रा देखिये - ये सब आपके ही लिये हैं या सभी की खुशहाली के लिये? इससे अच्छे और बुरे कर्मों के बीच की उलझनें खत्म हो जाएंगी।
जब आपकी बुद्धि पर याददाश्त हावी होती है, तब कर्म बंध जाता है। याददाश्त ही आपके पूर्वधारणा की वजह है।
कर्म ही आपको टिकाये रखता है और बंधन में रखता है। अगर आप इसे सही ढंग से संभाल लें, तो ये आपको मुक्ति की तरफ भी ले जा सकता है।
कर्मयोग का मतलब सेवा नहीं है। इसका मतलब है काम करने की बाध्यता या मजबूरी से परे जाना।
कर्म का मतलब है हर चीज़ की जिम्मेदारी ले लेना - यानि अपनी वंश परंपरा की भी जिम्मेदारी ले लेना।
अगर आप वाकई ध्यानमग्न होते हैं तो आप सभी कर्मों के परे चले जायेंगे।
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