“वेल्लियंगिरी को स्वयं भगवान शिव ने अनुग्रहित किया था। कई महान योगियों, सिद्धों और सबसे ऊपर, मेरे दिव्य गुरु ने इन चोटियों में अपने पवित्र ज्ञान को समाहित किया है। जो कोई भी कृपा की इस धारा में बहता है, वह निश्चित रूप से परे के तट पर पहुँच जाएगा।”
वेल्लियंगिरी पर्वत की सातवीं पहाड़ी के शिखर पर बसे शिव मंदिर का रास्ता कभी एक मनमोहक परिदृश्य हुआ करता था। लेकिन, हाल के वर्षों में, यह श्रद्धालुओं द्वारा छोड़े गए कूड़े-कार्ब का ढेर लगा हुआ होता है।
हर साल, लाखों भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं, परिसर और जंगल के रास्तों पर कूड़ा-कचरा छोड़ते हैं, जिससे पर्यावरणीय जोखिम बढ़ता है। पहाड़ियों कीपवित्रता और पहाड़ियों के निर्मल वातावरण को बनाए रखने के लिए, सफाई अभियान अनिवार्य हो जाते हैं।
"जब आप देने के लिए अपना दिल खोलते हैं, तो ईश्वर की कृपा अनिवार्य रूप से उसमें प्रवेश करती है।"
वेल्लियंगिरी पर्वतों की सफाई बनाए रखने और प्राकृतिक पारिस्थितिकी और पवित्रता को संरक्षित करने में मदद करने के लिए योगदान दें।