सद्गुरु और सेव सॉइल अभियान ने 11 से 22 नवंबर 2024 तक बाकू, अजरबैजान में COP29 में प्रमुख पैनल चर्चाओं में सक्रिय भागीदारी और प्रभावशाली प्रस्तुतियों के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। उनकी भागीदारी ने प्रभावी जलवायु कार्यवाही के आधार के रूप में मिट्टी के स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
सद्गुरु ने उजागर किया कि ‘मिट्टी बचाओ’ अभियान के तीन साल के अथक प्रयासों के बाद, एक वैश्विक जलवायु सम्मेलन आखिरकार ‘हरित विश्व’ पर केंद्रित है, जो प्रकृति-आधारित समाधानों की बढ़ती मान्यता को दर्शाता है।
इस गति को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यह भी कहा, "COP29 एक्शन मोड में जाने का एक अवसर है, जिसका अर्थ है ठोस समाधानों का कार्यान्वयन, और मिट्टी को पुनर्जीवित करना, जो स्वाभाविक रूप से जलवायु कार्यवाही, जल पुनरुद्धार, दुनिया के सबसे गरीब लोगों के लिए बेहतर आजीविका और दूसरी चीजों में परिणत होगा।"
सद्गुरु COP29 में प्रभावशाली व्यक्तियों की विविध श्रेणी से जुड़े, जैसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के पूर्व प्रमुख एरिक सोलहेम, कजाखस्तान के पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन मंत्री येरलान निसनबायेव, ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी के वरिष्ठ जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ जेसन स्पेन्सली, और शाओलिन मंदिर के महंत शी योंगक्सिन।
सद्गुरु का कई मीडिया आउटलेट्स ने साक्षात्कार भी लिया, जिससे इस महत्वपूर्ण विषय को व्यापक कवरेज मिली। उन्होंने उजागर किया कि पारिस्थितिक चुनौतियों के समाधान के रूप में मिट्टी पर ध्यान केंद्रित करना प्रोत्साहित करने वाला है और सही दिशा में एक बड़ा कदम है।
सम्मेलन के दौरान रॉयटर्स को दिए एक साक्षात्कार में, उन्होंने मिट्टी और जलवायु के बीच संबंध की व्याख्या की, जिसमें कई प्रजातियों, विशेष रूप से सूक्ष्मजीवों की खतरनाक स्तर की हानि शामिल है, जो सभी जीवन रूपों के लिए बुनियादी कारक हैं।
सद्गुरु ने बताया कि धरती का स्वास्थ्य केवल मानव जीवन यापन के बारे में नहीं है बल्कि सभी जीवन रूपों के अस्तित्व के बारे में है, सभी जीवन परस्पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि यदि सूक्ष्मजीव, कीट और अन्य छोटे जीवन रूप नहीं फलते-फूलते, तो मानव जीवन भी नहीं फलेगा-फूलेगा।
मिट्टी बचाओ अभियान ने मिट्टी की नष्ट हो रही स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत पर प्रकाश डाला, इसे सीधे बिगड़ते जलवायु प्रभावों से जोड़ा जो दुनिया भर में मानव जीवन और अर्थव्यवस्थाओं को खतरे में डालते हैं। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से, अभियान ने ठोस प्रगति और ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की वकालत की।
मिट्टी बचाओ’ पवेलियन सम्मेलन में चर्चाओं का केंद्र था, जो जलवायु शमन में मिट्टी की भूमिका को उजागर करता था। विशेषज्ञों, युवाओं और नीति निर्माताओं ने समाधानों पर चर्चा में सहयोग किया।
पैनल ने टिकाऊ कृषि के वित्तपोषण, किसान मुआवज़े में बदलाव, कार्बन खेती और मिट्टी के पुनरुद्धार के लिए विविध सरकारी दृष्टिकोणों पर चर्चा की। फायरसाइड चैट में मल्टीमीडिया की संचार शक्ति और पुनर्योजी कृषि की क्षमता पर ध्यान केंद्रित किया गया। ‘प्लैनेट सॉइल’ जैसी फ़िल्मों की स्क्रीनिंग ने मिट्टी के महत्व पर प्रभावशाली तरीक़े से ज़ोर दिया।
मिट्टी बचाओ’ स्वयंसेवकों ने जलवायु समाधान के रूप में स्थायी कृषि, फसल पोषण पर जलवायु के प्रभाव और प्रकृति-आधारित चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल पर पैनलों में भी भाग लिया। युवा आवाजें प्रमुख थीं, जो अपनी प्रतिबद्धता और मिट्टी के स्वास्थ्य के नवीन समाधान साझा कर रही थीं।
#SaveSoilSecureFuture हैशटैग ने जलवायु संकट के प्रमुख समाधान के रूप में स्वस्थ मिट्टी के बारे में वैश्विक जागरूकता सफलतापूर्वक आगे बढ़ाई।
सद्गुरु ने सऊदी अरब के रियाद में मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के 16वें सत्र (UNCCD COP 16) में भी एक संदेश दिया, जिसमें मरुस्थलीकरण को पलटने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने क्षतिग्रस्त भूमि को बहाल करने के लिए संसाधनों और प्रयासों में वृद्धि का आह्वान किया, पारिस्थितिक-कृषि प्रथाओं को अपनाने वाले किसानों के लिए सहारे की आवश्यकता पर जोर दिया।
सद्गुरु ने वैश्विक कृषि में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए एशिया, अमेरिका और अफ्रीका में समान ध्यान देने के महत्व पर जोर दिया। 2-13 दिसंबर 2024 तक आयोजित COP16 ने कन्वेंशन की 30वीं वर्षगांठ मनाई।