एक साधक ने सद्‌गुरु से कहा कि वो अपने लिए आध्यात्मिक मार्ग चुनना चाहता है, पर ये तय नहीं कर पा रहा कि उसके लिए कौनसा मार्ग सबसे अच्छा होगा। जानते हैं सद्‌गुरु का उत्तर

प्रश्न: सद्‌गुरु, मैं कैसे तय करूं कि मेरे लिए कौन सा मार्ग सबसे बेहतर है? आपके ख्याल से हमें यह फैसला कैसे लेना चाहिए?

सबसे बेहतर जैसा कुछ नहीं होता

सद्‌गुरु : ‘सबसे बेहतर’ जैसी कोई चीज नहीं होती। लोग सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि वे उसे ही चुनना चाहते हैं जो सबसे बेहतर हो।

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अगर आप कई जीवनकालों में इसे सफल बनाने की सोच रहे हैं, तो धीमी विकास के रास्ते भी हैं। उसमें कुछ भी गलत नहीं है, मगर मुझमें उतना सब्र नहीं है।
चुनाव चाहे कॅरियर का हो या शादी के लिए वर-वधु का, आध्यात्मिक चुनाव हो या किसी परम चीज का चुनाव – जीवन में करने के लिए कोई सबसे बेहतर काम नहीं होता। देखिए, जब आप कुछ करने का फैसला करते हैं और उसमें पूरी तरह खुद को समर्पित कर देते हैं, तो वही एक महान काम बन जाता है। आपके जीवन में कुछ न कुछ बढ़िया होना चाहिए, सबसे बेहतर नहीं क्योंकि सबसे बेहतर में हमेशा किसी दूसरी चीज से तुलना होती है। अभी अगर मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं तो इसकी वजह यह नहीं है कि यह सबसे बेहतर दिन है या दुनिया की सबसे बेहतर जगह। ऐसी कोई चीज नहीं होती। लेकिन अगर आप खुद को उसमें समर्पित कर दें, तो यह एक बढ़िया जगह बन जाती है।

इस विचार को छोड़ना होगा

अपने जीवन में सबसे बेहतर चीज चुनने या अपने लिए सबसे बेहतर व्यक्ति खोजने का विचार छोड़ दीजिए। इस ब्रह्मांड में ऐसी कोई चीज नहीं है।

मगर आपके लिए सबसे अच्छा और लाभदायक क्या होगा, यह मैं आपको तभी बताउंगा, जब आप फैसला मुझ पर छोडेंगे।
जैसे ही आप तुलना करने लगते हैं और पूछते हैं कि क्या यह सबसे बेहतर है या कुछ और इससे बेहतर होगा, तो आप हमेशा भ्रमित हो जाएंगे।  यहां तक कि मरने के बाद दफनाए जाते समय भी आप सोचेंगे कि आप सबसे बेहतर ताबूत में हैं या नहीं। अगर आपको महोगनी/चंदन का ताबूत चाहिए मगर आपके लिए कुछ और चुन लिया जाए, तो क्या होगा? वहां भी आप करवटें बदलेंगे क्योंकि आपने पूरा जीवन तो तुलना करने में बिताया है।

आपका अपना फैसला सिर्फ आराम दिलाएगा

जब आध्यात्मिक प्रक्रिया की बात आती है, तो आपको तय करना होगा कि आप खुद फैसला करना चाहते हैं या उसे मुझ पर छोड़ना बेहतर समझते हैं।

अपने जीवन में सबसे बेहतर चीज चुनने या अपने लिए सबसे बेहतर व्यक्ति खोजने का विचार छोड़ दीजिए। इस ब्रह्मांड में ऐसी कोई चीज नहीं है।
अगर आप फैसला मुझ पर छोड़ेंगे तो अभी आपके लिए जो सबसे अच्छा होगा, मैं वही फैसला करूंगा।  अगर आप चुनेंगे, तो आप अपने लिए सबसे आरामदेह चीज चुनेंगे। जरूरी नहीं है कि उसका कोई नतीजा निकले, या हो सकता है वह अनावश्यक रूप से लंबा रास्ता हो। मुझे आपकी सुविधा में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं चाहता हूं कि आप परम तत्व तक पहुंचें क्योंकि आपका समय और ऊर्जा सीमित हैं। अगर आप इसे तेज गति से नहीं करेंगे, तो आप इधर-उधर भटकेंगे और खो जाएंगे।

क्या आप अभी कुछ करना चाहते हैं, या बाद में

मगर आपके लिए सबसे अच्छा और लाभदायक क्या होगा, यह मैं आपको तभी बताउंगा, जब आप फैसला मुझ पर छोडेंगे।

‘सबसे बेहतर’ जैसी कोई चीज नहीं होती। लोग सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि वे उसे ही चुनना चाहते हैं जो सबसे बेहतर हो।
वरना मैं कभी किसी पर अपना फैसला नहीं थोपूंगा और न उन्हें बताउंगा कि उन्हें अपने जीवन में क्या करना चाहिए।  अगर आप सौ फीसदी सुनिश्चित हैं कि मैं आपसे नर्क में जाने को कहूं तो आप वहां निश्चित जाएंगे और साथ ही आपको यह भरोसा भी हो कि मैं निश्चित तौर पर आपको नर्क में नहीं भेजना चाहूंगा, तभी मैं आपके लिए फैसला कर सकता हूं। लेकिन अगर इस बात की संभावना है कि आधे रास्ते में आपको शंका होने लगेगी, तो मैं फैसला नहीं लूंगा।

अगर आप इधर-उधर भटकना चाहते हैं, तो यह आपके ऊपर है। मैं आपके लिए कई जीवनकालों की योजना नहीं बनाना चाहता। मैं चाहता हूं कि लोगों के साथ इसी जीवन में चीजें घटित हों। अगर आप कई जीवनकालों में इसे सफल बनाने की सोच रहे हैं, तो धीमी विकास के रास्ते भी हैं। उसमें कुछ भी गलत नहीं है, मगर मुझमें उतना सब्र नहीं है। क्योंकि यह तय है कि यह मेरा आखिरी जीवन है।