योग करें या जिमखाना में कसरत - क्या बेहतर है?
योग बेहतर है या जिमखाना में कसरत करना, यह एक ऐसा सवाल है जो अकसर मन में दुविधा पैदा करता है। आईए देखें सद्गुरु का क्या कहना है :
एक अच्छा होने पर जोर देता है, तो दूसरा अच्छा दिखने पर। हमारी मांसपेशियां बड़े-बड़े काम कर सकती हैं। उनको मजबूत बनाने के साथ साथ अगर लचकदार भी बनाया गया तो उनकी क्षमता को असाधारण रूप से बढ़ाया जा सकता है। अगर आप वजन उठाने की कसरत ज्यादा करते हैं तो आपकी मांसपेशियां बड़ी और उभरी हुई दिखाई देंगी। आपने ऐसे लोग देखें होंगे, जिनकी मांसपेशियां काफी मजबूत और उभरी हुई होती है, लेकिन वे सही से नमस्कार तक नहीं कर सकते। यहां तक कि वे झुक भी नहीं पाते। क्योंकि उनमें लचक नहीं होती।
जिम में व्यायाम या वजन उठाकर शरीर को मजबूत बनाने का अभ्यास आपको पशु जैसी ताकत देता है। लेकिन आप एक बिल्कुल अलग तरीके से भी ताकत हासिल कर सकते हैं और इसके लिए आपको किसी जानवर जैसा दिखने की भी जरूरत नहीं है। आप इंसान जैसे ही दिख सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि आपके शरीर के अंदर लचक भी बनी रहेगी, जो कि बेहद जरूरी चीज है। योग में व्यायाम करने के लिए अपने शरीर के वजन का ही इस्तेमाल किया जाता है। इससे आपको कोई बहाना भी नहीं मिलेगा कि आपके आसपास कोई जिम नहीं है। आप जहां भी हैं, वहीं व्यायाम कर सकते हैं। आपका शरीर तो आपके साथ है ही। शरीर सुडौल बनाने के लिए यह उतना ही प्रभावशाली है, जितना कि जिम में वजन उठाना। पूरे तंत्र पर इसका कोई अनावश्यक दबाव भी नहीं पड़ता। इससे आप जंगली जानवर जैसे नजर नहीं आएंगे। आप एक समझदार इंसान मालूम पड़ेंगे और यह आपको बेहद शक्तिशाली भी बनाएगा।
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तो क्या मुझे लोहे की रॉड बिल्कुल नहीं उठानी चाहिए ? आप उठा सकते हैं। दरअसल, आधुनिक तकनीक की वजह से शारीरिक मेहनत और व्यायाम हमारे जीवन से दूर हो चुके हैं। हमें पानी से भरी एक बाल्टी तक नहीं उठानी पड़ती, सब कुछ मशीनों से हो जाता है। बस आईफोन के अलावा आपको कोई भी चीज लेकर चलने की जरूरत नहीं होती। चूंकि आप अपनी मांसपेशियों का दिन भर इस्तेमाल ही नहीं करते, इसलिए हल्का वजन उठाने के व्यायाम किए जा सकते हैं।
योग को सिर्फ एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं है। दरअसल, योग से सिर्फ शरीर, मांसपेशियों व हड्डियों की कसरत ही नहीं होती, बल्कि इससे आंतरिक अंगों और शरीर की अपने-आप चलने वाली प्रणालियों की भी कसरत होती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे उन चीजों को भी अपने वश में किया जा सकता है, जिस पर अमूमन हमारा कोई जोर या अधिकार नहीं होता। दूसरे शब्दों में यह कुछ ऐसा ही जैसे आप अपनी शारीरिक प्रणाली पर इतनी कुशलता हासिल कर लें कि आपके भीतर जो चीज अनजाने में और जबरदस्ती हो रही है, वह धीरे-धीरे सचेतन होने लगे। यह जीवन में होश और जागरूकता पैदा करता है।