प्रश्नकर्ताः नमस्कारम, सद्गुरु। जब भी मैं क्रोध जैसी कोई नकारात्मक भावना को रोकने का प्रयास करता हूँ, तो वह ज्यादा तेज हो जाती है। मैं अपने मन के काम करने के तरीके पर कैसे पकड़ बना सकता हूँ?

सद्गुरुः आप जो चीज नहीं चाहते हैं, उसे अगर आप रोकने की कोशिश करते हैं, तो सिर्फ वही होगी। हमेशा से आपके मन की और मानव मन की यही प्रकृति रही है। योग की पूरी प्रणाली अनुभव के स्तर पर अपने शरीर और अपने मन की प्रकृति की खोजबीन करने के बारे में है। जब आप सुबह उठकर अपने आसन करते हैं, वो इसलिए नहीं कि वह स्ट्रेच करने की एक कसरत है, जैसा कि दुनिया में तमाम मूर्ख उसे बताते हैं। हाँ, उसे करने के लिए आपको स्ट्रेच करना होगा, लेकिन बुनियादी रूप से, यह आपके शरीर और आपके मन की एक खोजबीन है। क्योंकि आपके जीवन में सबसे बड़ी समस्या यह है कि दो मौलिक चीजों पर पकड़ रखे बिना आप यहां जीने की कोशिश कर रहे हैं, जिनके बिना आप इस जीवन से नहीं गुजर सकते - भौतिक शरीर और मन। 

आप जीवन से कितनी सहजता से गुजरते हैं यह इस पर निर्भर करता है कि आपने अपने शरीर और अपने मन को कितनी गहराई से समझा है। सफर को आरामदेह होने के लिए, गाड़ी को अच्छा होना होगा, और आपको गाड़ी की समझ होनी चाहिए - वह कैसे बर्ताव करती है, वह क्या करती है, और वह जो करती है उसे क्यों करती है। यह आत्मज्ञान नहीं है - अगर आप एक अज्ञानी जीवन जीना चाहते हैं तो भी यह जरूरी है। लोग कहते थे, ‘अज्ञानता आनंद है’ - अगर यह सच होता, तो दुनिया अब तक आंनद में जी रही होती।

आसन - शरीर और मन के काम करने के तरीके को तलाशना 

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जब आप अपने आसन करते हैं तो आप अपने शरीर और मन की प्रकृति को खोजते हैं। अगर आप अपनी उंगलियों को एक खास तरह से चलाते हैं, तो आपका मन उसके मुताबिक काम करेगा। आप अपने शरीर से जो कुछ भी करते हैं, उससे आपके मन के साथ भी कुछ होता है। एक किताब को पढ़ने से आपको यह समझ प्राप्त नहीं होगी। सिर्फ खोजबीन करने से ही यह आएगी। अगर आप अपनी आंखें बंद करके अपने मन से कोई चीज जबरन हटाने की कोशिश करते हैं, तो आप कभी सफल नहीं होंगे।

खुद को शेव करने में ही, बहुत से आदमी अपना चेहरा काट लेते हैं। मैंने लोगों के चेहरे से खून निकलते देखा है क्योंकि वो ज्यादा नजदीक से दाढ़ी काटना चाहते हैं और रेज़र उनकी योजना से ज्यादा नजदीक चला जाता है। बुनियादी बातों को समझना, आपका मन कैसे कार्य करता है उसे समझना, किसी बौद्धिक विश्लेषण से नहीं आता - यह एक खोजबीन है। आपको यह करने की जरूरत है कि अपने शरीर को एक मुद्रा में रखिए, और यह गौर कीजिए कि आपका मन किस खास तरीके से काम करता है। अपने शरीर को एक दूसरी मुद्रा में रखिए और गौर कीजिए कि आपका मन एक अलग तरीके से काम करता है। 

जब आप अपने आसन करते हैं, तो आप अपने शरीर और अपने मन के काम करने के तरीके की तलाश करते हैं।

अगर आप एक आसन में बैठकर ठीक तरीके से सांस लेते हैं, जब आप इस प्रक्रिया से गुजरते हैं, तो मन विभिन्न अवस्थाओं में चला जाएगा। यह खोज योग का सबसे बुनियादी पहलू है। हठ योग शिखर नहीं है - यह एक तैयारी है। बिना तैयारी के चरण के अगर आप शिखर पर जाने की कोशिश करते हैं, तो आप शायद टूट जाएंगे। कम से कम 80 प्रतिशत लोग अपने जीवन में किसी भी किस्म का ध्यान नहीं कर पाएंगे, जब तक कि वे किसी तरह की शारीरिक तैयारी नहीं करते। जिस तरह से वे बैठते हैं, जिस तरह से वे अपने शरीर को चलाते हैं, उससे स्पष्ट है कि वे ध्यान नहीं कर सकते, वे चाहे जितनी कोशिश कर लें। कुछ मात्रा में शारीरिक तैयारी की जरूरत होती है, क्योंकि शरीर और मन दो अलग चीजें नहीं हैं - क्या आपका मस्तिष्क आपके शरीर से बाहर है?

आपकी छोटी उंगली के साथ जो होता है, वह मस्तिष्क के साथ भी होता है। मस्तिष्क के साथ जो होता है, वह छोटी उंगली के साथ भी होता है। ये दोनों तरफ से काम करता है। मस्तिष्क अपने आप में एक अलग इकाई नहीं है। डॉक्टरों ने मुर्दा शरीरों की चीरफाड़ से शरीर के बारे में सीखा है - अगर आप मुर्दा शरीर को खोलते हैं और विभिन्न अंगों को काटकर अलग-अलग जगह पर रखते हैं, तो वो सब अलग होते हैं। लेकिन आपका शरीर वैसा नहीं है - यह पूरा एक है। सिर्फ एक काटने वाली छुरी के लिए वह अलग-अलग है, लेकिन एक जीवित इंसान के लिए, यह पूरा एक है। इसीलिए योग प्रणाली को वैसा बनाया गया है जैसी वह है।

एक प्रयोग के तौर पर, जो चीजें आप चाहते हैं, उनका प्रतिरोध करने की कोशिश कीजिए। आप देखेंगे कि वो आपके अंदर तीव्रता से व्यक्त होंगी। अगर आप कोई चीज नहीं चाहते हैं कि वह हो, तो उसे न होने देने की कोशिश कीजिए। तब वह जरूर होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप एक ऐसी अवस्था में हैं जहां आप अपने मन को पहले गियर में डालना चाहते हैं और वो रिवर्स गियर में चला जाता है। चीजें करने का यह सबसे अच्छा तरीका नहीं है, लेकिन यह समझने के लिए कि अभी मन उसी तरह है, आप इसे आजमा सकते हैं - अगर आप किसी चीज का विरोध करते हैं, तो सिर्फ वही चीज घटित होगी।

अपनी साधना करें - यह काम करता है! 

कल से, सुबह पांच बजे उठ जाइए, ठंडे पानी से नहा लीजिए, और अपनी साधना हर दिन 5:30 पर शुरू कीजिए। कुछ समय बाद, बहुत सी चीजें जो आपके मन में समस्या थीं, वो जा चुकी होंगी। अपना हठ योग हर दिन एक घंटा कीजिए - वह कारगर होगा। लेकिन अगर आप समझना चाहते हैं कि वो कैसे काम करता है, उसकी क्रियाविधि और प्रक्रिया क्या है, उसके लिए बहुत प्रयास और समय लगता है। उसे अमल करने में बहुत मेहनत नहीं लगती। लेकिन अगर आप पूरी बारीकियां जानना चाहते हैं कि कौनसी चीज उसे संभव करती है, जैसे ये होता है, वैसे क्यों होता है, किसी खास आसन का एक खास असर क्यों है, तब यह पूरे जीवन भर का अध्ययन होगा।

जो लोग टेक्नॉलजी का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें बस उसे इस्तेमाल करना सीखना चाहिए। जो लोग टेक्नॉलजी का आधार और विज्ञान जानना चाहते हैं, वह जीवन भर का काम है। यह कैसे काम करता है, इसे समझने में मुझे तीन जीवनकाल लगे। मैं मान लेता हूँ कि आप मुझसे ज्यादा स्मार्ट है क्योंकि आप मेरे पास आए हैं, और सारी चीजें जो मैं करता हूँ - कोई मीठी बात नहीं, स्वर्ग का कोई वादा नहीं, कोई चमत्कार नहीं, और एक भी मधुर शब्द नहीं, कोई गले लगाना नहीं - आप फिर भी यहां हैं। तो, यह मानकर कि आप स्मार्ट हैं, ये एक जीवनकाल का काम है।