कैसे करें खुद से प्रेम?
प्रश्न: सद्गुरु, खुद से प्रेम कैसे करते हैं? मैं यह समझ नहीं पाता हूं, कृपया इस पर प्रकाश डालें।
प्रश्न: सद्गुरु, खुद से प्रेम कैसे करते हैं? मैं यह समझ नहीं पाता हूं, कृपया इस पर प्रकाश डालें।
सद्गुरु:
देखिए अगर आपको प्रेम करना है तो आपको किसी चीज या इंसान की जरूरत होगी। यह कुछ ऐसा ही है कि अगर मैं बात करना चाहता हूं, तो मुझे कोई चाहिए, जिससे मैं बात कर सकूं। प्रेम किसी वस्तु या इंसान के बारे में होता है, आपके बारे में नहीं।
दो के बिना कोई प्रेम नहीं
प्रेम में आपको दो लोगों की जरूरत होती ही है, क्योंकि प्रेम लेन-देन है। खुद से प्रेम करने जैसी कोई बात ही नहीं होती। यह एक पागलपन है। प्रेम एक ऐसी चाहत है, जो किसी दूसरे को अपना हिस्सा बना लेना चाहती है। प्रेम एक प्रक्रिया है, एक संभावना है, जिसमें आपका विस्तार होता है। दूसरे को खुद में शामिल कर के आप अभी जो हैं, उससे कहीं और ज्यादा हो जाते हैं।
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मुझे पता है कि यह विचार अमेरिका में बड़े पैमाने पर फैल चुका है कि 'मैं खुद से प्रेम करता हूं’। यह बहुत बुरा विचार है। यह कुछ ऐसा है, जैसे मैं खुद से बात करना शुरू कर दूं। अगर आप खुद से बात कर रहे हैं तो आपने अपने भीतर ही दो लोग पैदा कर लिया है । इसका मतलब आप मानसिक रोगी हैं।
अगर आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आप कभी पागल न हों, तो सबसे पहला और जरूरी काम आपको यह करना है कि आप खुद को खंडित करना बंद कर दीजिए और अपने आपको सिर्फ एक व्यक्ति या इकाई के रूप में देखिए। एक इकाई का मतलब है कि आप उसे दो हिस्सों में नहीं बांट सकते। अगर आप उसे यह कहकर दो बनाते हैं कि मैं खुद से प्रेम करता हूं तो समझ लीजिए कि आप पागलपन की ओर बढ़ रहे हैं। अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो आप वहां जल्दी पहुंच जाएंगे। या फिर यह भी हो सकता है कि आपके पागलपन का स्तर बस इतना ही रहे, जिसे सामाजिक तौर पर स्वीकार किया जा सकता है।
मुझे मालूम है कि जो मैं कह रहा हूं, उसे लोग पसंद नहीं करेंगे। क्योंकि आजकल यह फिलासफी बहुत पसंद की जा रही है कि खुद से प्रेम करो, खुद पर विश्वास करो। आप केवल उन्हीं चीजों में ही विश्वास करते हैं जो आप नहीं जानते। खुद को जानो - यह अच्छी बात है, लेकिन खुद में विश्वास करो, खुद से प्रेम करो, यह निश्चित रूप से आपको उलझाकर रख देगा।
खुद को मिटाने की चाहत है प्रेम
किसी को प्रेम करने की कीमत अपनी जिंदगी से चुकानी पड़ती है। क्योंकि अगर आपको किसी से प्रेम करना है तो आपको खुद का कुछ हिस्सा छोडऩा पड़ेगा, नहीं तो आप प्रेम नहीं कर सकते। आपको दूसरे के लिए जगह बनानी पड़ेगी।
खुद से प्रेम करना एक बीमारी है
अब चूंकि आप किसी को रत्ती भर भी देने को तैयार नहीं हैं, तो आप अपने भीतर ही प्रेम संबंध शुरू कर देते हैं। कुछ समय बाद आप दो हो जाएंगे, क्योंकि दो के बिना कोई प्रेम हो ही नहीं सकता।
इसलिए खुद को प्रेम करने की कोशिश मत कीजिए। किसी और से प्रेम करने की कोशिश कीजिए। अगर इंसानों से प्रेम नहीं कर सकते तो कुत्ते से प्रेम करने की कोशिश करें। बहुत सारे लोगों ने इंसानों से प्रेम करने की कोशिश बंद कर दी है और कुत्तों से प्रेम करने लगे हैं, क्योंकि कोई भी आपसे उतना अच्छा बर्ताव नहीं करता, जितना कि एक कुत्ता। अगर आपको ऐसा लगता है कि कोई आपकी ओर ध्यान नहीं देता तो कुत्ता आपके लिए ठीक रहेगा। अगर आप सफल हो जाते हैं, तो फिर इंसानों के साथ कोशिश कीजिए, लेकिन खुद को प्रेम करने की कोशिश मत कीजिए, क्योंकि यह बेतुकी बात है। आप प्रेममय हो सकते हैं, लेकिन खुद को प्रेम नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसा करके आप अपने को खंडित कर रहे हैं, अपने भीतर दो इकाई पैदा कर रहे हैं।
योग के जरिये हम हर चीज को एक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि 'तुम’ और 'मैं’ भी न हों। 'आप’, 'मैं’ या 'दूसरा कोई’ ऐसी बातों का अस्तित्व ही नहीं है, सब कुछ आप हैं। आप एक इकाई हैं, आपको टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता। आप अपने में सब कुछ शामिल कर सकते हैं, लेकिन आप बंट नहीं सकते। अगर आप खुद के टुकड़े करते हैं, तो बीमार पड़ जाएंगे।