गुरु एक अन्तरिक्ष-यान है
सद्गुरु से एक साधक पूछते हैं कि अध्यात्म के मार्ग पर चल रहा कोई व्यक्ति अपने गुरु का उत्तम उपयोग कैसे कर सकता है?
सद्गुरु से एक साधक पूछते हैं कि अध्यात्म के मार्ग पर चल रहा कोई व्यक्ति अपने गुरु का उत्तम उपयोग कैसे कर सकता है? जानते हैं सद्गुरु का उत्तर
सद्गुरु - गुरु का उत्तम उपयोग कैसे किया जाए? अगर मैं आपको एक छोटा सा खिलौना देता हूं, मान लीजिए एक खिलौने वाली कार देता हूं, फिर आपको यह पता होगा कि उसे कैसे चलाना है। आप जानते हैं कि उसका उपयोग कैसे किया जाए।
गुरु का उपयोग कभी नहीं कर सकते
अगर मैं आपको एकअंतरिक्ष यान देता हूं, तो निश्चित रूप से आप यह नहीं जान पाएंगे कि उसके साथ क्या करना है। इसी तरह गुरु एक वाहन होता है, जो आपको आपके अस्तित्व के मौजूदा आयामों के परे ले जाना चाहता है। आप गुरु को एक अंतरिक्ष-यान समझ सकते हैं। आप कभी यह नहीं जान पाएंगे कि उसका उपयोग कैसे किया जाए। संभवत: आप एक कार को चारों तरफ चला सकते हैं, लेकिन एक वाहन जो आपको दूसरे आयामों में ले जा सकता है, आप उसे चलाना नहीं जानते। इसलिए इसका उपयोग करने की कोशिश मत कीजिए, बस इसके साथ रहना सीखिए।
गुरु की रिक्तता में बैठना सीखिए
अंतरिक्ष यान में जो जगह है, जो खालीपन है, अगर आप बस उसके भीतर रहना सीख जाते हैं, तो वह जहां कहीं भी जाएगा, आपको वहां लेकर जाएगा। इसलिए आप उसके खाली स्थान में बैठना सीखें, उसका उपयोग करने की कोशिश न करें। उसका उपयोग करने की कोशिश एक बहुत बड़ी भूल होगी। यह भूल सदियों से लाखों जिज्ञासु करते आ रहे हैं। कुछ दिन पहले मैं आप लोगों को उस नव युवक के बारे में बता रहा था, जो केदारनाथ के रास्ते में मुझे मिला था। मुझे केदारनाथ से लौटते समय रास्ते में एक युवक मिला, जो बहुत सीधा था। वह आठ सालों से अपने गुरु के साथ रह रहा था। गुरु ने उसे कोई साधना नहीं दी थी।
बस प्रतीक्षा करना सीखिए
बातचीत में उसने बताया कि 'मैं बस उनकी सेवा करता हूं और अभी प्रतीक्षा में हूं। जब वे साधना देंगे तो मैं उसे करूंगा। अभी तो मैं बस वहां रहता हूं। वे जो कुछ भी कहते हैं, मैं करता हूं। मैं झाड़ू लगाता हूं, सफाई करता हूं, खाना बनाता हूं और बस प्रतीक्षा में हूं।’ उसकी बात सुनकर मैं समझ गया कि एक दिन वह निश्चित रूप से (आत्म को) जान लेगा।
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