सद्‌गुरुसद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि जीवन यापन, परिवार और सेहत आदि भौतिक चीज़ों के लिए हमें दिव्य शक्तियों की जरुरत नहीं है। इन चीज़ों को हम अपने शरीर और मन के इस्तेमाल से पा सकते हैं।

प्रश्न : सद्‌गुरु मैंने देखा है कि कुछ लोग एक ऐसे प्रॉसेस की मदद से, जिसमें पेंडुलम का इस्तेमाल होता है, जीवन की समस्याओं के सही हल ढूंढते हैं। क्या इसके पीछे कोई विज्ञान है?

सद्‌गुरु : पेंडुलम तो बिल्कुल सही होता है, क्योंकि अगर यह तीन इंच एक तरफ जाता है तो तीन इंच ही दूसरी तरफ भी जाएगा। लेकिन ऐसा पेंडुलम की वजह से नहीं होता, गुरुत्वाकर्षण की वजह से होता है। यह आपको किस तरह के जवाब देता है?

प्रश्न : मेरे बॉस तो पूरे विश्वास के साथ इसका पालन करते हैं।

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भारत के लिए ये एक अभिशाप रहा है

सद्‌गुरु : ओह तो आपके बॉस पेंडुलम की मदद से फैसले लेते हैं? सबसे पहला काम तो आप यह कीजिए कि यह जॉब छोड़ दीजिए, क्योंकि आपकी कंपनी किसी भी वक्त दिवालिया हो सकती है। इससे पहले की यह कंपनी बंद हो, आपके पास नई नौकरी होनी चाहिए।

यह लंबे समय से मानवता के लिए एक अभिशाप रहा है, खासकर हमारे देश में। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे देश में रहस्यवाद काफी रहा है। इस क्षेत्र में लोगों ने शानदार काम करके दिखाए हैं।

ठीक तरह से जीवन जीने के लिए, सही तरह से खाने पीने के लिए, सही तरह से सोने के लिए, एक अच्छा घर बनाने के लिए, एक शहर बसाने के लिए न तो आपको ईश्वर की जरूरत है और न ही आध्यात्मिकता की।
ऐसे काम जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। इसी वजह से कई चालबाज भी पैदा हो गए। ये चालबाज आपके मन के साथ खेलकर आपको अपनी ही कुछ शानदार चीजें करके दिखा देते हैं। वे हर चीज को विज्ञान बना देते हैं। आप अपना कारोबार करना चाहते हैं, अपना परिवार संभालना चाहते हैं और ऐसे कई दूसरे काम करना चाहते हैं। इस दुनिया में आप जो भी करना चाहते हैं, उसके लिए आपको अपने चार हाथ-पैरों और दिमाग की कुछ कोशिकाओं का इस्तेमाल करना सीखना होगा। इसके लिए आपको ईश्वर की जरूरत नहीं है, आपको रहस्यवाद या ऐसी किसी और चीज की जरूरत नहीं है। अपने जीवन को चलाने के लिए आपको किसी आध्यात्मिकता की भी जरूरत नहीं है। ठीक तरह से जीवन जीने के लिए, सही तरह से खाने पीने के लिए, सही तरह से सोने के लिए, एक अच्छा घर बनाने के लिए, एक शहर बसाने के लिए न तो आपको ईश्वर की जरूरत है और न ही आध्यात्मिकता की। लेकिन लोग अपने हाथ-पैर का इस्तेमाल कभी-कभी करते हैं, और दिमाग की कोशिकाओं को तो वे भविष्य के लिए बचाकर रखे रहते हैं। वे चाहते हैं कि उनके लिए बस ईश्वर काम करे।

अपने दिमाग का इस्तेमाल करना होगा

ईश्वर ने यह दुनिया एक खास तरीके से बनाई है, लेकिन आपका पूरा संघर्ष इस बात के लिए है कि आप इसे दूसरी तरह से बनाना चाहते हैं।

ईश्वर एक महान रचनाकार है, पर एक बहुत ही खराब मैनेजर। भारत में बहुत सारे देवता हैं, फिर भी चीजें कितनी खराब हैं। इसकी वजह यह है कि आप आसमान में देखकर चल रहे हैं।
हम किसी पेड़ के नीचे या जंगल में नहीं, बल्कि एक घर में बैठे हैं, इससे साबित होता है कि हम ईश्वर की बनाई गई दुनिया को पसंद नहीं करते। हम इसे अपनी तरह से चलाना चाहते हैं। तो अगर आप इसे अपनी तरह से चलाना चाहते हैं, तो आपको अपने दिमाग का इस्तेमाल तो करना ही होगा। अगर आप दिमाग का इस्तेमाल नहीं करना चाहते और दुनिया को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं तो फिर तो आप भ्रम में जी रहे हैं। आप इसे अपने हिसाब से नहीं चला सकते। ईश्वर एक महान रचनाकार है, पर एक बहुत ही खराब मैनेजर। भारत में बहुत सारे देवता हैं, फिर भी चीजें कितनी खराब हैं। इसकी वजह यह है कि आप आसमान में देखकर चल रहे हैं। जो ऊपर की ओर देखकर चलते हैं, उन्हें तो एक न एक दिन गड्ढे में गिरना ही है। अगर आप ठीक तरह से चलना चाहते हैं तो आपको सामने की ओर देखकर ही चलना होगा, क्योंकि बाहरी असलियत को एक तरीके से संभाले जाने की जरूरत है। अगर आप बस अच्छी तरह से जीने तक ही सोचते हैं तो इसका अर्थ है कि आपकी उच्च संभावनाओं में दिलचस्पी नहीं है। आप अपने जीवन से ईश्वर को हटा दें और चीजों को करने के लिए अपने आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार करें। फिर आप अच्छा जीवन जी पाएंगे।

सिर्फ जीवन का स्रोत जानने के लिए ईश्वर की बात करें

एक अच्छा जीवन जीने के लिए ईश्वर की जरूरत नहीं है। लेकिन सिर्फ अच्छा जीवन आपके लिए काफी नहीं है और अब आप जीवन के स्रोत को जानना चाहते हैं, केवल तभी आप ईश्वर की बात करें।

जरा देखिए कि इस दुनिया में कौन अच्छा कर रहा है - सिर्फ वे लोग जिन्होंने अपने दिमाग और शरीर को सही तरीके से इस्तेमाल करना सीख लिया है – भौतिक स्तर पर सिर्फ वे अच्छे से जी रहे हैं।
तब तक ईश्वर आपके लिए जरूरी नहीं है। उसे आप अपने जीवन से पूरी तरह से हटा सकते हैं। क्योंकि जिसे आप ईश्वर कहते हैं, वह इस जीवन का स्रोत ही तो है। अगर आप इस जगत से खुश हैं, अगर आप इस जगत से खेलना चाहते हैं, तो स्रष्टा को बिल्कुल भूल जाइए। जरा देखिए कि इस दुनिया में कौन अच्छा कर रहा है - सिर्फ वे लोग जिन्होंने अपने दिमाग और शरीर को सही तरीके से इस्तेमाल करना सीख लिया है – भौतिक स्तर पर सिर्फ वे अच्छे से जी रहे हैं। तो चीजें इसलिए घटित नहीं होने वालीं कि आपने एक पेंडुलम हिला लिया, या कहीं जाकर प्रार्थना कर ली, या इस तरह का कोई और काम कर लिया। इन चीजों से कभी कुछ नहीं हुआ है।

अपनी चीजों को खुद ठीक से संभालिए, समझदारी से रहिए, और कम से कम खुद के साथ सरल और सहज रहिए। हो सकता है आपने अपना जीवन ऐसा बना रखा हो जहां आप दूसरों के साथ ईमानदारी से पेश नहीं आते हों, लेकिन कम से कम खुद के साथ पूरी तरह ईमानदार रहिए। खुद को मत ठगिए। चाहे आप पूरी दुनिया को धोखा दीजिए, लेकिन कम से कम खुद को तो मत छलिए। अगर आपने यह सीख लिया तो आपकी यह ईमानदारी स्वाभाविक रूप से आपके जीवन के हर आयाम में फैल जाएगी।